भजन 81:1-16

आसाप की रचना।+ गित्तीत* के सिलसिले में निर्देशक के लिए हिदायत। 81  परमेश्‍वर हमारी ताकत है,+ खुशी से उसकी जयजयकार करो। याकूब के परमेश्‍वर के लिए जीत के नारे लगाओ।   संगीत शुरू करो, डफली बजाओ,तारोंवाले बाजे के साथ मधुर बजनेवाला सुरमंडल बजाओ।   नए चाँद के मौके परऔर पूरे चाँद के अवसर पर, हमारे त्योहार के दिन+ नरसिंगा फूँको।+   क्योंकि यह इसराएल के लिए आदेश है,याकूब के परमेश्‍वर का हुक्म है।+   जब परमेश्‍वर मिस्र के खिलाफ उठा,+तब उसने यूसुफ के लिए उसे याद दिलानेवाली हिदायत ठहरायी।+ मैंने एक आवाज़* सुनी मगर उसे पहचाना नहीं:   “मैंने उसके कंधे से बोझ उतार दिया,+उसके हाथों को टोकरी ढोने से छुटकारा मिला।   संकट के दिन तूने मुझे पुकारा और मैंने तुझे छुड़ाया,+गरजते बादलों में* से तुझे जवाब दिया।+ मरीबा* के सोते के पास तुझे परखा।+ (सेला )   हे मेरी प्रजा सुन, मैं तेरे खिलाफ गवाही दूँगा। हे इसराएल काश! तू मेरी बात सुनता!+   तेरे बीच कोई पराया देवता नहीं होगा,तू दूसरे देश के किसी देवता के आगे दंडवत नहीं करेगा।+ 10  मैं यहोवा तेरा परमेश्‍वर हूँ,मैं तुझे मिस्र से निकाल लाया था।+ अपना मुँह पूरा खोल, मैं उसे भर दूँगा।+ 11  मगर मेरे लोगों ने मेरी एक न सुनी,इसराएल मेरे अधीन न रहा।+ 12  इसलिए मैंने उन्हें अपने ढीठ मन के मुताबिक चलने के लिए छोड़ दिया।उन्होंने वही किया जो उन्हें सही लगा।*+ 13  काश, मेरे लोग मेरी बात सुनते!+काश, इसराएल मेरी राहों पर चलता!+ 14  तब मैं उनके दुश्‍मनों को फौरन हरा देता,उनके बैरियों को धूल चटा देता।+ 15  यहोवा से नफरत करनेवाले उसके सामने दुबक जाएँगे,वे हमेशा सज़ा भुगतते रहेंगे। 16  मगर तुझे* वह सबसे बढ़िया गेहूँ खिलाएगा+और चट्टान से निकलनेवाला शहद खिलाकर तुझे संतुष्ट करेगा।”+

कई फुटनोट

शब्दावली देखें।
या “भाषा।”
शा., “गरजन की गुप्त जगह।”
मतलब “झगड़ा करना।”
शा., “वे अपनी ही साज़िशों के मुताबिक चले।”
शा., “उसे” यानी परमेश्‍वर के लोगों को।

अध्ययन नोट

तसवीर और ऑडियो-वीडियो