इस जानकारी को छोड़ दें

विषय-सूची को छोड़ दें

परमेश्वर के साथ काम कीजिए—खुशी पाइए

परमेश्वर के साथ काम कीजिए—खुशी पाइए

“परमेश्वर के साथ काम करते हुए हम तुमसे यह भी गुज़ारिश करते हैं कि परमेश्वर की महा-कृपा को स्वीकार करने के बाद उस कृपा का मकसद मत भूलो।”—2 कुरिं. 6:1.

गीत: 28, 10

1. यहोवा विश्व की सबसे महान हस्ती है, फिर भी उसने दूसरों को क्या मौका दिया है?

यहोवा विश्व की सबसे महान हस्ती है। उसी ने पूरे विश्व की सृष्टि की। उसके पास अथाह बुद्धि है और उसकी ताकत की कोई सीमा नहीं है। जब उसने अय्यूब को यह बात समझायी, उसके बाद अय्यूब ने उससे कहा, “मैं जानता हूँ कि तू सब कुछ कर सकता है, और तेरी युक्‍तियों में से कोई रुक नहीं सकती” यानी उसके लिए कुछ भी नामुमकिन नहीं है। (अय्यू. 42:2) यहोवा जो भी करने की ठान लेता है, वह बिना किसी की मदद के वह काम कर सकता है। लेकिन जब वह अपना मकसद पूरा करने के लिए दूसरों को अपने साथ काम करने का मौका देता है, तो वह उनके लिए अपना प्यार जता रहा होता है।

2. यहोवा ने यीशु को किस अहम काम में हाथ बँटाने का मौका दिया?

2 यहोवा ने सबसे पहले अपने बेटे यीशु को बनाया। उसके बाद उसने बाकी सारी सृष्टि की। यह सारी सृष्टि बनाने में उसने अपने बेटे को हाथ बँटाने का मौका दिया। (यूह. 1:1-3, 18) प्रेषित पौलुस ने यीशु के बारे में लिखा, “उसी के ज़रिए स्वर्ग में और धरती पर बाकी सब चीज़ें सिरजी गयीं, देखी हों या अनदेखी, चाहे राजगद्दियाँ हों या साम्राज्य, सरकारें हों या अधिकार। बाकी सब चीज़ें उसके ज़रिए और उसी के लिए सिरजी गयी हैं।” (कुलु. 1:15-17) इस तरह यहोवा ने अपने बेटे को न केवल एक अहम काम दिया, बल्कि इस बारे में दूसरों को भी बताया। क्या ही बड़ा सम्मान दिया उसे!

3. यहोवा ने आदम को कौन-सी ज़िम्मेदारियाँ दीं और क्यों?

3 यहोवा ने इंसानों को भी अपने साथ काम करने का मौका दिया। उदाहरण के लिए, उसने आदम को जानवरों के नाम रखने के लिए कहा। (उत्प. 2:19, 20) सोचिए यह काम करते वक्‍त आदम को कितनी खुशी हुई होगी! उसने गौर से जानवरों को देखा होगा कि वे कैसे दिखते हैं और कैसी हरकतें करते हैं, तब जाकर उसने हर एक का नाम रखा होगा। यहोवा ने सभी जानवरों को बनाया था और वह उनका नाम भी खुद ही रख सकता था। लेकिन उसने आदम को जानवरों के नाम रखने का मौका देकर जताया कि वह उससे कितना प्यार करता है। परमेश्वर ने आदम को यह ज़िम्मेदारी भी दी कि वह पूरी धरती को फिरदौस बनाए। (उत्प. 1:27, 28) लेकिन बाद में आदम ने परमेश्वर के साथ काम न करने का चुनाव किया, जिससे न केवल आदम को बल्कि उसके वंशजों को भी भयानक अंजाम भुगतने पड़े।—उत्प. 3:17-19, 23.

4. दूसरे कई लोगों ने परमेश्वर के मकसद को पूरा करने के लिए कैसे उसके साथ काम किया?

4 आगे चलकर यहोवा ने और कई लोगों को अपने साथ काम करने का मौका दिया। नूह ने एक जहाज़ बनाया, जिससे वह और उसका परिवार जलप्रलय के दौरान ज़िंदा बच पाए। मूसा ने इसराएल राष्ट्र को मिस्र से आज़ाद कराया। यहोशू इसराएलियों को वादा किए गए देश में ले गया। सुलैमान ने यरूशलेम में मंदिर बनवाया। मरियम यीशु की माँ बनी। इन सभी वफादार लोगों ने और दूसरे कई लोगों ने यहोवा के साथ उसके मकसद को पूरा करने के लिए काम किया।

5. (क) हम कौन-सा काम कर सकते हैं? (ख) क्या यहोवा को इस काम में हमें शामिल करने की ज़रूरत थी? (लेख की शुरूआत में दी तसवीर देखिए।)

5 आज यहोवा हमें वह सब करने का मौका देता है, जो हम उसके राज को सहयोग देने के लिए कर सकते हैं। ऐसे कई तरीके हैं, जिससे हम यहोवा की सेवा कर सकते हैं। भले ही हम सब एक तरीके से उसकी सेवा नहीं कर सकते, लेकिन हम सब राज की खुशखबरी सुनाने का काम ज़रूर कर सकते हैं। यह काम यहोवा अकेले ही कर सकता था। वह चाहता तो स्वर्ग से सीधे-सीधे इस धरती पर लोगों से बात कर सकता था। यीशु ने कहा था कि यहोवा अपने राज के राजा के बारे में दूसरों को बताने के लिए पत्थरों से भी बुलवा सकता है। (लूका 19:37-40) फिर भी यहोवा हमें उसके “सहकर्मी” बनने का मौका देता है। (1 कुरिं. 3:9) प्रेषित पौलुस ने लिखा, “परमेश्वर के साथ काम करते हुए हम तुमसे यह भी गुज़ारिश करते हैं कि परमेश्वर की महा-कृपा को स्वीकार करने के बाद उस कृपा का मकसद मत भूलो।” (2 कुरिं. 6:1) परमेश्वर के साथ काम करने का मौका मिलना बड़े सम्मान की बात है। इससे हमें बेहद खुशी मिलती है। क्यों? आइए इसके कुछ कारणों पर गौर करें।

परमेश्वर के साथ काम करने से खुशी मिलती है

6. परमेश्वर के पहलौठे बेटे को अपने पिता के साथ काम करके कैसा लगता था?

6 परमेश्वर के साथ काम करने से यहोवा के सेवकों को हमेशा खुशी मिली है। इस धरती पर आने से पहले परमेश्वर के पहलौठे बेटे को बुद्धि कहा गया है। उसके बारे में बाइबल कहती है, “यहोवा ने मुझे काम करने के आरम्भ में . . . उत्पन्न किया। तब मैं कारीगर सी उसके पास थी; और प्रति दिन मैं उसकी प्रसन्नता थी, और हर समय उसके सामने आनन्दित रहती थी।” (नीति. 8:22, 30) यीशु को अपने पिता के साथ काम करके बहुत खुशी मिलती थी, क्योंकि उसने बहुत-से काम किए थे और वह जानता था कि यहोवा उससे प्यार करता है। लेकिन क्या हमें भी यहोवा के साथ काम करके खुशी मिलती है?

किसी को सच्चाई सिखाने के अलावा क्या कोई और संतोष-भरा काम हो सकता है? (पैराग्राफ 7 देखिए)

7. प्रचार करने से हमें क्यों खुशी मिलती है?

7 यीशु ने कहा था कि हमें देने से भी खुशी मिलती है और लेने से भी। (प्रेषि. 20:35) जब हमें सच्चाई का ज्ञान मिला, तब हमें खुशी हुई। लेकिन हमें उस वक्‍त भी खुशी होती है, जब हम दूसरों को यह ज्ञान देते हैं। वह इसलिए कि जब लोग बाइबल की शिक्षाएँ समझते हैं और परमेश्वर के साथ रिश्ता जोड़ना शुरू करते हैं, तो हम उनके चेहरे पर सच्ची खुशी देख पाते हैं। उनकी सोच और उनके जीने के तरीके में बदलाव होते देख हमारा दिल खुशी से भर जाता है। इसके अलावा, प्रचार करना बहुत ही ज़रूरी काम है। इस काम से हमें जितनी संतुष्टि मिलती है, उतनी शायद ही किसी और काम से मिले। इस वजह से जो लोग परमेश्वर के दोस्त बनते हैं, उनके लिए हमेशा की ज़िंदगी पाना मुमकिन हो जाता है।—2 कुरिं. 5:20.

8. यहोवा के साथ काम करने से जो खुशी मिलती है, उस बारे में कुछ लोगों का क्या कहना है?

8 जब हम दूसरों को परमेश्वर के बारे में सिखाते हैं, तो हम जानते हैं कि हम यहोवा को खुश कर रहे हैं और यह भी कि हम उसकी सेवा में जो मेहनत करते हैं, उसकी वह कदर करता है। इससे भी हमें खुशी मिलती है। (1 कुरिंथियों 15:58 पढ़िए।) इटली में रहनेवाला मार्को नाम का भाई कहता है, “मैं अपना अच्छे-से-अच्छा यहोवा को देता हूँ न कि किसी ऐसे शख्स को जो जल्द ही यह भूल जाए कि मैंने क्या किया है। यह जानकर मुझे जो खुशी मिलती है उसका कोई मोल नहीं।” उसी तरह इटली का ही रहनेवाला एक और भाई फ्रान्को कहता है, ‘यहोवा अपने वचन, किताबों-पत्रिकाओं और सभाओं के ज़रिए हमें हर दिन याद दिलाता है कि वह हमसे प्यार करता है। और यह भी कि हम उसके लिए जो कुछ करते हैं, वह बहुत मायने रखता है, भले ही हमारे काम हमें कुछ भी न लगें। इसीलिए परमेश्वर के साथ काम करने से मुझे खुशी होती है और मेरी ज़िंदगी को एक मकसद मिलता है।’

परमेश्वर के साथ काम करने से हम उसके और भाई-बहनों के करीब आते हैं

9. यीशु का यहोवा के साथ कैसा रिश्ता था और क्यों?

9 जिनसे हम प्यार करते हैं, उनके संग काम करने से उनके साथ हमारा रिश्ता मज़बूत होता है। हम उनकी शख्सियत और उनकी खूबियाँ और अच्छी तरह जान पाते हैं। हम यह भी जान पाते हैं कि वे ज़िंदगी में क्या करना चाहते हैं और उसके लिए वे क्या कुछ कर रहे हैं। यह बात यीशु और यहोवा के मामले में एकदम सच है। यीशु ने यहोवा के साथ शायद अरबों साल काम किया। उनका एक दूसरे के लिए प्यार और लगाव इतना गहरा हो गया कि कोई भी चीज़ उनके रिश्ते को तोड़ नहीं सकती। यीशु का परमेश्वर के साथ इतना गहरा नाता था कि उसने कहा, “मेरे और पिता के बीच एकता है।” (यूह. 10:30) उनमें वाकई एकता थी और जब वे काम करते थे, तो एक-दूसरे को पूरा सहयोग देते थे।

10. प्रचार करने से हम परमेश्वर के और भाई-बहनों के कैसे और करीब आ जाते हैं?

10 यीशु ने यहोवा से अपने चेलों की हिफाज़त के लिए बिनती की। किस लिए? उसने प्रार्थना की, “ताकि वे भी एक हो सकें जैसे हम एक हैं।” (यूह. 17:11) जब हम परमेश्वर के स्तरों पर चलते हैं और प्रचार करते हैं, तो हम उसके मनभावने गुणों को और अच्छे से जान पाते हैं। हम सीखते हैं कि उस पर भरोसा करना और उसकी बतायी राह पर चलना क्यों बुद्धिमानी है। और जैसे-जैसे हम यहोवा परमेश्वर के करीब आते हैं, वह भी हमारे करीब आता है। (याकूब 4:8 पढ़िए।) हम अपने भाई-बहनों के भी करीब आते हैं, क्योंकि हम एक जैसी समस्याओं से गुज़रते हैं और एक जैसी खुशी पाते हैं। इसके अलावा हम सबके एक जैसे लक्ष्य हैं। जी हाँ, हम साथ मिलकर काम करते हैं, साथ मिलकर खुशियाँ मनाते हैं और साथ मिलकर समस्याओं का सामना करते हैं। ब्रिटेन की रहनेवाली ऑक्टेवीया कहती है, ‘यहोवा के साथ काम करने से मैं दूसरों के भी करीब आ पाती हूँ। वह इसलिए कि मेरी दोस्ती उन लोगों से नहीं है, जिनके शौक मेरे जैसे हैं और जिनको उन्हीं बातों में दिलचस्पी है जिनमें मुझे है। इसके बजाय अब मेरे दोस्त वे लोग हैं, जिनकी ज़िंदगी की राह और लक्ष्य वैसे ही हैं जैसे मेरे हैं।’ इसमें कोई शक नहीं कि हम भी ऐसा ही महसूस करते हैं। जब हम देखते हैं कि हमारे भाई यहोवा को खुश करने के लिए कितनी मेहनत करते हैं, तो इससे उनके साथ हमारा नाता और गहरा हो जाता है।

11. नयी दुनिया में हम एक-दूसरे के और यहोवा के क्यों और करीब आते जाएँगे?

11 परमेश्वर और भाई-बहनों के लिए हमारा प्यार अभी तो गहरा है ही, नयी दुनिया में यह और भी गहरा होता जाएगा। ज़रा सोचिए, आनेवाले दिनों में हम कैसे-कैसे रोमांचक काम करनेवाले हैं! जो जी उठेंगे, हम उनका स्वागत करेंगे और उन्हें यहोवा के बारे में सिखाएँगे। हम सब मिलकर इस धरती को फिरदौस बनाएँगे। वह क्या ही खुशी का समाँ होगा, जब हम मिलकर काम करेंगे और धीरे-धीरे मसीह के राज में सिद्ध होते जाएँगे। सब इंसान एक-दूसरे के और यहोवा के भी और करीब आते जाएँगे, ऐसे परमेश्वर के जो हर “प्राणी की इच्छा को सन्तुष्ट” करेगा।—भज. 145:16, अ न्यू हिंदी ट्रांस्लेशन।

परमेश्वर के साथ काम करने से हमारी हिफाज़त होती है

12. प्रचार काम से कैसे हमारी हिफाज़त होती है?

12 हमें यहोवा के साथ अपने रिश्ते की हिफाज़त करनी है। इसकी कुछ वजह हैं। पहली बात हम असिद्ध हैं और दूसरी हम शैतान की दुनिया में जीते हैं, इसलिए हम बड़ी आसानी से दुनिया की तरह सोचने और उसकी तरह काम करने लग सकते हैं। यह नदी में तैरने जैसा है, जिसकी धारा हमें उस तरफ ले जाती है, जिस तरफ हम जाना नहीं चाहते। इसलिए दूसरी दिशा की ओर तैरने के लिए हमें अपनी पूरी ताकत लगानी होगी। उसी तरह, शैतान की दुनिया के असर से बचने के लिए हमें जी-जान से मेहनत करनी होगी। तो फिर प्रचार काम से कैसे हमारी हिफाज़त होती है? जब हम यहोवा और बाइबल के बारे में बात करते हैं, तब हम अपना ध्यान ज़रूरी और अच्छी बातों पर लगाते हैं, न कि उन बातों पर जिनसे हमारा विश्वास कमज़ोर होता है। (फिलि. 4:8) प्रचार काम से हमारा विश्वास मज़बूत होता है, क्योंकि इससे परमेश्वर के वादे और उसके प्यार-भरे स्तर हमारे ज़हन में ताज़ा बने रहते हैं। इससे हम अपने अंदर ऐसे गुण भी बनाए रख पाते हैं, जिनसे शैतान और उसकी दुनिया से हमारी हिफाज़त होती है।—इफिसियों 6:14-17 पढ़िए।

13. ऑस्ट्रेलिया में रहनेवाला एक भाई प्रचार के बारे में कैसा महसूस करता है?

13 जब हम प्रचार में, अध्ययन करने में और मंडली के लोगों की मदद करने में खुद को व्यस्त रखते हैं, तो हमारी हिफाज़त होती है, क्योंकि इससे हमारे पास इतना वक्‍त ही नहीं बचता कि हम अपनी समस्याओं पर ज़्यादा ध्यान दे सकें। ऑस्ट्रेलिया में रहनेवाला जोएल कहता है, “प्रचार करने से मैं दुनिया की हकीकत से अछूता नहीं रहता। यह मुझे याद दिलाता है कि लोग कितनी मुश्किलों से गुज़र रहे हैं और यह भी कि बाइबल के सिद्धांत लागू करने से मुझे कितना फायदा हुआ है। प्रचार करने से मुझे नम्र बने रहने में मदद मिलती है और इससे मुझे यहोवा और भाई-बहनों पर भरोसा करने का मौका भी मिलता है।”

14. हमारा लगातार प्रचार करते रहना कैसे दिखाता है कि परमेश्वर की पवित्र शक्‍ति हमारे साथ है?

14 प्रचार करने से हमारा यह यकीन भी बढ़ता है कि परमेश्वर की पवित्र शक्‍ति हमारे साथ है। कल्पना कीजिए कि आपको अपने इलाके में सभी लोगों को खाना बाँटने की ज़िम्मेदारी सौंपी गयी है। इसके लिए आपको कोई पैसा नहीं मिलता। आपको अपना खर्च खुद उठाना होता है। ऊपर से ज़्यादातर लोग आपसे खाना नहीं लेना चाहते। यहाँ तक कि इसकी वजह से कुछ लोग आपसे नफरत करते हैं। तो फिर यह काम आप कब तक करते रहेंगे? जल्द ही आप निराश हो जाएँगे और शायद आप यह काम छोड़ भी दें। लेकिन प्रचार काम की बात करें, तो इसमें भी हमारा समय जाता है, पैसा जाता है, यहाँ तक कि लोग हमारा मज़ाक उड़ाते हैं या हम पर भड़क उठते हैं, फिर भी हममें से ज़्यादातर लोग सालों से इस काम में लगे हुए हैं। क्या इससे यह साबित नहीं हो जाता कि परमेश्वर की पवित्र शक्‍ति हमारी मदद कर रही है?

परमेश्वर के साथ काम करके हम उसके लिए और दूसरों के लिए प्यार जताते हैं

15. प्रचार काम यहोवा के उस मकसद से कैसे जुड़ा है, जो उसने इंसानों के लिए तय किया है?

15 प्रचार काम यहोवा के उस मकसद से जुड़ा है, जो उसने इंसानों के लिए तय किया है। कैसे? परमेश्वर का मकसद था कि इंसान हमेशा जीएँ। उसका यह मकसद आदम के पाप करने पर भी नहीं बदला। (यशा. 55:11) इसलिए परमेश्वर ने हमें पाप और मौत से छुड़ाने के लिए एक इंतज़ाम किया। इस इंतज़ाम के तहत यीशु धरती पर आया और उसने अपनी ज़िंदगी बलिदान की। लेकिन उसके बलिदान से फायदा पाने के लिए इंसानों को परमेश्वर की आज्ञा माननी होगी। इसलिए यीशु ने लोगों को सिखाया कि परमेश्वर उनसे क्या उम्मीद करता है। उसने अपने चेलों को यही सिखाने की आज्ञा भी दी। आज जब हम प्रचार करते हैं और परमेश्वर के दोस्त बनने में लोगों की मदद करते हैं, तो हम सीधे-सीधे परमेश्वर के साथ काम कर रहे होते हैं। यह काम यहोवा के उस प्यार-भरे इंतज़ाम से जुड़ा है, जिससे वह इंसानों को पाप और मौत से बचाएगा।

16. खुशखबरी का प्रचार करके हम कैसे परमेश्वर की दो सबसे बड़ी आज्ञाएँ मान रहे होते हैं?

16 जब हम हमेशा की ज़िंदगी की राह पर चलने में लोगों की मदद करते हैं, तो हम उनके लिए और यहोवा के लिए भी अपना प्यार जता रहे होते हैं। और यहोवा की “यही मरज़ी है कि सब किस्म के लोगों का उद्धार हो और वे सच्चाई का सही ज्ञान हासिल करें।” (1 तीमु. 2:4) एक बार एक फरीसी ने यीशु से पूछा कि परमेश्वर की सबसे बड़ी आज्ञा कौन-सी है, तो यीशु ने कहा, “‘तुझे अपने परमेश्वर यहोवा से अपने पूरे दिल, अपनी पूरी जान और अपने पूरे दिमाग से प्यार करना है।’ यही सबसे बड़ी और पहली आज्ञा है। और इसी की तरह यह दूसरी है, ‘तुझे अपने पड़ोसी से वैसे ही प्यार करना है जैसे तू खुद से करता है।’” (मत्ती 22:37-39) खुशखबरी का प्रचार करके हम ये आज्ञाएँ मान रहे होते हैं।प्रेषितों 10:42 पढ़िए।

17. हमारे पास खुशखबरी का प्रचार करने का जो सम्मान है, उस बारे में आपको कैसा लगता है?

17 सच में, हमें कितनी आशीषें मिली हैं! यहोवा ने हमें ऐसा काम दिया है, जिससे हमें खुशी मिलती है, हम उसके और भाई-बहनों के करीब आते हैं और उसके साथ हमारे रिश्ते की हिफाज़त होती है। इस काम से हमें परमेश्वर के लिए और दूसरों के लिए अपना प्यार जताने का मौका मिलता है। पूरी दुनिया में यहोवा के लाखों सेवक हैं और उन सबके हालात अलग-अलग हैं। कोई जवान है तो कोई बुज़ुर्ग, कोई अमीर तो कोई गरीब, कोई ताकतवर तो कोई कमज़ोर। इस सबके बावजूद दूसरों को अपने विश्वास के बारे में बताने के लिए हमसे जितना बन पड़ता है, हम करते हैं। शायद हम फ्राँस में रहनेवाली चैंटल के जैसा महसूस करें, जो कहती है, ‘पूरे जहान का सबसे ताकतवर शख्स, सबकुछ बनानेवाला और खुशी का परमेश्वर मुझसे कहता है, “जाओ! मेरे बारे में बताओ, दिल से बताओ! मैं तुम्हें अपनी ताकत, अपना वचन बाइबल, स्वर्गदूतों की मदद और धरती के साथी देता हूँ। साथ ही, लगातार तालीम और सही समय पर ठीक-ठीक हिदायतें देता हूँ।” यहोवा हमसे जो करने के लिए कहता है, वह करना और उसके साथ मिलकर काम करना क्या ही बड़े सम्मान की बात है!’