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उसकी परवाह देखकर वह पिघल गया

उसकी परवाह देखकर वह पिघल गया

भारत के गुजरात राज्य के एक छोटे-से कसबे में जॉन का परिवार रहता था। करीब 60 साल पहले उसके पिता यहोवा के एक साक्षी बनें। जॉन, उसकी माँ और उसके पाँच भाई-बहन कट्टर रोमन कैथोलिक थे। इस वजह से जॉन और उसका परिवार अपने पिता के विश्वास को पसंद नहीं करते थे।

एक दिन जॉन के पिता ने उसे एक चिट्ठी दी और कहा कि वह जाकर उनकी मंडली के एक भाई को दे आए। उसी सुबह जॉन, टीन का एक ड्रम खोल रहा था कि उसके दाहिने हाथ की एक उँगली बुरी तरह कट गयी। हालाँकि बहुत खून बह रहा था मगर जॉन अपने पिता की बात नहीं टालना चाहता था। इसलिए उसने जैसे-तैसे खून रोकने के लिए घाव पर कपड़ा बाँधा और चिट्ठी पहुँचाने के लिए पैदल निकल पड़ा।

जब जॉन उस भाई के घर पहुँचा तो उसने उसकी पत्नी को वह चिट्ठी दी। वह यहोवा की एक साक्षी थी। बहन ने देखा कि जॉन की उँगली पर चोट लगी है। उसने उसे बैठने को कहा और उसके घाव को साफ किया, उस पर दवा लगायी और पट्टी बाँधी। फिर उसने जॉन के लिए गरमा-गरम चाय बनायी। इस दौरान वह बड़े प्यार से उसे बाइबल के बारे में बता रही थी।

उसकी परवाह देखकर जॉन थोड़ा-थोड़ा पिघलने लगा। वह सोचने लगा, “शायद साक्षियों के बारे में मेरी राय गलत है।” जॉन जानना चाहता था कि यहोवा के साक्षियों की शिक्षाएँ कैथोलिक चर्च से अलग क्यों हैं। इसलिए उसने बहन से दो सवाल किए: क्या यीशु परमेश्वर है? क्या मसीहियों को मरियम से प्रार्थना करनी चाहिए? उस बहन ने जॉन की मातृ-भाषा गुजराती सीखी थी, इसलिए वह उसकी भाषा में जवाब दे पायी। उसने बाइबल से उसके सवालों के जवाब दिए और “राज्य का यह सुसमाचार” बुकलेट भी दी।

बाद में जब जॉन ने बुकलेट पढ़ना शुरू किया तो उसे एहसास हुआ कि यही सच्चाई है। वह अपने पादरी के पास गया और उसने उससे वही दो सवाल किए। इस पर पादरी इतना भड़क उठा कि उसने जॉन पर बाइबल फेंकी। फिर चिल्लाकर उसने कहा, “तू शैतान बन गया है! बता, बाइबल में कहाँ लिखा है कि यीशु परमेश्वर नहीं है। कहाँ बताया गया है कि हमें मरियम से प्रार्थना नहीं करनी चाहिए? दिखा सकता है तू?” पादरी के इस व्यवहार से जॉन को इतना धक्का लगा कि उसने पादरी से कहा, “मैं कैथोलिक चर्च में कभी वापस नहीं आऊँगा!” जॉन ने जो कहा, वही किया!

जॉन साक्षियों के साथ अध्ययन करने लगा। उसने सच्ची उपासना करने का फैसला किया और यहोवा की सेवा करने लगा। आगे चलकर उसके परिवार के कई सदस्यों ने भी ऐसा किया। आज भी जब जॉन अपनी उँगली को देखता है, तो उसे वह घटना याद आती है कि कैसे 60 साल पहले उस बहन ने उसके लिए परवाह दिखायी थी। इसी परवाह की वजह से वह आज यहोवा की उपासना कर रहा है।​—2 कुरिं. 6:4, 6.