भजन 2:1-12
2 राष्ट्र क्यों गुस्से से उफन रहे हैं?देश-देश के लोग क्यों खोखली बात पर फुसफुसा रहे हैं?*+
2 धरती के राजा, यहोवा और उसके अभिषिक्त जन*+ के खिलाफ खड़े होते हैं,बड़े-बड़े अधिकारी मिलकर उनका विरोध* करते हैं।+
3 वे कहते हैं, “आओ, हम उनकी लगायी ज़ंजीरें तोड़ दें,उनकी रस्सियाँ काट फेंकें!”
4 स्वर्ग में विराजमान परमेश्वर उन पर हँसेगा,यहोवा उनका मज़ाक उड़ाएगा।
5 उस वक्त वह उन पर बरस पड़ेगा,अपनी जलजलाहट से उन्हें घबरा देगा।
6 वह उनसे कहेगा, “अपने पवित्र पहाड़ सिय्योन+ परमैंने अपने ठहराए राजा को राजगद्दी पर बिठाया है।”+
7 मैं यहोवा के फरमान का ऐलान करूँगा।उसने मुझसे कहा है, “तू मेरा बेटा है,+आज मैं तेरा पिता बना हूँ।+
8 मुझसे माँग, मैं तुझे विरासत में राष्ट्र दूँगा,पूरी धरती को तेरी जागीर बना दूँगा।+
9 तू लोहे के राजदंड से उन्हें तोड़ देगा,+मिट्टी के बरतन की तरह चकनाचूर कर देगा।”+
10 इसलिए राजाओ, अंदरूनी समझ से काम लो,धरती के न्यायियो, शिक्षा कबूल करो।*
11 यहोवा का डर मानते हुए उसकी सेवा करो,उसका गहरा आदर करो और आनंद मनाओ।
12 बेटे का सम्मान करो,*+ वरना परमेश्वर का* क्रोध भड़क उठेगाऔर तुम ज़िंदगी की राह से मिट जाओगे,+क्योंकि उसका गुस्सा कभी-भी भड़क सकता है।
सुखी हैं वे सब जो परमेश्वर की पनाह लेते हैं।
कई फुटनोट
^ या “मनन कर रहे हैं?”
^ या “उसके मसीह।”
^ या “आपस में सलाह।”
^ या “खबरदार हो जाओ।”
^ शा., “बेटे को चूमो।”
^ शा., “उसका।”