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अध्याय दस

वह सच्ची उपासना के पक्ष में खड़ा हुआ

वह सच्ची उपासना के पक्ष में खड़ा हुआ

1, 2. (क) एलियाह के लोग किस तकलीफ से गुज़र रहे थे? (ख) करमेल पहाड़ पर एलियाह का सामना किन लोगों से हुआ?

एलियाह टकटकी लगाए उस भीड़ को देख रहा था जिसमें लोग पैर घसीटते हुए करमेल पहाड़ पर चढ़ रहे थे। सुबह-सुबह की धुँधली रौशनी में भी लोगों के हुलिए से साफ दिख रहा था कि गरीबी और भुखमरी से उनका हाल बेहाल है। यह सब साढ़े तीन साल से पड़े सूखे का नतीजा था।

2 इस भीड़ में बाल देवता के 450 भविष्यवक्‍ता भी थे जो अकड़कर चल रहे थे। वे घमंड से चूर थे और उनके मन में एलियाह के लिए कूट-कूटकर नफरत भरी थी। रानी इज़ेबेल ने यहोवा के बहुत-से सेवकों को मरवा डाला था। फिर भी एलियाह डरा नहीं बल्कि हिम्मत से बाल की उपासना के खिलाफ आवाज़ उठाता रहा। मगर वह कब तक यह कर पाएगा? बाल के पुजारियों ने एलियाह के बारे में सोचा होगा कि एक अकेला इंसान भला उनसे क्या जीतेगा। (1 राजा 18:4, 19, 20) राजा अहाब भी अपने शाही रथ पर सवार होकर करमेल पहाड़ पर आया। उसे भी एलियाह एक आँख नहीं सुहाता था।

3, 4. (क) एलियाह को क्यों डर लगा होगा? (ख) हम किन सवालों पर गौर करेंगे?

3 यह दिन एलियाह के लिए ज़िंदगी का सबसे यादगार दिन बननेवाला था। वह अच्छाई और बुराई के बीच का अब तक का सबसे हैरतअंगेज़ मुकाबला देखनेवाला था। जैसे-जैसे दिन निकल रहा था, एलियाह के दिल में क्या बीत रही थी? ऐसा नहीं था कि उसे ज़रा भी डर नहीं लगा, आखिर वह भी “हमारी तरह एक इंसान था, जिसमें हमारे जैसी भावनाएँ थीं।” (याकूब 5:17 पढ़िए।) एलियाह ने ज़रूर खुद को अकेला महसूस किया होगा, क्योंकि वह ऐसे लोगों से घिरा हुआ था जिनमें कोई विश्‍वास नहीं था। उनका राजा भी यहोवा के खिलाफ हो गया था और बाल के पुजारी हत्यारे थे।​—1 राजा 18:22.

4 लेकिन इसराएलियों पर यह नौबत आयी कैसे? इस कहानी का आपसे क्या लेना-देना? आइए हम एलियाह के विश्‍वास पर गौर करें और देखें कि उसके जैसा विश्‍वास होने से आज हमें क्या फायदा होगा।

बरसों पुरानी तकरार का अंत

5, 6. (क) इसराएल में किनके बीच तकरार हो रही थी? (ख) अहाब ने कैसे यहोवा का क्रोध भड़काया?

5 एलियाह के देश के लोगों को एक खास सम्मान मिला था, यहोवा की उपासना करने का। मगर दुख की बात है कि एलियाह ने लगभग सारी ज़िंदगी यही देखा कि कैसे यहोवा की उपासना को दरकिनार किया गया और उसे मिटाने की कोशिश की गयी। वह चाहकर भी कुछ न कर सका। क्यों? क्योंकि इसराएल में बरसों से सच्ची और झूठी उपासना के बीच तकरार हो रही थी। दूसरे शब्दों में कहें तो सवाल यह था कि यहोवा की उपासना की जानी चाहिए या आस-पास के राष्ट्रों के देवी-देवताओं के मूरतों को पूजना चाहिए। खासकर एलियाह के दिनों में यह तकरार और भी ज़बरदस्त हो गयी। क्यों?

6 राजा अहाब ने सीदोन के राजा की बेटी इज़ेबेल से शादी कर ली थी। इज़ेबेल, बाल देवता की उपासक थी। उसने ठान लिया था कि वह इसराएल से यहोवा की उपासना का नामो-निशान मिटा देगी और उसकी जगह बाल की उपासना कायम करेगी। देखते-ही-देखते उसका पति अहाब उसके इशारों पर नाचने लगा। उसने बाल के लिए एक मंदिर और वेदी बनायी। उसकी पूजा करने में वह सबसे आगे रहता था। इस तरह उसने यहोवा का क्रोध भड़काया।​—1 राजा 16:30-33.

7. (क) बाल की उपासना क्यों इतनी घिनौनी थी? (ख) एलियाह के दिनों में कितने समय तक सूखा पड़ा, इस बारे में बाइबल में क्यों कोई मतभेद नहीं है? ( बक्स भी देखें।)

7 लेकिन बाल की उपासना क्यों इतनी घिनौनी थी? इस उपासना के बहकावे में आकर कई इसराएलियों ने सच्चे परमेश्‍वर से मुँह फेर लिया था। यही नहीं, बाल की उपासना में बहुत गंदे काम किए जाते थे और क्रूरता-भरे रिवाज़ माने जाते थे। जैसे, बाल के मंदिर में न सिर्फ वेश्‍याएँ होती थीं बल्कि ऐसे आदमी भी होते थे जिनके साथ दूसरे आदमी संभोग कर सकें। बाल के उपासक बढ़-चढ़कर नीच लैंगिक काम करते थे और अपने ही बच्चों की बलि चढ़ाते थे। इसलिए यहोवा ने एलियाह को अहाब के पास यह ऐलान करने भेजा कि देश में सूखा पड़ेगा और यह तभी खत्म होगा जब परमेश्‍वर का भविष्यवक्‍ता इसके अंत होने का ऐलान करेगा। (1 राजा 17:1) सालों बाद एलियाह एक बार फिर राजा अहाब के सामने हाज़िर हुआ। उसने राजा से कहा कि वह सभी लोगों और बाल के भविष्यवक्‍ताओं को करमेल पहाड़ पर इकट्ठा करे। *

बाल की उपासना में जो-जो होता था वह आज भी ज़ोर-शोर से हो रहा है

8. बाल की पूजा के बारे में यह ब्यौरा हमारे लिए क्या मायने रखता है?

8 मगर वह तकरार आज हमारे लिए क्या मायने रखती है? कुछ लोग शायद कहें कि वह तकरार हमारे लिए कोई मायने नहीं रखती क्योंकि आज दुनिया में न तो बाल के मंदिर हैं, न ही उसकी वेदियाँ। लेकिन यह सिर्फ एक बीता इतिहास नहीं है। (रोमि. 15:4) शब्द “बाल” का मतलब है, “मालिक।” यहोवा ने अपने लोगों को साफ-साफ बताया था कि उन्हें सिर्फ उसे अपना “बाल” यानी “पति” मानना चाहिए। (यशा. 54:5) क्या आप इस बात से सहमत नहीं कि आज भी लोग सर्वशक्‍तिमान परमेश्‍वर को छोड़ तरह-तरह के मालिकों की सेवा कर रहे हैं? जब वे अपनी पूरी ज़िंदगी पैसा कमाने, करियर बनाने, मनोरंजन करने और बदचलनी और ऐसे कई कामों में लगा देते हैं तो एक तरह से वे इन्हीं को अपना मालिक बना लेते हैं। (मत्ती 6:24; रोमियों 6:16 पढ़िए।) देखा जाए तो बाल की उपासना में जो-जो होता था वह आज भी ज़ोर-शोर से हो रहा है। एलियाह के दिनों में यहोवा और बाल के बीच जो मुकाबला हुआ, उस पर ध्यान देने से हम सही फैसला कर पाएँगे कि हमें किसकी सेवा करनी चाहिए।

‘वे दो विचारों में लटके रहे’

9. (क) बाल की उपासना का परदाफाश करने के लिए करमेल पहाड़ क्यों एक सही जगह थी? (फुटनोट भी देखें।) (ख) एलियाह ने लोगों से क्या कहा?

9 करमेल पहाड़ की चोटी से इसराएल का खूबसूरत इलाका साफ नज़र आता था: नीचे कीशोन घाटी से लेकर पास के महासागर (यानी भूमध्य सागर) तक का और दूर उत्तर में लबानोन पर्वतमाला तक का इलाका। * लेकिन उस खास दिन पर जब धीरे-धीरे सूरज उगने लगा तो यह साफ दिखायी दे रहा था कि उस इलाके का हाल बहुत बुरा था। यहोवा ने अब्राहम की संतानों को जो उपजाऊ ज़मीन दी थी वह बंजर हो चुकी थी। कड़कती धूप में तपकर ज़मीन मानो पत्थर बन चुकी थी और उसमें बड़ी-बड़ी दरारें पड़ गयी थीं। यह सब परमेश्‍वर के लोगों की बेवकूफी की वजह से हुआ था! जब लोगों की भीड़ जमा हो गयी तो एलियाह ने उनके पास आकर कहा, “तुम लोग कब तक दो विचारों में लटके रहोगे? अगर यहोवा सच्चा परमेश्‍वर है तो उसे मानो और अगर बाल सच्चा परमेश्‍वर है तो उसे मानो!”​—1 राजा 18:21.

10. (क) एलियाह के लोग कैसे ‘दो विचारों में लटके हुए थे’? (ख) वे कौन-सी बुनियादी सच्चाई भूल गए थे?

10 एलियाह के कहने का क्या मतलब था कि लोग ‘दो विचारों में लटके हुए हैं’? उन लोगों को एहसास नहीं था कि उन्हें चुनना था कि वे यहोवा की उपासना करेंगे या बाल की। उन्हें लगा कि वे दोनों कर सकते हैं, एक तरफ घिनौने रीति-रिवाज़ मानकर बाल को खुश कर सकते हैं और दूसरी तरफ यहोवा परमेश्‍वर से आशीष की बिनती कर सकते हैं। उन्होंने सोचा होगा कि बाल की आशीष से उनकी भरपूर फसल होगी और उनके मवेशी बढ़ेंगे और ‘सेनाओं का परमेश्‍वर यहोवा’ युद्ध में उनकी हिफाज़त करेगा। (1 शमू. 17:45) मगर वे एक बुनियादी सच्चाई भूल गए थे, जिससे आज भी बहुत-से लोग बेखबर हैं। वह यह कि केवल यहोवा हमारी उपासना पाने का हकदार है और वह चाहता है कि सिर्फ उसकी उपासना की जाए, उसे छोड़ किसी और की न की जाए। इसलिए यहोवा की उपासना करने के साथ किसी और तरह की उपासना करना यहोवा को मंज़ूर नहीं, यहाँ तक कि वह उससे घिन करता है!​—निर्गमन 20:5 पढ़िए।

11. करमेल पहाड़ पर एलियाह ने जो कहा उससे कैसे हमें खुद को जाँचने में मदद मिलती है?

11 इसराएली एक तरह से दो नावों पर पैर रखने की कोशिश कर रहे थे। आज भी बहुत-से लोग यह भूल करते हैं। वे धीरे-धीरे दूसरे “बाल” के पीछे जाने लगते हैं और सच्चे परमेश्‍वर की उपासना को ताक पर रख देते हैं। एलियाह ने जिन साफ और ज़ोरदार शब्दों में कहा था कि दो विचारों में लटके रहना छोड़ दो, उससे हमें खुद को जाँचने में मदद मिलती है कि हम अपनी ज़िंदगी में किन बातों को पहली जगह दे रहे हैं और कैसे उपासना कर रहे हैं।

सच का खुलासा करनेवाली परीक्षा

12, 13. (क) एलियाह ने कौन-सी परीक्षा करने के लिए कहा? (ख) हम कैसे एलियाह की तरह भरोसा दिखा सकते हैं?

12 इसके बाद एलियाह ने कहा कि एक आसान-सी परीक्षा ली जाए। उसने बाल के पुजारियों से कहा कि वे एक वेदी तैयार करें, उस पर बलि का जानवर रखें और बाल से प्रार्थना करें कि वह आग भेजकर उनकी बलि स्वीकार करे। उनके बाद एलियाह एक वेदी बनाएगा और अपने परमेश्‍वर से बलिदान स्वीकार करने की प्रार्थना करेगा। एलियाह ने कहा, “जो परमेश्‍वर जवाब में आग भेजेगा वही सच्चा परमेश्‍वर साबित होगा।” एलियाह अच्छी तरह जानता था कि सच्चा परमेश्‍वर कौन है। उसका विश्‍वास इतना मज़बूत था कि उसने बेझिझक बाल के भविष्यवक्‍ताओं को पहले बलि चढ़ाने को कहा। उसने दुश्‍मनों को अपनी बात साबित करने का पूरा मौका दिया। इसलिए उन्होंने बलि चढ़ाने के लिए एक बैल चुना। *​—1 राजा 18:24, 25.

13 हालाँकि आज हमारे ज़माने में चमत्कार नहीं होते, मगर यहोवा बदला नहीं है। हम भी एलियाह की तरह यहोवा पर पूरा भरोसा रख सकते हैं। मिसाल के लिए, जब लोग बाइबल की शिक्षाओं पर हमसे सहमत नहीं होते, तो हमें उन्हें पहले अपनी राय बताने का मौका देने से नहीं डरना चाहिए। एलियाह की तरह हमें सच्चे परमेश्‍वर पर भरोसा रखना चाहिए कि वह मामले को सुलझाएगा। हम अपना भरोसा कैसे दिखा सकते हैं? खुद पर निर्भर होने के बजाय परमेश्‍वर के प्रेरित वचन बाइबल पर भरोसा रखकर, क्योंकि यह “टेढ़ी बातों को सीध में लाने” के लिए तैयार की गयी है।​—2 तीमु. 3:16.

एलियाह देख सकता था कि बाल सचमुच का परमेश्‍वर नहीं है और वह चाहता था कि परमेश्‍वर के लोग भी यह सच्चाई जानें

14. एलियाह ने बाल के भविष्यवक्‍ताओं का कैसे मज़ाक उड़ाया और क्यों?

14 बाल के भविष्यवक्‍ताओं ने एक वेदी बनायी, उस पर बलि का जानवर रखा और अपने देवता को पुकारने लगे। वे घंटों चिल्लाते रहे, “हे बाल हमारी सुन! हे बाल हमारी सुन!” “मगर उन्हें कोई जवाब नहीं मिला, कोई आवाज़ सुनायी नहीं दी।” जब दोपहर हो गयी तो एलियाह उनका मज़ाक उड़ाने लगा। वह कहने लगा कि बाल ज़रूर किसी काम में उलझा होगा या हलका होने गया होगा, इसलिए वह तुम लोगों को जवाब नहीं दे रहा है या वह शायद सो रहा होगा और अब किसी को उसे जगाने की ज़रूरत है। एलियाह ने उन ढोंगियों से कहा, “और ज़ोर से चिल्लाओ!” वह साफ देख सकता था कि बाल सचमुच का परमेश्‍वर नहीं है और उसकी पूजा करना बड़ी मूर्खता है। वह चाहता था कि परमेश्‍वर के लोग भी यह सच्चाई जान लें।​—1 राजा 18:26, 27.

15. बाल के पुजारियों के साथ जो हुआ उससे हमें क्या सीख मिलती है?

15 एलियाह की बात सुनकर बाल के पुजारियों पर मानो पागलपन का दौरा पड़ गया। वे ‘गला फाड़-फाड़कर पुकारने लगे। वे अपने दस्तूर के मुताबिक खुद को बरछों और कटारों से काटने लगे। वे ऐसा तब तक करते रहे जब तक कि उनका पूरा शरीर लहू-लुहान न हो गया।’ मगर कोई फायदा नहीं हुआ! “उन्हें कोई जवाब नहीं मिला, कोई आवाज़ सुनायी नहीं दी। उन पर ध्यान देनेवाला कोई न था।” (1 राजा 18:28, 29) यह साफ था कि बाल नाम का कोई देवता है ही नहीं। वह तो शैतान के दिमाग की उपज थी और उसने लोगों को बहकाकर यहोवा से दूर ले जाने के लिए ऐसा किया था। यह एक सच्चाई है कि यहोवा को छोड़ किसी और को अपना मालिक मानने से न सिर्फ निराशा हाथ लगती है बल्कि शर्मिंदा भी होना पड़ता है।​—भजन 25:3; 115:4-8 पढ़िए।

परीक्षा का नतीजा

16. (क) जब एलियाह ने यहोवा की वेदी दोबारा खड़ी की तो लोगों को क्या याद आया होगा? (ख) एलियाह ने यहोवा पर भरोसा दिखाने के लिए और क्या किया?

16 इस तरह शाम हो गयी और तब एलियाह की बारी आयी। उसने यहोवा की उस वेदी को दोबारा खड़ा किया जिसे सच्ची उपासना के दुश्‍मनों ने ही ढा दिया होगा। उसने यह वेदी 12 पत्थरों से खड़ी की। क्यों? शायद वह इसराएल के 10 गोत्रों को याद दिलाना चाहता था कि 12 गोत्रों को दिया गया कानून अब भी उन पर लागू होता है। इसके बाद उसने वेदी पर बलि का जानवर रखा और सबकुछ पानी से पूरी तरह भिगो दिया। यह पानी ज़रूर पास के भूमध्य सागर से लाया गया होगा। उसने वेदी के चारों तरफ खाई भी खुदवायी और उसे पानी से भरवा दिया। जब बाल के भविष्यवक्‍ताओं की बारी थी तब उसने ऐसी मुश्‍किलें नहीं खड़ी की थीं। मगर अब जब उसकी बारी आयी तब उसने ऐसी मुश्‍किलें इसलिए खड़ी कीं ताकि यहोवा साबित कर सके कि वही सच्चा परमेश्‍वर है। उसे यहोवा पर पूरा भरोसा था कि वह ज़रूर जवाब देगा।​—1 राजा 18:30-35.

एलियाह की प्रार्थना दिखाती है कि उसे अब भी लोगों की चिंता थी, क्योंकि वह यह देखने के लिए तरस रहा था कि यहोवा “उनके दिलों को वापस अपनी तरफ फेर” दे

17. (क) एलियाह की प्रार्थना से कैसे पता चलता है कि क्या बातें उसके लिए अहमियत रखती थीं? (ख) हम उसकी तरह प्रार्थना कैसे कर सकते हैं?

17 जब सबकुछ तैयार हो गया तो एलियाह ने प्रार्थना की। उसकी प्रार्थना बहुत ही सरल मगर ज़बरदस्त थी। उसकी प्रार्थना से साफ था कि क्या बातें उसके लिए ज़्यादा अहमियत रखती थीं। सबसे पहले तो वह जग-ज़ाहिर करना चाहता था कि ‘इसराएल का परमेश्‍वर’ बाल नहीं, यहोवा है। दूसरी, वह सबको बताना चाहता था कि वह यहोवा का बस एक सेवक है और कुछ नहीं, इसलिए सारी महिमा और श्रेय यहोवा को मिलना चाहिए। आखिरी बात, उसने साबित किया कि उसे अब भी अपने लोगों की चिंता थी, क्योंकि वह यह देखने के लिए तरस रहा था कि यहोवा “उनके दिलों को वापस अपनी तरफ फेर” दे। (1 राजा 18:36, 37) विश्‍वासघाती होकर इसराएलियों ने अपने ऊपर मुसीबतें लायी थीं, फिर भी एलियाह उनसे प्यार करता था। उसी तरह, जब हम प्रार्थना करते हैं तो क्या हम भी परमेश्‍वर के नाम के लिए चिंता ज़ाहिर कर सकते हैं, नम्रता दिखा सकते हैं और ज़रूरतमंदों के लिए करुणा दिखा सकते हैं?

18, 19. (क) यहोवा ने कैसे एलियाह की प्रार्थना का जवाब दिया? (ख) एलियाह ने लोगों को क्या करने का हुक्म दिया? (ग) बाल के पुजारी क्यों दया के लायक नहीं थे?

18 एलियाह के प्रार्थना करने से पहले, लोगों ने सोचा होगा कि क्या यहोवा भी बाल के जैसा झूठा निकलेगा। मगर जवाब के लिए उन्हें इंतज़ार नहीं करना पड़ा। बाइबल बताती है, “तब यहोवा ने ऊपर से आग भेजी जिससे होम-बलि, लकड़ी, पत्थर, धूल, सबकुछ भस्म हो गया और खाई का पानी भी पूरी तरह सूख गया।” (1 राजा 18:38) क्या ही हैरतअंगेज़ जवाब! यह देखकर लोगों ने क्या किया?

“तब यहोवा ने ऊपर से आग भेजी”

19 सब-के-सब ऊँची आवाज़ में बोल उठे, “यहोवा ही सच्चा परमेश्‍वर है! यहोवा ही सच्चा परमेश्‍वर है!” (1 राजा 18:39) आखिरकार, उनकी आँखें खुल गयीं। मगर इसका यह मतलब नहीं कि उन्होंने विश्‍वास किया। सच पूछिए तो आकाश से आग आते देख उनका यह कबूल करना कि यहोवा ही सच्चा परमेश्‍वर है, विश्‍वास का कोई बड़ा सबूत नहीं है। तभी एलियाह ने उन्हें एक और तरीके से विश्‍वास ज़ाहिर करने के लिए कहा। उसने उन्हें यहोवा के कानून का पालन करने को कहा, जो उन्हें बरसों पहले से करते आना चाहिए था। परमेश्‍वर के कानून में लिखा था कि झूठे भविष्यवक्‍ताओं और मूर्तिपूजा करनेवालों को मार डालना चाहिए। (व्यव. 13:5-9) बाल के पुजारी यहोवा परमेश्‍वर के कट्टर दुश्‍मन थे और उन्होंने जानबूझकर उसके मकसद के खिलाफ काम किया था। क्या वे दया के लायक थे? ज़रा सोचिए, क्या उन पुजारियों ने मासूम बच्चों पर कोई दया की जिन्हें उन्होंने बाल के लिए आग में ज़िंदा जला दिया था? जब उन्होंने कोई दया नहीं की तो उन पर दया क्यों करनी चाहिए? (नीतिवचन 21:13 पढ़िए; यिर्म. 19:5) वे दया के बिलकुल भी लायक नहीं थे! इसलिए एलियाह ने उन्हें मार डालने का हुक्म दिया और ऐसा ही हुआ।​—1 राजा 18:40.

20. बाइबल में नुक्स निकालनेवाले एलियाह के ब्यौरे के बारे में जो कहते हैं वह क्यों गलत है?

20 बाइबल में नुक्स निकालनेवाले कुछ लोग शायद करमेल पहाड़ पर हुई इस परीक्षा की नुक्‍ताचीनी करें। वे शायद कहें कि धर्म के कट्टरपंथी लोग इस कहानी से यही सीखेंगे कि दूसरे धर्मों के लोगों पर हिंसा करना सही है। अफसोस, आज ऐसे बहुत-से कट्टरपंथी लोग हैं जो धर्म के नाम पर खून-खराबा करते हैं। लेकिन एलियाह कोई कट्टरपंथी नहीं था। इसके बजाय, बाल की उपासना करनेवालों को मौत की सज़ा देकर उसने यहोवा की तरफ से न्याय किया था। इसके अलावा, सच्चे मसीही जानते हैं कि वे एलियाह की तरह दुष्टों को तलवार से नहीं मार सकते। यीशु के आने के बाद से उसके सभी चेलों के लिए स्तर बदल गए। यह हम मसीह के शब्दों से देख सकते हैं जो उसने पतरस से कहे थे, “अपनी तलवार म्यान में रख ले, इसलिए कि जो तलवार उठाते हैं वे तलवार से ही नाश किए जाएँगे।” (मत्ती 26:52) भविष्य में यहोवा अपने बेटे के ज़रिए दुष्टों का न्याय करेगा।

21. एलियाह कैसे सच्चे मसीहियों के लिए एक बढ़िया मिसाल है?

21 हर सच्चे मसीही को अपने जीने के तरीके से दिखाना चाहिए कि उसमें विश्‍वास है। (यूह. 3:16) इसका एक तरीका है, एलियाह जैसे वफादार लोगों की मिसाल पर चलना। उसने सिर्फ यहोवा की उपासना की और दूसरों को भी ऐसा करने का बढ़ावा दिया। उसने बड़ी हिम्मत से झूठे धर्म का परदाफाश किया जिसके ज़रिए शैतान लोगों को बहकाकर यहोवा से दूर ले जा रहा था। इसके अलावा, उसने अपनी काबिलीयतों से और अपने तरीके से मामले को नहीं सुलझाया बल्कि यहोवा पर भरोसा रखा। एलियाह वाकई सच्ची उपासना के पक्ष में खड़ा हुआ था। आइए हम भी उसके जैसा विश्‍वास बढ़ाएँ!

^ पैरा. 9 करमेल पहाड़ आम तौर पर हरा-भरा होता था क्योंकि सागर से नम हवा पहाड़ की ढलानों से ऊपर की तरफ बहती थी। इसलिए पहाड़ पर काफी ओस पड़ती थी और अकसर बारिश भी होती थी। माना जाता था कि बाल देवता ही बारिश कराता है, इसलिए ज़ाहिर है कि यह पहाड़ बाल की उपासना करने की एक खास जगह रही होगी। मगर सूखे की वजह से यह पहाड़ बंजर हो चुका था। इसलिए इस बात का परदाफाश करने के लिए कि बाल की उपासना एक ढकोसला है, यह पहाड़ एक सही जगह थी।

^ पैरा. 12 गौर कीजिए कि एलियाह ने उनसे कहा, तुम बलि को “आग मत लगाना।” कुछ विद्वानों का कहना है कि इस तरह की मूर्तिपूजा करनेवाले कभी-कभी ऐसी वेदी तैयार करते थे जिसके नीचे एक नली छिपी होती थी। नली से वे आग भेजते थे ताकि देखनेवालों को लगे कि बलि में चमत्कार से आग लग गयी है।