भजन 88:1-18
कोरह के वंशजों का सुरीला गीत।+ निर्देशक के लिए हिदायत: यह गीत बारी-बारी से महलत की शैली* में गाया जाए। जेरह के वंशज हेमान+ का मश्कील।*
88 हे यहोवा, मेरे उद्धारकर्ता परमेश्वर,+दिन को मैं तुझे पुकारता हूँ,रात को भी मैं तेरे सामने आता हूँ।+
2 मेरी प्रार्थना तेरे पास पहुँचे,+मेरी मदद की पुकार पर कान लगा।*+
3 क्योंकि मैं पीड़ा से भरा हुआ हूँ,+मैं कब्र की दहलीज़ तक पहुँच गया हूँ।+
4 मुझे अभी से उनमें गिना जा रहा है जो जल्द ही गड्ढे* में जानेवाले हैं,+मैं बिलकुल लाचार हो गया हूँ,*+
5 मुझे मुरदों के बीच छोड़ दिया गया है,मैं उनके जैसा हो गया हूँ जो घात होकर कब्र में पड़े हैं,जिन्हें अब तू याद नहीं करता,जिन पर अब तेरा साया* नहीं रहा।
6 तूने मुझे गहरी खाई में फेंक दिया है,उस बड़े अथाह-कुंड में, जहाँ अँधेरा ही अँधेरा है।
7 तेरे क्रोध के बोझ से मैं दबा जा रहा हूँ,+तूने अपनी विनाशकारी लहरों से मुझे घेर लिया है। (सेला )
8 तूने मेरे जान-पहचानवालों को मुझसे दूर भगा दिया है,+मुझे उनकी नज़र में घिनौना बना दिया है।
मैं फँस गया हूँ, निकलने का कोई रास्ता नहीं।
9 पीड़ा से मेरी आँखें धुँधली पड़ गयी हैं।+
हे यहोवा, मैं सारा दिन तुझे पुकारता रहता हूँ,+हाथ फैलाकर दुआ करता हूँ।
10 क्या तू मरे हुओं की खातिर करिश्मे करेगा?
क्या मुरदे उठकर तेरी तारीफ कर सकते हैं?+ (सेला )
11 क्या कब्र में तेरे अटल प्यार काऔर विनाश की जगह* तेरी वफादारी का बखान किया जाएगा?
12 क्या तेरे आश्चर्य के काम, अंधकार की जगहया तेरी नेकी अज्ञानता की जगह जानी जाएगी?+
13 फिर भी हे यहोवा, मैं मदद के लिए तुझे पुकारता हूँ,+हर सुबह अपनी प्रार्थना तेरे सामने रखता हूँ।+
14 हे यहोवा, तू क्यों मुझे ठुकरा देता है?+
क्यों मुझसे अपना मुँह फेर लेता है?+
15 बचपन से ही मैं दुख झेलता आया हूँ, मौत से जूझता रहा हूँ,+तू मुझ पर भयानक विपत्तियाँ आने देता है,उन्हें सहते-सहते मैं बेजान हो गया हूँ।
16 तेरे क्रोध की लपटों ने मुझे घेर लिया है।+तेरा खौफ मुझे खाए जा रहा है।
17 तेरा खौफ मुझे सारा दिन समुंदर की लहरों की तरह घेरे रहता है,चारों तरफ से* मुझ पर हावी हो जाता है।
18 तूने मेरे दोस्तों और साथियों को मुझसे बहुत दूर भगा दिया है,+अब अँधेरा ही मेरा साथी है।
कई फुटनोट
^ या “झुककर मेरी मदद की पुकार सुन।”
^ या “मैं ऐसे आदमी की तरह बन गया हूँ जिसमें ताकत नहीं है।”
^ या “कब्र।”
^ शा., “हाथ।”
^ या शायद, “अचानक।”