भजन 11:1-7
दाविद की रचना। निर्देशक के लिए हिदायत।
11 मैंने यहोवा की पनाह ली है।+
फिर तुम मुझसे क्यों कहते हो,“एक पंछी की तरह तुम सब अपने पहाड़ पर भाग जाओ!
2 देखो, दुष्टों ने कैसे अपनी कमान चढ़ा ली है,तीर से निशाना साध लिया हैताकि अँधेरे में छिपकर सीधे-सच्चे मनवालों पर तीर चलाएँ।
3 जब नींव* ही ढा दी जाए,तो नेक जन क्या कर सकता है?”
4 यहोवा अपने पवित्र मंदिर में है।+
यहोवा की राजगद्दी स्वर्ग में है।+
उसकी आँखें इंसानों को देखती हैं,उसकी पैनी नज़र* उन्हें जाँचती है।+
5 यहोवा नेक और दुष्ट, दोनों को जाँचता है,+हिंसा से प्यार करनेवाले से नफरत करता है।+
6 वह दुष्टों पर फंदे* बरसाएगा,उनके प्याले में आग, गंधक+ और झुलसानेवाली हवा होगी।
7 क्योंकि यहोवा नेक है,+ वह नेक कामों से प्यार करता है।+
सीधे-सच्चे लोग उसका मुख देखेंगे।*+
कई फुटनोट
^ या “न्याय की नींव।”
^ या “तेज़ चमकती आँखें।”
^ या शायद, “जलते अंगारे।”
^ या “उसकी कृपा पाएँगे।”