नीतिवचन 20:1-30

20  दाख-मदिरा हँसी उड़ाती है+ और शराब हंगामा मचाती है,+इनसे बहकनेवाला बुद्धिमान नहीं।+   राजा का आतंक शेर की दहाड़ जैसा है,+उसे गुस्सा दिलानेवाला अपनी जान जोखिम में डालता है।+   जो झगड़ा करने से दूर रहता है, उसके लिए यह आदर की बात है,+लेकिन मूर्ख झगड़े में उलझता है।+   आलसी सर्दियों में जुताई नहीं करता,तभी कटाई के समय उसके पास कुछ नहीं होताऔर वह भीख माँगता फिरता है।*+   इंसान के दिल के विचार* गहरे पानी की तरह हैं,मगर पैनी समझ रखनेवाला इसे खींच निकालता है।   कई लोग अपने अटल प्यार का दम भरते हैं,मगर सच्चा इंसान बड़ी मुश्‍किल से मिलता है।   नेक जन अपना चालचलन निर्दोष बनाए रखता है,+ उसकी आनेवाली संतान* सुखी रहेगी।+   जब राजा न्याय करने राजगद्दी पर बैठता है,+तो एक ही नज़र में सारी बुराई छाँट लेता है।+   कौन कह सकता है, “मैंने अपना मन शुद्ध कर लिया,+मेरे पाप धुल गए”?+ 10  बेईमानी का बाट-पत्थर और झूठा पैमाना,*दोनों से यहोवा घिन करता है।+ 11  बच्चा* भी अपने कामों से दिखा देता हैकि वह सीधी और सही चाल चल रहा है या नहीं।+ 12  सुनने के लिए कान और देखने के लिए आँख,दोनों यहोवा ने बनाए हैं।+ 13  नींद से प्यार मत कर, वरना तू कंगाल हो जाएगा,+ अपनी आँखें खुली रख तब तू भरपेट खाएगा।+ 14  खरीदार कहता है, “चीज़ रद्दी है, एकदम रद्दी!”मगर वहाँ से चले जाने के बाद अपने सौदे पर शेखी मारता है।+ 15  सोना और मूंगे* कीमती होते हैं,पर उनसे भी कीमती हैं ज्ञान से भरे होंठ।+ 16  उस आदमी के कपड़े गिरवी रख ले, जो किसी अजनबी का ज़ामिन बना है+और अगर उसने बदचलन* औरत की वजह से अपनी चीज़ गिरवी रखी है, तो उसे वापस मत कर।+ 17  छल की रोटी एक इंसान को स्वादिष्ट लगती है,लेकिन बाद में उसका मुँह कंकड़-पत्थर से भर जाता है।+ 18  सलाह-मशविरा करने से योजनाएँ सफल* होती हैं,+सही मार्गदर्शन* लेकर अपनी जंग लड़।+ 19  जो दूसरों को बदनाम करना चाहता है, वह उनके राज़ बताता फिरता है,+जिसे गप्पे लड़ाना पसंद है उससे दोस्ती मत रख। 20  जो अपने माँ-बाप को कोसता है,अँधेरा होने पर उसका दीपक बुझ जाएगा।+ 21  चाहे एक इंसान लालच करके जायदाद पा भी ले,फिर भी अंत में उसे कोई आशीष नहीं मिलेगी।+ 22  यह मत कह, “मैं इस बुराई का बदला लूँगा।”+ यहोवा पर भरोसा रख,+ वह तेरी रक्षा करेगा।+ 23  बेईमानी के बाट-पत्थर* से यहोवा घिन करता है,तराज़ू में हेरा-फेरी करना सही नहीं। 24  यहोवा ही एक आदमी के कदमों को राह दिखाता है,+वरना उसे कहाँ पता किस राह जाना है। 25  उतावली में आकर मन्‍नत मानना और किसी चीज़ को अर्पित करना,+ फिर बाद में उस पर सोच-विचार करना एक फंदा है।+ 26  बुद्धिमान राजा दुष्टों को छाँटकर अलग करता है+और उन पर दाँवने का पहिया चलाता है।+ 27  इंसान की साँस यहोवा के लिए दीपक है,जो अंदर के इंसान पर रौशनी डालता है। 28  अटल प्यार और सच्चाई से राजा की हिफाज़त होती है,+अटल प्यार से उसकी राजगद्दी कायम रहती है।+ 29  जवानों की शान उनकी ताकत है+और बुज़ुर्गों की शोभा उनके सफेद बाल।+ 30  चोट और घाव बुराई दूर करते हैं+और मार इंसान को अंदर से शुद्ध करती है।

कई फुटनोट

या शायद, “कटाई के समय ढूँढ़ने पर भी उसे कुछ नहीं मिलता।”
या “इरादे।”
शा., “बेटे।”
या “दो अलग-अलग बाट-पत्थर और दो अलग-अलग माप के पैमाने।”
या “लड़का।”
शब्दावली देखें।
शा., “परदेसी।”
या “पक्की।”
या “बुद्धि-भरी सलाह।”
या “दो अलग-अलग बाट-पत्थर।”

अध्ययन नोट

तसवीर और ऑडियो-वीडियो