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जाऊँ मैं किसके पास?

जाऊँ मैं किसके पास?
  1. 1. यीशु की हर इक बात पे

    मन लगाया मैंने;

    वो सुलझाए राह

    इस उलझी दुन्‌-या में।

    यकीं वो दिलाए

    है वो जीवन की राह;

    सँभाले मुझे,

    ना हो जाऊँ गुमराह।

    (प्री-कोरस 1)

    क्यूँ किसी गैर की सुनूँ?

    फरेबी से दूर मैं भागूँ।

    जाल हैं बिछाते ये,

    फँस जाऊँ फिर क्यूँ इन में?

    (कोरस)

    तो जाऊँ मैं पास किसके?

    मेरे लिए दी जान यीशु ने।

    फिर छोड़ूँ मैं क्यूँ उसे?

    आवाज़ किसी गैर की

    मुझे ले डूबेगी;

    सदा मानूँ यीशु जो कहे।

  2. 2. सुनके आवाज़ यीशु की

    होता एहसास मुझे,

    महफूज़ चल सकूँ

    जीवन-भर इस राह पे।

    चरवाहा है यीशु,

    चुना याह ने उसे।

    जीवन के पानी तक

    मुझे ले जाए।

    (प्री-कोरस 2)

    क्यूँ किसी की सुनूँ?

    फरेबी से दूर मैं भागूँ।

    जाल हैं बिछाते ये,

    फँस जाऊँ फिर क्यूँ इन में?

    (कोरस)

    तो जाऊँ मैं पास किसके?

    मेरे लिए दी जान यीशु ने।

    फिर छोड़ूँ मैं क्यूँ उसे?

    आवाज़ किसी गैर की

    मुझे ले डूबेगी;

    सदा मानूँ यीशु जो कहे।

    (कोरस)

    तो जाऊँ मैं पास किसके?

    मेरे लिए दी जान यीशु ने।

    फिर छोड़ूँ मैं क्यूँ उसे?

    आवाज़ किसी गैर की

    मुझे ले डूबेगी;

    सदा मानूँ यीशु जो कहे।

    (आखिरी पंक्‍तियाँ)

    तो जाऊँ मैं पास किसके?

    ना छोड़ूँ कभी भी मैं ये राह।