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परिवार के लिए मदद | शादी का बंधन

क्या करें जब पसंद-नापसंद मिलती न हो

क्या करें जब पसंद-नापसंद मिलती न हो

चुनौती

आपको खेल-कूद पसंद है, लेकिन आपके जीवन-साथी को पढ़ना। आप हर काम बहुत तरतीब से करते हैं, लेकिन आपका साथी नहीं करता। आपको लोगों के साथ उठना-बैठना पसंद है, लेकिन आपका साथी अकेला रहना पसंद करता है।

आप शायद सोचें, ‘हम दोनों की पसंद-नापसंद बिलकुल अलग है! हमने इस बात पर तब क्यों नहीं ध्यान दिया, जब हम शादी से पहले एक-दूसरे से मिलते थे?’

बेशक, आपने इन बातों पर कुछ हद तक ज़रूर ध्यान दिया होगा। लेकिन जिस तरह आप शादी से पहले उसकी बातें मानने के लिए तुरंत राज़ी हो जाते थे, उसी तरह शादी के बाद भी कीजिए। यह लेख ऐसा करने में आपकी मदद करेगा। सबसे पहले आइए देखें कि किस वजह से पति-पत्नी के बीच मतभेद हो सकते हैं।

आपको क्या मालूम होना चाहिए?

कई बार दो लोगों की पसंद-नापसंद में दिन-रात का फर्क होता है। शादी से पहले मुलाकातें करने की एक अहम वजह यह होती है कि हम यह जान सकें कि दोनों की पसंद-नापसंद किस हद तक मिलती है। इसलिए जब एक-दूसरे से मुलाकात करके लोग पाते हैं कि उनकी पसंद-नापसंद में बहुत फर्क है, तो वे यह फैसला कर लेते हैं कि वे इस रिश्ते को आगे नहीं बढ़ाएँगे। लेकिन अगर आपकी पसंद-नापसंद में बस थोड़ा-बहुत फर्क है, जो कि हर रिश्ते में होता है, तब आप क्या कर सकते हैं?

हर किसी की पसंद-नापसंद एक-जैसी नहीं होती। तो फिर ज़ाहिर-सी बात है कि पति-पत्नी की पसंद-नापसंद भी हमेशा एक-जैसी नहीं होगी। ज़रा इन बातों पर गौर कीजिए:

शौक। अदिती * कहती है, “मेरे पति को बचपन से ही जंगल के रास्तों से सफर करने और बर्फीली पहाड़ियों पर चढ़ने का शौक रहा है। लेकिन मुझे कभी इनका शौक नहीं रहा है।”

आदतें। समीर कहता है, “मेरी पत्नी रात देर तक जागकर भी सुबह 5 बजे उठ जाती है। लेकिन मुझे 7 से 8 घंटे की नींद चाहिए ही चाहिए, नहीं तो मैं बहुत चिढ़-चिढ़ा हो जाता हूँ।”

स्वभाव। हो सकता है कि आप थोड़े शर्मीले हों, लेकिन आपका जीवन-साथी खुलकर बात करता हो। इस बारे में दीप कहता है, “मैं जिस माहौल में पला-बढ़ा, वहाँ हम अपनी समस्याओं के बारे में खुलकर बात नहीं करते थे, लेकिन मेरी पत्नी के परिवार में सभी हर बात पर खुलकर बातचीत करते थे।”

पसंद-नापसंद अलग होना कुछ हद तक फायदेमंद है। हर्षिता कहती है, “हो सकता है कि मेरे काम करने का तरीका सही हो, लेकिन ज़रूरी नहीं कि वह काम सिर्फ उसी तरीके से किया जा सकता है।”

आप क्या कर सकते हैं?

एक दूसरे का साथ दीजिए। अखिल कहता है, “मेरी पत्नी कनिका को खेल-कूद में ज़रा भी दिलचस्पी नहीं है। लेकिन वह मेरे साथ कई बार मैच देखने के लिए आयी है और उसका पूरा-पूरा मज़ा लिया है। और कनिका को आर्ट म्यूज़ियम जाना बहुत पसंद है, इसलिए मैं उसके साथ वहाँ जाता हूँ और वह वहाँ जितना वक्‍त बिताना चाहती है, मैं उतनी देर उसके साथ रहता हूँ। उसे चित्र देखना अच्छा लगता है, इसलिए मैं भी उन्हें देख लेता हूँ।”—पवित्र शास्त्र से सलाह: 1 कुरिंथियों 10:24.

मामले को दूसरों की नज़र से देखिए। शायद किसी मामले में आपके जीवन-साथी की सोच आपसे मिलती न हो, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि उसका सोचना गलत है। इस बारे में आलोक बताता है, “मुझे हमेशा लगता था कि किसी काम को ठीक से करने का सिर्फ एक ही तरीका हो सकता है। लेकिन शादी के बाद मैंने यह जाना कि हरेक काम को करने के बहुत-से तरीके हो सकते हैं और हर तरीके के अपने फायदे होते हैं।”—पवित्र शास्त्र से सलाह: 1 पतरस 5:5.

हद-से-ज़्यादा की उम्मीद मत कीजिए। यह ज़रूरी नहीं कि आपकी शादीशुदा ज़िंदगी सिर्फ तभी कामयाब होगी, जब आप दोनों की पसंद-नापसंद बिलकुल एक-जैसी हो। इसलिए अगर आप दोनों के बीच कुछ मतभेद हो जाते हैं, तो इसका यह मतलब नहीं कि आपने अपने साथी से शादी करके बहुत बड़ी गलती कर दी। तलाक के खिलाफ मुकद्दमा (अँग्रेज़ी) नाम की एक किताब कहती है, ‘बहुत-से लोग यह बहाना बनाते हैं कि “मैं उसके प्यार में अंधा हो गया था।” लेकिन हर वह दिन जो आपने एक-दूसरे के साथ खुशी-खुशी बिताया है, वह इस बात का सबूत है कि चाहे आप दोनों की पसंद-नापसंद अलग क्यों न हो, फिर भी आप एक-दूसरे से प्यार कर सकते हैं।’ तो क्यों न आप इस सलाह को मानने की कोशिश करें, “अगर किसी के पास दूसरे के खिलाफ शिकायत की कोई वजह है, तो एक-दूसरे की सहते रहो।”—कुलुस्सियों 3:13.

इसे आज़माइए: लिखिए कि आपको अपने साथी की कौन-सी बातें अच्छी लगती हैं और किन मामलों में आपकी पसंद एक जैसी है। फिर वे बातें भी लिखिए, जिनमें आपकी दोनों की सोच आपस में नहीं मिलती। ऐसा करने से आप पाएँगे कि जिन मामलों में आपकी पसंद-नापसंद एक दूसरे से अलग है, वे शायद इतनी बड़ी बात न हो। इस तरह लिखने से आपको यह भी पता चलेगा कि किन मामलों में आप अपने पति या पत्नी का साथ दे सकते हैं। कमल कहता है, “जब मेरी पत्नी मेरा साथ देती है, तो मुझे अच्छा लगता है। और मुझे पता है कि जब मैं उसका साथ देता हूँ, तो उसे भी अच्छा लगता है। उसकी खुशी में मेरी खुशी है, चाहे उसके लिए मुझे कोई भी त्याग क्यों न करना पड़े।”—पवित्र शास्त्र से सलाह: फिलिप्पियों 4:5. ▪ (g15-E 12)

^ पैरा. 10 इस लेख में कुछ नाम बदल दिए गए हैं।