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बाइबल क्या कहती है?

दुख-तकलीफें

दुख-तकलीफें

कई लोगों का मानना है कि ईश्वर ही इंसानों पर दुख-तकलीफें लाता है, तो कुछ का मानना है कि इंसान जीए या मरे ईश्वर को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। लेकिन आपको शायद यह जानकर हैरानी हो कि इस बारे में पवित्र किताब बाइबल क्या सिखाती है।

क्या परमेश्वर हम पर दुख-तकलीफें लाता है?

“निःसन्देह ईश्वर दुष्टता नहीं करता।”अय्यूब 34:12.

लोग क्या कहते हैं

कुछ लोग कहते हैं कि ऊपरवाले की मरज़ी के बिना एक पत्ता भी नहीं हिलता। इसलिए वे मानते हैं कि ईश्वर ही हम पर दुख-तकलीफें लाता है। उदाहरण के लिए, जब भूकंप, तूफान वगैरह का लोगों की ज़िंदगी पर असर पड़ता है, तो उन्हें लगता है कि ईश्वर ने पापियों को सज़ा देने के लिए ऐसा किया है।

बाइबल क्या कहती है

बाइबल में साफ-साफ लिखा है कि परमेश्वर हम पर दुख-तकलीफें नहीं लाता। उदाहरण के लिए, बाइबल बताती है कि जब हम तकलीफों से गुज़रते हैं, तो हमें ऐसा नहीं कहना चाहिए कि “परमेश्वर मेरी परीक्षा ले रहा है।” क्यों? “क्योंकि न तो बुरी बातों से परमेश्वर को परीक्षा में डाला जा सकता है, न ही वह खुद बुरी बातों से किसी की परीक्षा लेता है।” (याकूब 1:13) दूसरे शब्दों में कहें, तो परमेश्वर हम पर समस्याएँ नहीं लाता, और न ही वह उनसे होनेवाली दुख-तकलीफों के लिए ज़िम्मेदार है। ऐसा करना गलत है, और बाइबल बताती है कि “ईश्वर दुष्टता नहीं करता।”—अय्यूब 34:12.

अगर परमेश्वर हम पर दुख-तकलीफें नहीं लाता है, तो फिर इसके पीछे किसका हाथ है? दुख की बात है कि कई बार खुद इंसान ही इंसान पर तकलीफ लाता है। (सभोपदेशक 8:9) इसके अलावा, हो सकता है “संयोग” की वजह से हम पर मुसीबतें आएँ, यानी हालात हमारे बस में न होने की वजह से हमें तकलीफों का सामना करना पड़ सकता है। (सभोपदेशक 9:11) और सबसे बढ़कर, परमेश्वर का दुश्मन और “इस दुनिया का राजा,” यानी शैतान इंसानों की दुख-तकलीफों के लिए ज़िम्मेदार है, क्योंकि बाइबल बताती है कि “सारी दुनिया शैतान के कब्ज़े में पड़ी हुई है।” (यूहन्ना 12:31; 1 यूहन्ना 5:19) इसका मतलब है कि परमेश्वर नहीं, बल्कि शैतान इंसानों पर दुख-तकलीफें लाता है।

क्या परमेश्वर को कोई फर्क पड़ता है कि हम पर क्या बीत रही है?

“उनके सारे संकट में उस ने भी कष्ट उठाया।”यशायाह 63:9.

लोग क्या कहते हैं

कुछ लोगों को लगता है कि हमें दुख-तकलीफ झेलता में देखकर ईश्वर को कोई फर्क नहीं पड़ता। उदाहरण के लिए, एक लेखक कहता है कि इंसानों को तकलीफ में देखकर ईश्वर को उन पर ज़रा भी दया नहीं आती। वह कहता है कि अगर कोई ईश्वर है, तो उसे कोई फर्क नहीं पड़ता कि हम पर क्या बीत रही है।

बाइबल क्या कहती है

बाइबल ऐसा नहीं बताती कि परमेश्वर को हमारी कोई परवाह नहीं, या उसे हम पर ज़रा भी दया नहीं आती। इसके बजाय, बाइबल सिखाती है कि हमें तकलीफों में देखकर परमेश्वर तड़प उठता है और बहुत जल्द वह हमारी सभी दुख-तकलीफों को खत्म कर देगा। आइए बाइबल में दी ऐसी तीन सच्चाइयों पर ध्यान दें, जिनसे हमें बहुत तसल्ली मिलती है।

परमेश्वर जानता है कि हम किन तकलीफों से गुज़र रहे हैं। जब से इंसानों पर दुख-तकलीफों का कहर टूटा है, यहोवा ने हमारी किसी भी दुख-तकलीफ को अनदेखा नहीं किया है। पवित्र शास्त्र बताता है कि उसकी ‘आँखें मनुष्य को देखती रहती हैं,’ यानी उसकी नज़रों से कुछ नहीं छिपा है। (भजन 11:4; 56:8) उदाहरण के लिए, जब पुराने ज़माने में उसकी उपासना करनेवालों पर ज़ुल्म ढाए जा रहे थे, तो परमेश्वर ने कहा, “निश्चय मैंने . . . अपनी प्रजा की पीड़ा को देखा है।” लेकिन क्या परमेश्वर वाकई उनकी तकलीफ से वाकिफ था? जी हाँ, क्योंकि वह कहता है, “मैं उनके दुखों को जानता हूं।” (निर्गमन 3:7, अ न्यू हिंदी ट्रांस्लेशन) कई लोगों को यह जानने से बहुत तसल्ली मिली है कि परमेश्वर हमारी सभी परेशानियों के बारे में जानता है, उन परेशानियों के बारे में भी, जिसके बारे में दूसरे नहीं जानते।—भजन 31:7; नीतिवचन 14:10.

जब हम पर तकलीफें आती हैं, तो परमेश्वर को दुख होता है। यहोवा परमेश्वर जानता है कि इंसान किन-किन दुख-तकलीफों से गुज़र रहे हैं। और हमें तकलीफ में देखकर उसे बहुत दुख होता है। मिसाल के लिए, जब पुराने ज़माने में उसके उपासकों ने मुश्किलों का सामना किया, तो पवित्र शास्त्र बताता है, “उनके सारे संकट में उस ने भी कष्ट उठाया।” (यशायाह 63:9) हालाँकि परमेश्वर और इंसानों की सोच के बीच ज़मीन-आसमान का फर्क है, फिर भी जब इंसान दुख-तकलीफों का सामना करते हैं, तो परमेश्वर का दिल तड़प उठता है! सच, “यहोवा गहरी करुणा दिखाता है और दयालु परमेश्वर है।” (याकूब 5:11) यही नहीं, यहोवा हमें अपनी दुख-तकलीफों को सहने की ताकत भी देता है।—फिलिप्पियों 4:12, 13.

परमेश्वर इंसानों की सभी दुख-तकलीफें खत्म कर देगा। बाइबल बताती है कि परमेश्वर इस धरती पर रहनेवाले हर इंसान की दुख-तकलीफें खत्म कर देगा। जब यहोवा परमेश्वर का राज आएगा, तो इंसानों के हालात पूरी तरह बदल जाएँगे। बाइबल बताती है कि उस वक्‍त परमेश्वर “उनकी आँखों से हर आँसू पोंछ देगा, और न मौत रहेगी, न मातम, न रोना-बिलखना, न ही दर्द रहेगा। पिछली बातें खत्म हो चुकी हैं।” (प्रकाशितवाक्य 21:4) यही नहीं, बाइबल में लिखा है कि जो लोग मर चुके हैं, परमेश्वर उन्हें दोबारा ज़िंदा करेगा। और वे इस धरती पर बिना किसी दुख-तकलीफ के खुशी-खुशी जीएँगे। (यूहन्ना 5:28, 29) फिर कभी हम बीते कल की बुरी बातें याद करके मायूस नहीं होंगे। यहोवा वादा करता है, “पहली बातें स्मरण [या याद] न रहेंगी और सोच विचार में भी न आएँगी।”—यशायाह 65:17. * ▪ (g15-E 01)

^ पैरा. 15 परमेश्वर ने कुछ वक्‍त के लिए दुख-तकलीफों को क्यों रहने दिया है, और वह कैसे इन्हें खत्म करेगा, यह जानने के लिए बाइबल असल में क्या सिखाती है? नाम की किताब के अध्याय 8 और अध्याय 11 देखिए। इसे यहोवा के साक्षियों ने प्रकाशित किया है।