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बाइबल की शब्दावली

  • अंकुश:

    एक लंबा छड़ जिसका एक सिरा धातु से बना होता था और नुकीला होता था। इससे किसान अपने जानवर को कोंचता था। अंकुश की तुलना बुद्धिमान इंसान की बातों से की गयी है जो सुननेवालों को बुद्धि-भरी सलाह पर चलने के लिए उभारती हैं। ‘अंकुश पर लात मारना’ एक अलंकार है, जो इस बात से लिया गया है कि जब एक ढीठ बैल को बार-बार कोंचा जाता है तो वह इसका विरोध करता है, अंकुश पर लात मारता है और खुद को ही चोट पहुँचाता है।—प्रेष 26:14, फु.; न्या 3:31, फु.

  • अंगूर रौंदने का हौद:

    इसमें आम तौर पर दो हौद होते थे जो चूने-पत्थर की चट्टान से काटकर बनाए जाते थे। एक हौद ऊँचे पर रखा जाता था और दूसरा नीचे। दोनों हौदों के बीच एक छोटी-सी नाली बनी होती थी। ऊँचाई पर रखे हौद में अंगूर रौंदे जाते थे और उनका रस बहकर नीचेवाले हौद में जाता था। ये शब्द परमेश्‍वर की तरफ से मिलनेवाली सज़ा को दर्शाने के लिए भी इस्तेमाल हुए हैं।—यश 5:2; प्रक 19:15.

  • अखाया:

    मसीही यूनानी शास्त्र में दक्षिणी यूनान का रोमी प्रांत जिसकी राजधानी कुरिंथ थी। अखाया में पेलोपोनीस का पूरा इलाका और यूनान के महाद्वीप का मध्य भाग भी आता था। (प्रेष 18:12)—अति. ख13 देखें।

  • अच्छे-बुरे के ज्ञान का पेड़:

    अदन के बाग में लगा एक पेड़, जो इस बात की निशानी था कि इंसान के लिए क्या “अच्छा” है, क्या “बुरा,” यह स्तर ठहराने का अधिकार सिर्फ परमेश्‍वर को है।—उत 2:9, 17.

  • अजाजेल:

    एक इब्रानी नाम जिसका शायद मतलब है, “वह बकरा जो गायब हो जाता है।” प्रायश्‍चित के दिन जिस बकरे को अजाजेल के लिए चुना जाता था, उसे वीराने में छोड़ दिया जाता था। यह इस बात को दर्शाता था कि वह बकरा, इसराएल राष्ट्र के पापों को उठा ले गया जो उसने बीते साल में किए थे।—लैव 16:8, 10.

  • अटल प्यार:

    इब्रानी शब्द कसद का अनुवाद अकसर अटल प्यार किया गया है। जब कोई वफादारी, गहरे लगाव और साथ निभाने के पक्के इरादे की वजह से प्यार करता है तो उसे अटल प्यार कहते हैं। ऐसा प्यार अकसर परमेश्‍वर इंसानों से करता है, मगर दो इंसानों के बीच भी यह प्यार देखा जाता है।—निर्ग 34:6; रूत 3:10.

  • अदार:

    बैबिलोन की बँधुआई से लौटनेवाले यहूदियों के पवित्र कैलेंडर का 12वाँ महीना और कृषि कैलेंडर का छठा महीना। यह महीना, फरवरी के बीच से मार्च के बीच तक का होता था। (एस 3:7)—अति. ख15 देखें।

  • अथाह-कुंड:

    इसका यूनानी शब्द एबिसोस है जिसका मतलब है, “बहुत गहरा” या “जिसकी कोई थाह या सीमा नहीं।” यह शब्द मसीही यूनानी शास्त्र में कैद होने की हालत बताने या फिर ऐसी जगह बताने के लिए इस्तेमाल हुआ है जहाँ किसी को कैद किया जाता है। इस शब्द का एक मतलब कब्र भी हो सकता है।—लूक 8:31; रोम 10:7; प्रक 20:3.

  • अपराध:

    नियम या कानून तोड़ना। बाइबल में इसे “पाप” भी कहा गया है।—भज 51:3; रोम 5:14.

  • अबद्दोन:

    इब्रानी में इसका मतलब है, “विनाश।” इसका मतलब “विनाश की जगह” भी हो सकता है। मगर यह कोई सचमुच की जगह नहीं है। यह शायद इस बात को दर्शाता है कि इंसान की लाश सड़कर मिट्टी में मिल जाती है। (भज 88:11; अय 26:6; 28:22; नीत 15:11) लेकिन प्रकाशितवाक्य 9:11 में “अबद्दोन” एक नाम के तौर पर इस्तेमाल हुआ है। यह नाम ‘अथाह-कुंड के स्वर्गदूत’ को दिया गया है।

  • अभिषेक:

    इसके इब्रानी शब्द का मतलब है, तेल या कोई द्रव्य लगाना। किसी इंसान या चीज़ पर तेल उँडेलना या लगाना इस बात की निशानी होता था कि उसे किसी खास सेवा के लिए अलग ठहराया गया है। मसीही यूनानी शास्त्र में यह शब्द तब भी इस्तेमाल हुआ है जब स्वर्ग जाने की आशा रखनेवालों पर पवित्र शक्‍ति उँडेली जाती है।—निर्ग 28:41; 1शम 16:13; 2कुर 1:21.

  • अराम; अरामी:

    शेम के बेटे अराम के वंशज, जो लबानोन पहाड़ों से लेकर मेसोपोटामिया तक और उत्तर में टोरस पहाड़ों से लेकर नीचे दमिश्‍क और दूर दक्षिण तक के इलाकों में रहते थे। यह इलाका इब्रानी में अराम कहलाता था। बाद में यह सीरिया के नाम से जाना गया और उसके निवासियों को सीरियाई लोग कहा गया।—उत 25:20; व्य 26:5; हो 12:12.

  • अरामी भाषा:

    यह इब्रानी से काफी मिलती-जुलती है और दोनों की वर्णमाला भी एक है। शुरू-शुरू में सिर्फ अरामी लोग इसे बोलते थे, मगर आगे चलकर यह अश्‍शूरी और बैबिलोनी साम्राज्यों की अंतर्राष्ट्रीय भाषा बन गयी जिसे व्यापार और बातचीत के लिए इस्तेमाल किया जाता था। फारसी साम्राज्य के दरबार में भी यही भाषा इस्तेमाल होती थी। (एज 4:7) एज्रा, यिर्मयाह और दानियेल के कुछ हिस्से अरामी भाषा में लिखे गए थे।—एज 4:8–6:18; 7:12-26; यिर्म 10:11; दान 2:4ख–7:28.

  • अरियुपगुस:

    एथेन्स की एक ऊँची पहाड़ी, जो एक्रोपोलिस के उत्तर-पश्‍चिम में थी। यह उस परिषद्‌ (या अदालत) का नाम भी था जो वहाँ बैठक रखता था। स्तोइकी और इपिकूरी दार्शनिक पौलुस को अरियुपगुस लाए थे ताकि वह अपने विश्‍वास के बारे में बताए।—प्रेष 17:19.

  • अर्घ:

    दाख-मदिरा का चढ़ावा, जो वेदी पर उँडेला जाता था और ज़्यादातर चढ़ावों के साथ दिया जाता था। पौलुस ने इस शब्द का इस्तेमाल लाक्षणिक तौर पर यह बताने के लिए किया कि वह किस तरह अपने मसीही भाई-बहनों के लिए खुद को पूरी तरह देने के लिए तैयार है।—गि 15:5, 7; फिल 2:17.

  • अलामोत:

    संगीत से जुड़ा शब्द, जिसका मतलब है “कुँवारियाँ; लड़कियाँ।” शायद यह लड़कियों के सबसे ऊपर के सुर में गाने की तरफ इशारा करता है। अलामोत शायद यह बताने के लिए लिखा जाता था कि संगीत सबसे ऊँचे सुर में बजाया जाए।—1इत 15:20; भज 46:उप.

  • अल्फा और ओमेगा:

    ये यूनानी वर्णमाला के पहले और आखिरी अक्षर हैं। ये शब्द तीन बार प्रकाशितवाक्य में परमेश्‍वर की उपाधि के तौर पर इस्तेमाल हुए हैं। इन आयतों में इन शब्दों का मतलब है, “पहला और आखिरी” और “शुरूआत और अंत।”—प्रक 1:8, फु.; 21:6; 22:13.

  • अशतोरेत:

    कनानियों की एक देवी जिसे युद्ध और प्रजनन की देवी और बाल देवता की पत्नी माना जाता था।—1शम 7:3.

  • अशुद्ध:

    इसका मतलब शरीर की गंदगी या फिर नैतिक उसूलों को तोड़ना हो सकता है। मगर बाइबल में अकसर इसका मतलब है, ऐसा कुछ भी जो मूसा के कानून के मुताबिक शुद्ध नहीं या जिसे स्वीकार नहीं किया जा सकता। (लैव 5:2; 13:45; प्रेष 10:14; इफ 5:5)—शुद्ध देखें।

  • आँगन:

    पवित्र डेरे में एक आँगन था जिसके चारों तरफ कनातें लगी थीं। बाद में मंदिर की खास इमारत के चारों तरफ भी आँगन बनाया गया था। पवित्र डेरे के आँगन में और मंदिर के भीतरी आँगन में होम-बलि की वेदी रखी गयी थी। (अति. ख5, ख8, ख11 देखें।) बाइबल में घर और महल के आँगनों का भी ज़िक्र मिलता है।—निर्ग 8:13; 27:9; 1रा 7:12; एस 4:11; मत 26:3.

  • आखिरी दिन:

    ये शब्द और इससे मिलते-जुलते शब्द, ‘अंत का समय’ बाइबल की भविष्यवाणियों में इस्तेमाल हुए हैं। इसका मतलब है, भविष्यवाणी में बताए परमेश्‍वर के न्याय के समय से पहले का दौर और उसमें घटनेवाली घटनाएँ। (यहे 38:16; दान 8:17; प्रेष 2:17) भविष्यवाणी किस बारे में है, उससे तय होता है कि यह दौर कुछ सालों का है या कई सालों का। बाइबल में ये शब्द खासकर आज की दुनिया की व्यवस्था के ‘आखिरी दिनों’ के लिए इस्तेमाल हुए हैं जब यीशु की मौजूदगी चल रही है।—2ती 3:1; याकू 5:3; 2पत 3:3.

  • आग उठाने के करछे:

    सोने-चाँदी या ताँबे के बरतन। ये करछे, पवित्र डेरे और मंदिर में धूप जलाने, बलिदान की वेदी से कोयला हटाने और सोने की दीवट से बुझायी बाती हटाने के लिए इस्तेमाल होते थे। इन्हें धूपदान भी कहा जाता था।—निर्ग 37:23; 2इत 26:19; इब्र 9:4.

  • आग की झील:

    एक लाक्षणिक जगह, जो “आग और गंधक से जलती रहती है।” इसे “दूसरी मौत” भी कहा गया है। इसमें शैतान और ऐसे लोगों को डाला जाएगा जो अपने पापों का पश्‍चाताप नहीं करते। इसमें मौत और कब्र (यानी हेडीज़) को भी डाला जाएगा। एक अदृश्‍य प्राणी, मौत और कब्र पर आग का कोई असर नहीं होता। इसलिए आग की झील में इनका डाला जाना दिखाता है कि यह कोई ऐसी जगह नहीं है जहाँ किसी को हमेशा के लिए तड़पाया जाता है। इसके बजाय यह हमेशा के विनाश को दर्शाता है।—प्रक 19:20; 20:14, 15; 21:8.

  • आज़ाद आदमी; आज़ाद दास:

    रोमी शासन के दौरान “आज़ाद आदमी” वह होता था जो जन्म से गुलाम नहीं था और जिसके पास रोमी नागरिक होने के सभी अधिकार थे। मगर ‘आज़ाद दास’ वह होता था जिसे गुलामी से आज़ाद किया गया हो। अगर इस दास को नियम के मुताबिक आज़ाद किया गया हो, तो उसे रोमी नागरिकता मिल सकती थी मगर वह राजनीति में नहीं आ सकता था। लेकिन अगर उसे यूँ ही आज़ाद किया गया हो, तो आज़ाद होने पर भी उसे नागरिक होने के सारे अधिकार नहीं मिलते थे।—1कुर 7:22.

  • आब:

    बैबिलोन की बँधुआई से लौटनेवाले यहूदियों के पवित्र कैलेंडर का 5वाँ महीना और कृषि कैलेंडर का 11वाँ महीना। यह महीना, जुलाई के बीच से अगस्त के बीच तक का होता था। बाइबल में यह नाम नहीं दिया गया, बस ‘पाँचवाँ महीना’ लिखा है। (गि 33:38; एज 7:9)—अति. ख15 देखें।

  • आबीब:

    यह यहूदियों के पवित्र कैलेंडर के पहले महीने और कृषि कैलेंडर के 7वें महीने का पुराना नाम है। आबीब का मतलब है, “(अनाज की) हरी बालें।” यह महीना, मार्च के बीच से अप्रैल के बीच तक का होता था। जब यहूदी बैबिलोन से लौटे तो इस महीने का नाम नीसान रखा गया। (व्य 16:1)—अति. ख15 देखें।

  • आमीन:

    “ऐसा ही हो” या “ज़रूर।” यह शब्द इब्रानी के मूल शब्द एमन से निकला है जिसका मतलब है, “विश्‍वासयोग्य या भरोसेमंद होना।” शपथ, प्रार्थना या किसी बात के आखिर में सहमति जताने के लिए “आमीन” कहा जाता था। प्रकाशितवाक्य में यह यीशु की उपाधि के तौर पर इस्तेमाल हुआ है।—व्य 27:26; 1इत 16:36; प्रक 3:14.

  • इंसान का बेटा:

    ये शब्द खुशखबरी की किताबों में करीब 80 बार आते हैं। ये यीशु मसीह के लिए इस्तेमाल हुए हैं जो दिखाते हैं कि वह एक ऐसा स्वर्गदूत नहीं था जिसने धरती पर आने के लिए इंसानी शरीर धारण किया था बल्कि उसने इंसान के रूप में जन्म लिया था। ये शब्द यह भी दिखाते हैं कि यीशु दानियेल 7:13, 14 में दी भविष्यवाणी पूरी करता। इब्रानी शास्त्र में ये शब्द यहेजकेल और दानियेल के लिए भी इस्तेमाल हुए हैं ताकि यह दिखा सके कि संदेश सुनानेवाले इन नश्‍वर इंसानों और संदेश देनेवाले परमेश्‍वर में कितना फर्क है।—यहे 3:17; दान 8:17; मत 19:28; 20:28.

  • इथियोपिया:

    पुराने ज़माने का एक देश जो मिस्र के दक्षिण में था। इसमें वे इलाके आते थे जो आज मिस्र के दक्षिणी छोर का हिस्सा हैं। इसके अलावा, इसमें सूडान भी शामिल है। यह शब्द कभी-कभी इब्रानी में “कूश” के लिए भी इस्तेमाल होता है।—एस 1:1.

  • इपिकूरी दार्शनिक:

    यूनानी दार्शनिक इपिकूरस (ई.पू. 341-270) के चेले। उनका फलसफा इस बात पर आधारित था कि इंसान के जीने का सिर्फ एक ही मकसद है, मौज-मस्ती करना।—प्रेष 17:18.

  • इबलीस:

    मसीही यूनानी शास्त्र में शैतान की शख्सियत बताने के लिए इस्तेमाल किया गया एक नाम। इसका मतलब है “बदनाम करनेवाला।” शैतान को यह नाम इसलिए दिया गया है क्योंकि यहोवा को, उसके पवित्र नाम और उसके सच्चे वचन को बदनाम करने और झूठा ठहराने में वही सबसे आगे है।—मत 4:1, फु.; यूह 8:44, फु.; प्रक 12:9.

  • इब्री; इब्रानी:

    अब्राम (अब्राहम) वह पहला इंसान था जिसे “इब्री” कहा गया था ताकि उसे पास रहनेवाले एमोरियों से अलग बताया जा सके। बाद में यह शब्द अब्राहम के वंशजों के लिए इस्तेमाल हुआ जो उसके पोते याकूब से आए। इनकी भाषा “इब्रानी” थी। यीशु के ज़माने तक इसमें अरामी के कई शब्द जुड़ गए और यही भाषा मसीह और उसके चेले बोलते थे।—उत 14:13; निर्ग 5:3; प्रेष 26:14.

  • इल्लुरिकुम:

    यूनान के उत्तर-पश्‍चिम में बसा एक रोमी प्रांत। पौलुस ने अपनी सेवा के दौरान यहाँ तक सफर किया था। मगर उसने यहाँ प्रचार किया या इसके पहले के इलाकों तक ही प्रचार किया, यह नहीं बताया गया है। (रोम 15:19)—अति. ख13 देखें।

  • इसराएल:

    परमेश्‍वर ने यह नाम याकूब को दिया था। आगे चलकर उसके सभी वंशजों को एक समूह के तौर पर इसराएल कहा जाने लगा। याकूब के 12 बेटों से आए वंशजों को अकसर इसराएल के बेटे, इसराएल का घराना, इसराएल के लोग (या आदमी) या इसराएली कहा जाता था। यह नाम उत्तर के दस गोत्रोंवाले राज्य के लिए भी इस्तेमाल होने लगा जब वह दक्षिणी राज्य से अलग हुआ। बाद में अभिषिक्‍त मसीहियों को ‘परमेश्‍वर का इसराएल’ कहा गया।—गल 6:16; उत 32:28; 2शम 7:23; रोम 9:6.

  • उप-पत्नी:

    एक आदमी की दूसरी पत्नी जो अकसर दासी होती थी।—निर्ग 21:8; 2शम 5:13; 1रा 11:3.

  • उपरिलेख:

    भजन की शुरूआत में दी गयी जानकारी जो बताती है कि उसका लिखनेवाला कौन है, किन हालात में वह भजन लिखा गया था या उस भजन का मकसद क्या है। उपरिलेख में कभी-कभी संगीत के लिए हिदायतें या भजन गाने की हिदायतें भी दी जाती थीं।—भज 3, 4, 5, 6, 7, 30, 38, 60, 92, 102 के उपरिलेख देखें।

  • उपवास:

    ठहराए गए वक्‍त तक बिना कुछ खाए-पीए रहना। इसराएली प्रायश्‍चित के दिन, मुसीबत की घड़ी में और परमेश्‍वर से मार्गदर्शन पाने के लिए उपवास करते थे। यहूदियों ने साल में चार बार उपवास करने का नियम ठहराया ताकि वे उन बीती घटनाओं को याद कर सकें जब उन पर विपत्ति आयी थी। मसीहियों के लिए उपवास करना एक माँग नहीं है।—एज 8:21; यश 58:6; लूक 18:12.

  • ऊँची जगह:

    उपासना की जगह जो अकसर पहाड़ या पहाड़ी या फिर लोगों के बनाए मंच पर होती थी। हालाँकि ऊँची जगह कभी-कभी परमेश्‍वर की उपासना के लिए इस्तेमाल की जाती थीं, मगर अकसर इन पर झूठे देवताओं की पूजा की जाती थी।—गि 33:52; 1रा 3:2; यिर्म 19:5.

  • ऊरीम और तुम्मीम:

    ये शायद पत्थर के होते थे। जब इसराएल राष्ट्र में कोई अहम मसला उठता था, तो ऐसे में यहोवा की मरज़ी जानने के लिए महायाजक इनका उसी तरह इस्तेमाल करता था जैसे चिट्ठियाँ डाली जाती थीं। वह ऊरीम और तुम्मीम को अपने सीनेबंद में डालकर पवित्र डेरे के अंदर जाता था। ऐसा मालूम होता है कि जब बैबिलोन के लोगों ने यरूशलेम का नाश कर दिया तो उसके बाद से इनका इस्तेमाल होना बंद हो गया।—निर्ग 28:30; नहे 7:65.

  • एतानीम:

    यहूदियों के पवित्र कैलेंडर का 7वाँ महीना और कृषि कैलेंडर का पहला महीना। यह महीना, सितंबर के बीच से अक्टूबर के बीच तक का होता था। जब यहूदी बैबिलोन से लौटे तो इस महीने का नाम तिशरी रखा गया। (1रा 8:2)—अति. ख15 देखें।

  • एदोम:

    इसहाक के बेटे एसाव को दिया गया दूसरा नाम। एसाव (एदोम) के वंशजों ने सेईर पर कब्ज़ा कर लिया था, जो मृत सागर और अकाबा की खाड़ी के बीच का पहाड़ी इलाका था। यह इलाका एदोम के नाम से जाना गया। (उत 25:30; 36:8)—अति. ख3 और ख4 देखें।

  • एपा:

    एक सूखा माप और वह बरतन जिससे अनाज तौला जाता था। एपा, द्रव्य माप बत के बराबर था इसलिए यह 22 ली. का होता था। (निर्ग 16:36; यहे 45:10)—अति. ख14 देखें।

  • एपोद:

    एक छोटा ऊपरी कपड़ा जिसे याजक पहनते थे। महायाजक का एपोद खास होता था क्योंकि उसके सामने की तरफ 12 रत्नों से जड़ा सीनाबंद होता था। (निर्ग 28:4, 6)—अति. ख5 देखें।

  • एप्रैम:

    यूसुफ के दूसरे बेटे का नाम। आगे चलकर इसराएल का एक गोत्र इसी नाम से जाना गया। इसराएल राज्य के बँटवारे के बाद एप्रैम सबसे ताकतवर गोत्र बन गया, इसलिए दस गोत्रोंवाले राज्य का नाम एप्रैम पड़ा।—उत 41:52; यिर्म 7:15.

  • एलूल:

    बैबिलोन की बँधुआई से लौटनेवाले यहूदियों के पवित्र कैलेंडर का छठा महीना और कृषि कैलेंडर का 12वाँ महीना। यह महीना, अगस्त के बीच से सितंबर के बीच तक का होता था। (नहे 6:15)—अति. ख15 देखें।

  • एशिया:

    मसीही यूनानी शास्त्र में एक रोमी प्रांत का नाम। आज के तुर्की का पश्‍चिमी हिस्सा और तट से थोड़ी दूर बसे कुछ द्वीप जैसे सामुस और पतमुस इसमें आते थे। एशिया प्रांत की राजधानी इफिसुस थी। (प्रेष 20:16; प्रक 1:4)—अति. ख13 देखें।

  • ओमेर:

    एक सूखा माप जो 2.2 ली. या एपा के दसवें भाग के बराबर था। (निर्ग 16:16, 18)—अति. ख14 देखें।

  • कंगूरा:

    खंभे का नक्काशीदार ऊपरी हिस्सा। सुलैमान के मंदिर के सामने एक-जैसे दो खंभे थे, याकीन और बोअज़, जिनके ऊपर बड़े-बड़े कंगूरे लगे थे। (1रा 7:16)—अति. ख8 देखें।

  • कटाई का त्योहार

  • कठिया गेहूँ:

    ऐसा गेहूँ (ट्रिटिकम स्पेलटा) जो बढ़िया किस्म का नहीं होता था और जिसके दाने से छिलके आसानी से नहीं उतरते थे।—निर्ग 9:32.

  • कनान:

    नूह का पोता और हाम का चौथा बेटा। कनान से जो 11 कुल निकले वे भूमध्य सागर के पूरब के इलाके में बस गए। यह इलाका मिस्र और सीरिया के बीच था और इसे “कनान देश” कहा गया। (लैव 18:3; उत 9:18; प्रेष 13:19)—अति. ख4 देखें।

  • करघा:

    खाँचा जिसमें धागे से बुनकर कपड़ा बनाया जाता है।—यश 19:9.

  • करार:

    परमेश्‍वर और इंसानों के बीच या दो लोगों के बीच का समझौता, जिसमें वे कुछ करने या न करने की हामी भरते हैं। कभी-कभी सिर्फ एक ही पक्ष को करार की शर्तें माननी होती थीं (यानी एक तरफा करार, जिसमें करार करनेवाला पक्ष ही कोई वादा करता था)। मगर बाकी समय दोनों पक्षों को करार की शर्तें माननी होती थीं (यानी दो तरफा करार)। बाइबल में सिर्फ उन करारों के बारे में नहीं बताया गया है जो परमेश्‍वर ने इंसानों के साथ किए थे। इसमें आदमियों, गोत्रों, राष्ट्रों और समूहों के बीच किए करारों के बारे में भी बताया गया है। कुछ करार ऐसे थे जिनका असर लंबे समय तक रहा है और आगे भी रहेगा। जैसे, परमेश्‍वर के वे करार जो उसने अब्राहम, दाविद, इसराएल राष्ट्र (यानी कानून का करार) और परमेश्‍वर के इसराएल (यानी नया करार) के साथ किए थे।—उत 9:11; 15:18; 21:27; निर्ग 24:7; 2इत 21:7.

  • करार का संदूक:

    इसे गवाही का संदूक भी कहा जाता था। यह बबूल की लकड़ी से बनी एक पेटी थी जिस पर सोना मढ़ा था। यह संदूक पवित्र डेरे के परम-पवित्र भाग में रखा गया था। बाद में जब सुलैमान ने मंदिर बनाया तो यह संदूक उसके परम-पवित्र भाग में रखा गया। संदूक का ढकना सोने का था और उस पर दो करूब आमने-सामने बने थे। इसमें खासकर वे दो पटियाएँ रखी थीं जिन पर दस आज्ञाएँ लिखी थीं और जिन्हें गवाही की पटियाएँ कहा जाता था। (निर्ग 25:22; 31:18; व्य 31:26; 1रा 6:19; इब्र 9:4)—अति. ख5 और ख8 देखें।

  • करूब:

    ऊँचा ओहदा रखनेवाले स्वर्गदूत जिन्हें खास काम दिए जाते हैं। ये साराप से अलग हैं।—उत 3:24; निर्ग 25:20; यश 37:16; इब्र 9:5.

  • कब:

    एक सूखा माप जो 1.22 ली. के बराबर था। यह बत के मुताबिक तौला गया माप था। (2रा 6:25)—अति. ख14 देखें।

  • कब्र:

    ऐसी जगह जहाँ एक इंसान को दफनाया जाता है। लेकिन बहुत-सी आयतों में इसे एक लाक्षणिक जगह बताया गया है जहाँ ज़्यादातर इंसान मौत की नींद सो जाते हैं। इन आयतों में कब्र के लिए इब्रानी में “शीओल” और यूनानी में “हेडीज़” शब्द इस्तेमाल हुए हैं।—उत 47:30; सभ 9:10; प्रेष 2:31.

  • कमोश:

    मोआबियों का मुख्य देवता।—1रा 11:33.

  • कसदिया; कसदी लोग:

    शुरू-शुरू में टिग्रिस और फरात नदियों के मुहाने के आस-पास का इलाका कसदिया कहा जाता था और वहाँ के रहनेवालों को कसदी लोग। बाद में ये नाम, बैबिलोनिया और उसके लोगों के लिए इस्तेमाल हुए। इसके अलावा, ऐसे लोगों को भी “कसदी” कहा जाता था जो बहुत पढ़े-लिखे थे और विज्ञान, इतिहास, भाषाओं और नक्षत्रों के जानकार थे। मगर साथ ही वे जादू-टोना करते थे और ज्योतिषी थे।—एज 5:12; दान 4:7; प्रेष 7:4.

  • कहर:

    इब्रानी शास्त्र में आम तौर पर इसका मतलब है, वह बीमारी या आफत जो यहोवा सज़ा देने के लिए लाता था।—गि 16:49.

  • काठ:

    एक सीधा खंभा जिस पर किसी को लटकाया जाता था। कुछ राष्ट्रों में अगर किसी को मौत की सज़ा दी जाती थी तो उसे काठ पर लटकाया जाता था और उसकी लाश उसी पर छोड़ दी जाती थी। या फिर किसी को मारकर उसकी लाश काठ पर लटकायी जाती थी। ऐसा इसलिए किया जाता था ताकि सरेआम उसकी बदनामी हो और दूसरों को चेतावनी मिले। अश्‍शूरी लोग युद्ध में बहुत खूँखार होते थे। वे बंदी बनाए लोगों के पेट में सूली घोंपकर सीधे छाती में निकालते थे और उनकी लाशों को उसी पर लटकने के लिए छोड़ देते थे। मगर यहूदियों के कानून के मुताबिक जो परमेश्‍वर की निंदा करने या मूर्तिपूजा जैसे घोर पाप करता था, उसे पहले पत्थर मारकर या किसी और तरीके से मार डाला जाता था। फिर उसकी लाश को काठ या पेड़ पर लटकाया जाता था ताकि दूसरों को चेतावनी मिले। (व्य 21:22, 23; 2शम 21:6, 9) रोम के लोग कभी-कभी मुजरिम को काठ पर बाँध देते थे और वह कई दिनों तक दर्द से तड़पता रहता था और आखिरकार भूख-प्यास और गरमी से मर जाता था। मगर कई बार वे काठ पर मुजरिम के हाथ-पैर कीलों से ठोंक देते थे, जैसा उन्होंने यीशु के साथ किया था। (लूक 24:20; यूह 19:14-16; 20:25; प्रेष 2:23, 36; यातना का काठ देखें।) इसके अलावा, जिन आयतों में ‘काठ में कस देना’ लिखा है, उसका मतलब है लकड़ी का एक ढाँचा जिसमें एक इंसान को जकड़कर सज़ा दी जाती थी। कई काठ ऐसे थे जिनमें सिर्फ पैर जकड़े जाते थे, जबकि दूसरे किस्म के काठ में हाथ-पैर और गरदन जकड़े जाते थे जिस वजह से पूरा शरीर मुड़ा हुआ रहता था।—यिर्म 20:2; प्रेष 16:24.

  • कानून:

    यह मूसा का कानून हो सकता है, जो यहोवा ने ई.पू. 1513 में सीनै वीराने में इसराएल को दिया था। बाइबल की पहली पाँच किताबों को भी अकसर कानून कहा जाता है। (यह 23:6; मत 7:12; लूक 24:44; गल 3:24) इसके अलावा, कानून का मतलब मूसा के कानून का एक नियम या सिद्धांत भी हो सकता है।—गि 15:16; व्य 4:8.

  • किसलेव:

    बैबिलोन से लौटनेवाले यहूदियों के पवित्र कैलेंडर का 9वाँ महीना और कृषि कैलेंडर का तीसरा महीना। यह महीना, नवंबर के बीच से दिसंबर के बीच तक का होता था। (नहे 1:1; जक 7:1)—अति. ख15 देखें।

  • कुम्हार:

    इसके इब्रानी शब्द का शाब्दिक मतलब है “रचनेवाला।” कुम्हार और मिट्टी की मिसाल अकसर यह दिखाने के लिए दी जाती है कि हर इंसान और राष्ट्र पर सिर्फ यहोवा को हुकूमत करने का अधिकार है।—यश 64:8; रोम 9:21.

  • कुल देवताओं की मूरतें:

    कभी-कभी इन मूरतों से शकुन विचारा जाता था। (यहे 21:21) कुछ कुल देवताओं की मूरतों की लंबाई-चौड़ाई और आकार इंसान जितने होते थे, तो कुछ मूरतें बहुत छोटी होती थीं। (उत 31:34; 1शम 19:13, 16) मेसोपोटामिया में पुरातत्व खोज से पता चला है कि परिवार के जिस सदस्य के पास कुल देवताओं की मूरतें होती थीं उसे विरासत मिलती थी। (शायद यही वजह है कि राहेल ने अपने पिता के कुल देवताओं की मूरतें ले ली थीं।) लेकिन इसराएल में ऐसा कोई दस्तूर नहीं था। न्यायियों और राजाओं के दिनों में कुल देवताओं की मूरतें झूठी उपासना में इस्तेमाल की जाती थीं। जब वफादार राजा योशियाह ने अपने राज में घिनौनी चीज़ों का नाश किया था, तो उनमें कुल देवताओं की मूरतें भी शामिल थीं।—न्या 17:5; 2रा 23:24; हो 3:4.

  • कैसर:

    एक रोमी परिवार का नाम, जो आगे चलकर रोमी सम्राटों की उपाधि बन गया। बाइबल में तीन कैसर के नाम दिए गए हैं: औगुस्तुस, तिबिरियुस और क्लौदियुस। नीरो का नाम बाइबल में नहीं है, मगर उसे भी कैसर कहा गया है। इसके अलावा, मसीही यूनानी शास्त्र में “कैसर” का मतलब सरकार भी हो सकता है।—मर 12:17, फु.; प्रेष 25:12, फु.

  • कोड़े लगवाना:

    मसीही यूनानी शास्त्र में इसका मतलब है, ऐसे कोड़े से पीटना जिसमें बहुत-सी गाँठ होती थीं या जिसके छोर पर काँटे लगे होते थे।—यूह 19:1.

  • कोढ़; कोढ़ी:

    एक गंभीर चर्मरोग। बाइबल में जिस कोढ़ का ज़िक्र मिलता है वह आज के कोढ़ जैसा नहीं है। यह न सिर्फ इंसानों को होता था बल्कि कपड़ों और घरों पर भी होता था। जिस इंसान को कोढ़ की बीमारी होती है उसे कोढ़ी कहते हैं।—लैव 14:54, 55; लूक 5:12.

  • कोने का पत्थर:

    इमारत की दो दीवारें जहाँ मिलती थीं, उस कोने पर लगाया जानेवाला पत्थर। दीवारों को जोड़ने और मज़बूत करने के लिए यह पत्थर ज़रूरी होता था। कोने का वह पत्थर सबसे अहम होता था जो नींव में डाला जाता था। इसलिए सार्वजनिक इमारतों और शहरपनाहों में यह पत्थर मज़बूत किस्म का होता था। ये शब्द लाक्षणिक तौर पर भी इस्तेमाल हुए हैं जैसे, धरती की नींव डालने के लिए। मसीही मंडली की तुलना परमेश्‍वर के भवन से की गयी है और यीशु को उसकी “नींव के कोने का पत्थर” कहा गया है।—इफ 2:20; अय 38:6.

  • कोर:

    सूखा और द्रव्य माप। यह 220 ली. के बराबर था जो बत के मुताबिक तौला जाता था। (1रा 5:11)—अति. ख14 देखें।

  • खंभा:

    किसी इमारत को खड़ा रखने के लिए इस्तेमाल होनेवाला स्तंभ। कुछ खंभे ऐतिहासिक घटनाओं को याद करने के लिए खड़े किए जाते थे। सुलैमान ने जो मंदिर और शाही इमारतें बनवायी थीं उनमें भी खंभे इस्तेमाल हुए थे। झूठी उपासना करनेवाले लोगों ने पूजा के लिए स्तंभ खड़े किए। कई बार इसराएलियों ने भी ऐसा किया। (न्या 16:29; 1रा 7:21; 14:23)—कंगूरा देखें।

  • खतना:

    लड़कों और आदमियों के लिंग की खलड़ी काटना। अब्राहम और उसके वंशजों से माँग की गयी थी कि वे खतना करवाएँ, मगर मसीहियों से यह माँग नहीं की गयी है। कई आयतों में शब्द “खतना” लाक्षणिक तौर पर इस्तेमाल हुआ है।—उत 17:10; 1कुर 7:19; फिल 3:3.

  • खमीर:

    आटे या पेय को खमीरा करने के लिए मिलायी जानेवाली चीज़। यह खासकर पुराने आटे की बची हुई लोई थी जो खमीरी होती थी। बाइबल में अकसर खमीर को पाप और भ्रष्टता की निशानी बताया गया है। इसका इस्तेमाल ऐसी बढ़ोतरी दिखाने के लिए भी किया गया है, जो सबकी नज़रों से छिपी और दूर-दूर तक होती है।—निर्ग 12:20; मत 13:33; गल 5:9.

  • खर्रा:

    चमड़े या सरकंडे से बना एक लंबा पत्र, जिस पर सिर्फ एक तरफ लिखा जाता था। इसे आम तौर पर एक लकड़ी पर लपेटकर रखा जाता था। शास्त्र लिखने और उसकी नकल तैयार करने के लिए खर्रों का इस्तेमाल किया जाता था। बाइबल के ज़माने में किताबें ऐसी होती थीं।—यिर्म 36:4, 18, 23; लूक 4:17-20; 2ती 4:13.

  • खास अगुवा:

    यीशु मसीह को दी एक उपाधि। इससे उसकी खास भूमिका पता चलती है कि वह वफादार इंसानों को पाप के खतरनाक अंजामों से छुड़ाएगा और हमेशा की ज़िंदगी पाने का रास्ता दिखाएगा।—प्रेष 3:15; 5:31; इब्र 2:10; 12:2.

  • खुशखबरी:

    मसीही यूनानी शास्त्र में परमेश्‍वर के राज की खुशखबरी और यीशु मसीह पर विश्‍वास करने से मिलनेवाले उद्धार की खुशखबरी के बारे में बताया गया है।—लूक 4:18, 43; प्रेष 5:42; प्रक 14:6.

  • गंधरस:

    खुशबूदार गोंद जो अलग-अलग कँटीली झाड़ियों से या कोमिफोरा प्रजाति के छोटे-छोटे पेड़ों से निकाला जाता था। इसका इस्तेमाल अभिषेक का पवित्र तेल बनाने में होता था। यह कपड़े या बिस्तर महकाने के लिए भी इस्तेमाल होता था। इसे मालिश के तेल और लेप में डाला जाता था। इसके अलावा, दफनाने से पहले लाश पर गंधरस लगाया जाता था।—निर्ग 30:23; नीत 7:17; यूह 19:39.

  • गित्तीत:

    संगीत से जुड़ा एक शब्द जिसका सही-सही मतलब नहीं पता। लेकिन ऐसा मालूम होता है कि यह इब्रानी शब्द गाथ से निकला है, जिसका मतलब है अंगूर रौंदने का हौद। इसलिए कुछ लोगों का मानना है कि गित्तीत उन गानों की धुन हो सकता है जो लोग दाख-मदिरा बनाते वक्‍त गाते थे।—भज 81:उप.

  • गिरवी:

    इसे बंधक भी कहा जाता था। मूसा के कानून में इस बारे में कई नियम दिए गए थे ताकि देश के गरीब और बेसहारा लोगों के साथ कोई अन्याय न हो।—निर्ग 22:26; यहे 18:7.

  • गिलाद:

    यरदन नदी के पूरब का उपजाऊ इलाका जो यब्बोक घाटी के उत्तर और दक्षिण में फैला था। कुछ आयतों में यरदन के पूरब में इसराएलियों के पूरे इलाके को गिलाद कहा गया है, जहाँ रूबेन, गाद और मनश्‍शे का आधा गोत्र रहता था। (गि 32:1; यह 12:2; 2रा 10:33)—अति. ख4 देखें।

  • गुट:

    ऐसे लोगों का समूह जो कुछ खास शिक्षाएँ मानता था या जो एक अगुवे के पीछे जाता था और जिसकी अपनी ही कुछ शिक्षाएँ होती थीं। यहूदी धर्म के दो मुख्य दलों, फरीसियों और सदूकियों को गुट कहा जाता था। लोग मसीही धर्म को “गुट” या ‘नासरियों का गुट’ कहते थे क्योंकि शायद उनका मानना था कि इस गुट के लोग यहूदी धर्म से अलग हुए हैं। कुछ समय बाद मसीही मंडली में कई गुट बनने लगे। प्रकाशितवाक्य में खासकर “निकुलाउस के गुट” का ज़िक्र मिलता है।—प्रेष 5:17; 15:5; 24:5; 28:22; प्रक 2:6; 2पत 2:1.

  • गेरा:

    एक बाट जो 0.57 ग्रा. के बराबर था। 20 गेरा एक शेकेल के बराबर था। (लैव 27:25)—अति. ख14 देखें।

  • गेहन्‍ना:

    हिन्‍नोम घाटी का यूनानी नाम। यह घाटी प्राचीन यरूशलेम के दक्षिण से लेकर दक्षिण-पश्‍चिम तक फैली थी। (यिर्म 7:31) भविष्यवाणियों में इसे ऐसी जगह बताया गया था जहाँ लाशें फेंकी जातीं। (यिर्म 7:32; 19:6) इस बात का कोई सबूत नहीं कि गेहन्‍ना में जानवरों और इंसानों को फेंका जाता था ताकि उन्हें ज़िंदा जलाया या तड़पाया जाए। इसलिए गेहन्‍ना ऐसी अनदेखी जगह नहीं हो सकता, जहाँ इंसानों को मरने के बाद हमेशा-हमेशा के लिए सचमुच की आग में तड़पाया जाता है। इसके बजाय, जब यीशु और उसके चेलों ने गेहन्‍ना की बात की तो उनका मतलब था, “दूसरी मौत” यानी हमेशा का विनाश।—प्रक 20:14; मत 5:22; 10:28.

  • गोफन:

    चमड़े का एक पट्टा या फिर जानवरों की नसों, लंबी-लंबी घास या बालों से गुंथा हुआ एक पट्टा। यह बीच से चौड़ा होता था जिसमें फेंककर मारनेवाली चीज़ रखी जाती थी। गोफन में अकसर पत्थर का इस्तेमाल होता था। इसका एक सिरा हाथ या कलाई पर बाँधा जाता था और दूसरे सिरे को कसकर पकड़ा जाता था। फिर गोफन को ज़ोर से घुमाया जाता था और उसके दूसरे सिरे को छोड़ा जाता था। प्राचीन राष्ट्रों की सेनाओं में गोफन चलानेवाले योद्धा भी होते थे।—न्या 20:16; 1शम 17:50.

  • घाटी:

    इसके इब्रानी शब्द का मतलब है, ऐसी घाटी जिसमें से नदी बहती थी या नदी का तल। यह बरसात के मौसम को छोड़कर बाकी मौसम में सूखी रहती थी। इसके इब्रानी शब्द का मतलब नदी भी हो सकता है। कुछ नदियों में पानी के सोते होते थे, इसलिए वे कभी नहीं सूखती थीं।—उत 26:19; गि 34:5; व्य 8:7; 1रा 18:5; अय 6:15.

  • चक्की का पाट:

    बाइबल के ज़माने में ज़्यादातर घरों में हाथ की चक्की होती थी जिसे औरतें चलाती थीं। अनाज पीसने पर ही परिवार को रोटी मिलती थी, इसलिए मूसा के कानून में किसी की चक्की या उसके ऊपरी पाट को गिरवी के रूप में ज़ब्त कर लेना मना था। हाथ की चक्की की तरह बड़ी-बड़ी चक्कियाँ भी होती थीं जिनका पाट जानवर घुमाते थे।—व्य 24:6; मर 9:42.

  • चढ़ाई का गीत:

    भजन 120-134 का उपरिलेख। इन शब्दों के मतलब के बारे में अलग-अलग विचार हैं। मगर कई लोगों का मानना है कि जब इसराएली साल के तीन बड़े त्योहार मनाने यहूदा के पहाड़ ‘चढ़कर’ यरूशलेम जाते थे, तो वे ये 15 भजन खुशी-खुशी गाते थे।

  • चढ़ावे की रोटियाँ

  • चर्मपत्र:

    भेड़-बकरी या बछड़े की चमड़ी जिसे इस तरह तैयार किया जाता था कि वह लिखाई के काम आ सके। यह सरकंडे से ज़्यादा टिकाऊ था और बाइबल के खर्रे इससे बने होते थे। पौलुस ने तीमुथियुस को जो चर्मपत्र लाने के लिए कहे थे वे शायद इब्रानी शास्त्र के कुछ हिस्से थे। मृत सागर के पास मिले खर्रों में कुछ चर्मपत्र भी थे।—2ती 4:13.

  • चिट्ठियाँ:

    फैसला करने में इस्तेमाल होनेवाले छोटे-छोटे पत्थर या लकड़ी के टुकड़े। इन्हें कपड़े की तह या एक बरतन में डालकर हिलाया जाता था। जिसके नाम का पत्थर या लकड़ी का टुकड़ा बाहर गिरता या निकाला जाता था उसी को चुना जाता था। यह काम प्रार्थना के साथ किया जाता था। मूल भाषा में ‘चिट्ठियों’ के लिए जो शब्द इस्तेमाल हुए हैं, उनका मतलब ‘भाग’ या ‘हिस्सा’ भी हो सकता है।—यह 14:2; भज 16:5; नीत 16:33; मत 27:35.

  • चिमटे:

    ये सोने के बने होते थे और इनका इस्तेमाल पवित्र डेरे और मंदिर में दीयों की आग बुझाने के लिए किया जाता था।—निर्ग 37:23.

  • छप्परों का त्योहार:

    इसे डेरों का त्योहार या बटोरने का त्योहार भी कहा जाता था, जो एतानीम 15-21 तक चलता था। इसराएल में कृषि-वर्ष के आखिर में जो कटाई होती थी, उसकी खुशी में यह त्योहार मनाया जाता था। इस मौके पर लोग आनंद मनाते थे और यहोवा को धन्यवाद देते थे कि उसने उनकी फसल पर आशीष दी। इस दौरान लोग छप्परों में या छज्जेदार मचानों में रहते थे, जो उन्हें मिस्र से निकलने की घटना याद दिलाते थे। यह उन तीन त्योहारों में से एक है जिन्हें मनाने के लिए आदमियों से माँग की जाती थी कि वे यरूशलेम जाएँ।—लैव 23:34; एज 3:4.

  • छुटकारे का साल:

    इसराएलियों के वादा किए गए देश में दाखिल होने के बाद से हर 50वाँ साल। इस साल लोगों को ज़मीन पर कोई जुताई-बोआई नहीं करनी थी और इब्री दासों को आज़ाद करना था। विरासत की जो भी ज़मीन बेची गयी थी उसे लौटाना था। एक तरह से छुटकारे का साल त्योहार का साल था। इस साल इसराएल राष्ट्र में वैसी खुशहाली लौट आती जैसी उस वक्‍त थी जब परमेश्‍वर ने उसकी शुरूआत की थी।—लैव 25:10.

  • जटामाँसी:

    हलके लाल रंग का खुशबूदार तेल जो बहुत कीमती था। यह जटामाँसी (नार्डोस्टैकिस जटामाँसी) के पौधे से निकाला जाता था। यह तेल बहुत ही महँगा था इसलिए इसमें अकसर सस्ता तेल मिलाया जाता था या नकली जटामाँसी तेल को असली बताकर बेचा जाता था। गौर करने लायक बात यह है कि मरकुस और यूहन्‍ना, दोनों ने बताया कि यीशु पर “असली जटामाँसी” का तेल उँडेला गया था।—मर 14:3; यूह 12:3.

  • जाति:

    बाइबल में शब्द “जाति” ऊँच-नीच से नहीं जुड़ा है। इसके बजाय, जाति आम तौर पर ऐसे लोगों से मिलकर बना एक समूह है जिनका एक-दूसरे के साथ खून का रिश्‍ता है और जो एक ही भाषा बोलते हैं।—प्रक 7:9.

  • जादू-टोना:

    यह इसलिए किया जाता है क्योंकि लोगों का मानना है कि मरने के बाद एक इंसान के शरीर से आत्मा निकल जाती है। वे यह भी मानते हैं कि यह आत्मा ज़िंदा इंसानों से बात कर सकती है और करती भी है, खासकर उस इंसान के ज़रिए जो मरे हुओं से संपर्क करने का दावा करता है। “जादू-टोना” का यूनानी शब्द है फारमाकिया जिसका शाब्दिक मतलब है, “नशीली दवाइयाँ लेना।” यह यूनानी शब्द जादू-टोना के लिए भी इस्तेमाल होने लगा क्योंकि पुराने ज़माने में टोना-टोटका करने के लिए नशीली दवाइयाँ ली जाती थीं।—गल 5:20; प्रक 21:8.

  • जिव:

    यह यहूदियों के पवित्र कैलेंडर के दूसरे महीने और कृषि कैलेंडर के 8वें महीने का पुराना नाम है। यह महीना, अप्रैल के बीच से मई के बीच तक का होता था। यहूदी तलमूद में और बैबिलोन की बँधुआई के बाद के लेखों में इस महीने का नाम अय्यार बताया गया। (1रा 6:37)—अति. ख15 देखें।

  • जीवन:

    मूल भाषाओं में ऐसे कई शब्द हैं जिनका अनुवाद “जीवन” किया गया है। इनमें से दो हैं, इब्रानी शब्द नेफेश और यूनानी शब्द साइखी। बाइबल के इस अनुवाद में इन शब्दों का आम तौर पर अनुवाद “जीवन” किया गया है। बाइबल में जिस तरह नेफेश और साइखी का इस्तेमाल हुआ है, उसे जाँचने पर पता चलता है कि उनका मतलब है: (1) लोग, (2) जीव-जंतु या (3) इंसान और जीव-जंतुओं का जीवन। (उत 1:20; 2:7; 1पत 3:20) बाइबल के इस अनुवाद में इन शब्दों का अनुवाद संदर्भ के मुताबिक, इनके सही मतलब को ध्यान में रखते हुए किया गया है। जैसे, “ज़िंदगी,” “जान,” “जीव,” “इंसान,” “मेरा मन” या सिर्फ सर्वनाम (मिसाल के लिए “मैं”)। कुछ आयतों में नेफेश और साइखी का अनुवाद “अपनी पूरी जान” किया गया है, जिसका मतलब है तन-मन से कोई काम करना। (व्य 6:5; मत 22:37) कुछ और आयतों में मूल भाषाओं के ये शब्द इंसान की इच्छा या भूख के लिए भी इस्तेमाल हुए हैं। इसके अलावा, इनका मतलब लाश भी हो सकता है।—गि 6:6; नीत 23:2; यश 56:11; हाग 2:13.

  • जीवन का पेड़:

    अदन के बाग में लगा एक पेड़। बाइबल यह नहीं बताती कि उसके फलों में जीवन देने की कोई ताकत थी। इसके बजाय वह पेड़ इस बात की गारंटी था कि परमेश्‍वर जिस किसी को वह फल खाने देगा उसे हमेशा की ज़िंदगी मिलेगी।—उत 2:9; 3:22.

  • जुआ:

    एक आदमी के कंधों पर रखा गया डंडा जिसके दोनों तरफ भार लटकाया जाता था। या फिर बोझ ढोनेवाले दो जानवरों (अकसर गाय-बैलों) की गरदन पर रखी बल्ली या फट्टा, जिससे वे हल जैसा कोई औज़ार या गाड़ी खींचते थे। गुलाम अकसर भारी-भरकम बोझ ढोने के लिए जुए का इस्तेमाल करते थे, इसलिए जुए को गुलामी या दूसरे इंसान के अधीन होने, ज़ुल्म और अत्याचार की निशानी बताया गया है। जुआ हटाने या तोड़ने का मतलब था गुलामी, ज़ुल्मों और अत्याचार से छुटकारा पाना।—लैव 26:13; मत 11:29, 30.

  • ज़्यूस:

    यूनानियों के बहुत-से देवी-देवताओं में सबसे बड़ा देवता। लुस्त्रा में लोगों ने बरनबास के बारे में गलत राय कायम की थी कि वह ज़्यूस है। लुस्त्रा के आस-पास मिले प्राचीन शिलालेख पर ये शब्द खुदे हुए थे, “ज़्यूस के पुजारी” और “सूर्य देवता ज़्यूस।” पौलुस ने माल्टा से जिस जहाज़ में सफर किया उसके सामने की तरफ “ज़्यूस के बेटों” की निशानी बनी थी, जो जुड़वाँ भाई थे और जिनका नाम कास्टर और पोलुक्स था।—प्रेषि 14:12; 28:11.

  • टाट:

    एक खुरदुरा कपड़ा। यह बोरे या थैले बनाने के काम आता था जिनमें अनाज वगैरह भरा जाता था। टाट आम तौर पर गहरे रंग के बकरी के बालों से बुनकर बनाया जाता था। दस्तूर के मुताबिक शोक मनाते वक्‍त टाट ओढ़ा जाता था।—उत 37:34; लूक 10:13.

  • टिड्डियाँ:

    मूसा के कानून के मुताबिक टिड्डियों को शुद्ध माना जाता था और इन्हें खाने की इसराएलियों को इजाज़त थी। जब टिड्डियों का बड़ा झुंड अपने रास्ते में आनेवाली हर चीज़ को चट कर जाता और तबाही मचाता, तो इसे टिड्डियों का कहर कहा जाता था।—निर्ग 10:14; मत 3:4.

  • टीला:

    इब्रानी में “मिल्लो।” जिस इब्रानी शब्द से “मिल्लो” निकला है उसका मतलब है “भरना।” सेप्टुआजेंट में इसका अनुवाद “किला” किया गया है। यह शायद दाविदपुर में एक छोटी पहाड़ी या एक इमारत था। मगर यह दिखने में कैसा था, इसकी कोई ठीक-ठीक जानकारी नहीं है।—2शम 5:9; 1रा 11:27.

  • टोना-टोटका:

    माना जाता है कि यह काम दुष्ट स्वर्गदूतों से मिली शक्‍ति से किया जाता है।—2इत 33:6.

  • तज:

    तज के पेड़ (सिन्‍नामोमम केसिया) की छाल। तज और दालचीनी एक ही जाति के पेड़ हैं। तज को एक खुशबूदार मसाले के तौर पर और अभिषेक का पवित्र तेल तैयार करने में इस्तेमाल किया जाता था।—निर्ग 30:24; भज 45:8; यहे 27:19.

  • तम्मूज:

    (1) एक देवता का नाम, जिसके लिए यरूशलेम में वे इब्री औरतें रो रही थीं जो सच्ची उपासना से मुकर गयी थीं। कहा जाता है कि तम्मूज दरअसल एक राजा था जिसके मरने के बाद उसे देवता मानकर पूजा जाने लगा। सूमेरी पाठ में तम्मूज को दूमूज़ी कहा गया है और उसे प्रजनन देवी इनाना (बैबिलोन की देवी इशतर) का पति या प्रेमी बताया गया है। (यहे 8:14) (2) बैबिलोन की बँधुआई से लौटनेवाले यहूदियों के पवित्र कैलेंडर का चौथा महीना और कृषि कैलेंडर का 10वाँ महीना। यह महीना, जून के बीच से जुलाई के बीच तक का होता था।—अति. ख15 देखें।

  • तरशीश के जहाज़:

    शुरू-शुरू में ये उन जहाज़ों को कहा जाता था जो प्राचीन तरशीश (आज के स्पेन) तक जाते थे। ऐसा लगता है कि आगे चलकर यह नाम उन सभी बड़े-बड़े जहाज़ों को दिया गया जो दूर-दूर तक सफर करते थे। सुलैमान और यहोशापात ने भी इन जहाज़ों को व्यापार के लिए इस्तेमाल किया।—1रा 9:26; 10:22; 22:48.

  • तारतरस:

    मसीही यूनानी शास्त्र में इस शब्द का मतलब है, कैद में जैसी गिरी हुई हालत होती है वैसी ही हालत जिसमें नूह के दिनों के बागी स्वर्गदूतों को डाल दिया गया था। दूसरा पतरस 2:4 में क्रिया तारतारू (यानी “तारतरस में फेंकना”) इस्तेमाल हुई है। इसका यह मतलब नहीं कि ‘जिन स्वर्गदूतों ने पाप किया’ था उन्हें उस तारतरस में फेंका गया था जिसके बारे में झूठे धर्मों की कथा-कहानियों में बताया गया है (यानी ज़मीन के नीचे का कैदखाना और अँधेरी कोठरी, जहाँ छोटे-मोटे देवताओं को कैद किया जाता था)। इसके बजाय, इसका मतलब है कि परमेश्‍वर ने स्वर्ग में उन्हें उनकी जगह से हटा दिया, उनकी ज़िम्मेदारियाँ छीन लीं और उनके मनों को ऐसे घोर अंधकार में डाल दिया कि वे परमेश्‍वर के शानदार मकसद को कभी समझ न पाएँ। अंधकार इस बात की भी निशानी है कि उन स्वर्गदूतों का आखिर में क्या अंजाम होनेवाला है। शास्त्र बताता है कि उन्हें उनके राजा शैतान के साथ हमेशा के लिए नाश किया जाएगा। इसलिए तारतरस उन बागी स्वर्गदूतों की सबसे गिरी हुई हालत को दर्शाता है। यह प्रकाशितवाक्य 20:1-3 में बताया “अथाह-कुंड” नहीं है।

  • तिशरी

    एतानीम और अति. ख15 देखें।

  • तुरही:

    धातु से बना एक साज़ जिसे फूँककर बजाया जाता था। इसे इशारा करने के लिए बजाया जाता था और संगीत में भी इस्तेमाल किया जाता था। गिनती 10:2 के मुताबिक यहोवा ने हिदायत दी कि चाँदी की दो तुरहियाँ बनायी जाएँ जो खास तौर पर मंडली को इकट्ठा करने, पड़ाव उठाने और युद्ध का ऐलान करने के लिए फूँकी जातीं। शायद ये तुरहियाँ सीधी होती थीं, जबकि “नरसिंगे” मुड़े होते थे और जानवरों के सींग से बने होते थे। मंदिर में बजाए जानेवाले साज़ों में तुरहियाँ भी शामिल थीं, मगर बाइबल यह नहीं बताती कि उनकी बनावट कैसी थी। तुरहियों की आवाज़ का लाक्षणिक तौर पर भी इस्तेमाल हुआ है। जब यहोवा अपना फैसला सुनाता है या उसकी तरफ से कोई खास घटना घटती है, तो उसके साथ-साथ तुरहियों की आवाज़ सुनायी देती है।—2इत 29:26; एज 3:10; 1कुर 15:52; प्रक 8:7-11:15.

  • तेबेत:

    बैबिलोन की बँधुआई से लौटनेवाले यहूदियों के पवित्र कैलेंडर का 10वाँ महीना और कृषि कैलेंडर का चौथा महीना। यह महीना, दिसंबर के बीच से जनवरी के बीच तक का होता था। आम तौर पर इसे सिर्फ ‘दसवाँ महीना’ कहा गया है। (एस 2:16)—अति. ख15 देखें।

  • तैयारी का दिन:

    सब्त से पहले का दिन, जिसमें यहूदी ज़रूरी तैयारियाँ करते थे। आज के हिसाब से यह दिन शुक्रवार को सूरज ढलने पर खत्म होता था और उसी वक्‍त सब्त का दिन शुरू होता था। यहूदी एक शाम से दूसरी शाम को एक दिन गिनते थे।—मर 15:42; लूक 23:54.

  • तोड़ा:

    इब्रियों की भार मापने और मुद्रा की सबसे बड़ी इकाई। इसका वज़न 34.2 किलो था। यूनानी तोड़ा इससे छोटा होता था जिसका वज़न करीब 20.4 किलो था। (1इत 22:14; मत 18:24, फु.)—अति. ख14 देखें।

  • दया के दान:

    ऐसे दान जो ज़रूरतमंदों को दिए जाते थे। इब्रानी शास्त्र में इस तरह के दान का सीधे-सीधे ज़िक्र तो नहीं मिलता, मगर कानून में बताया गया था कि इसराएलियों को किन तरीकों से गरीबों की मदद करनी थी।—मत 6:2, फु.

  • दर्कनोन:

    सोने का एक फारसी सिक्का जिसका वज़न 8.4 ग्रा. था। (1इत 29:7)—अति. ख14 देखें।

  • दर्शी:

    वह आदमी जो परमेश्‍वर की मदद से उसकी मरज़ी जान पाता था। उसकी आँखें खोली जाती थीं ताकि वह उन बातों को देख या समझ सके जो आम इंसान के लिए देखनी या समझनी मुश्‍किल थीं। इसका इब्रानी शब्द जिस मूल शब्द से निकला है उसका मतलब है “देखना।” यह सचमुच देखना या लाक्षणिक तौर पर देखना हो सकता है। दर्शी के पास लोग बुद्धि-भरी सलाह लेने आते थे कि फलाँ मुश्‍किल से कैसे निकला जाए।—1शम 9:9.

  • दसवाँ हिस्सा:

    किसी भी चीज़ का 10 प्रतिशत, जो दान में या नज़राने के तौर पर दिया जाता था। दसवाँ हिस्सा खासकर उपासना से जुड़े कामों के लिए दिया जाता था। (मला 3:10; व्य 26:12; मत 23:23) मूसा के कानून के तहत, हर साल इसराएलियों को अपने खेत की पैदावार का और मवेशियों की बढ़ोतरी का दसवाँ हिस्सा लेवियों को देना होता था ताकि उनका गुज़ारा हो सके। और लेवी इस हिस्से का दसवाँ हिस्सा हारून के घराने के याजकों को देते थे ताकि उनका गुज़ारा हो सके। इसके अलावा, इसराएलियों को और भी कई तरह का दसवाँ हिस्सा देना होता था। आज मसीहियों से दसवाँ हिस्सा देने की माँग नहीं की जाती।

  • दाँवना; खलिहान:

    अनाज के दानों को डंठलों और भूसी से अलग करने को दाँवना कहा जाता था। अनाज को डंडों से पीट-पीटकर दाँवा जाता था। लेकिन अगर अनाज ज़्यादा हो तो उसे खास औज़ार से दाँवा जाता था। जैसे, दाँवने की पटिया या छोटे-छोटे पहिए जिन्हें जानवर खींचते थे। अनाज को खलिहान में फैलाया जाता था और उस पर दाँवने का औज़ार चलाया जाता था। दाँवने की जगह को खलिहान कहा जाता था। खलिहान अकसर गोलाकार होता था और किसी ऊँची जगह पर बना होता था जहाँ हवा चलती थी।—लैव 26:5; यश 41:15; मत 3:12.

  • दागोन:

    पलिश्‍तियों का एक देवता। यह तो नहीं पता कि यह नाम कैसे पड़ा, मगर कुछ विद्वान कहते हैं कि यह इब्रानी शब्द दाघ (यानी मछली) से जुड़ा है।—न्या 16:23; 1शम 5:4.

  • दाविद का वंशज:

    ये शब्द अकसर यीशु के लिए इस्तेमाल हुए हैं। ये इस बात पर ज़ोर देते हैं कि यीशु, दाविद के खानदान से है और उस राज का वारिस है जिसका करार परमेश्‍वर ने दाविद से किया था।—मत 12:23; 21:9.

  • दाविदपुर:

    यबूस शहर को दिया गया नाम। यह नाम तब दिया गया था जब दाविद ने उसे जीत लिया था और वहाँ अपना महल बनवाया था। इसे सिय्योन भी कहा जाता है। यह यरूशलेम में दक्षिण-पूरब में है और शहर का सबसे पुराना हिस्सा है।—2शम 5:7; 1इत 11:4, 5.

  • दिकापुलिस:

    यूनानी शहरों का समूह, जो शुरू में दस शहरों से मिलकर बना था। (यह यूनानी शब्द दिका से निकला है जिसका मतलब है “दस” और पुलिस जिसका मतलब है “शहर।”) इसके ज़्यादातर शहर गलील झील और यरदन नदी के पूरब में बसे थे, इसलिए उस इलाके का नाम भी दिकापुलिस था। ये शहर यूनानी संस्कृति और व्यापार के केंद्र थे। यीशु इस इलाके से गुज़रा था, मगर इस बात का कोई रिकॉर्ड नहीं कि वह इसके किसी शहर में रुका था। (मत 4:25; मर 5:20)—अति. क7 और ख10 देखें।

  • दिन का तारा:

    इसका और ‘सुबह के तारे’ का एक ही मतलब है। सूरज उगने से पहले पूरब में जो आखिरी तारा टिमटिमाता है, उसे दिन का तारा कहते हैं। इसे देखकर लोग समझ जाते थे कि नया दिन शुरू होनेवाला है।—प्रक 22:16; 2पत 1:19.

  • दीनार:

    चाँदी का रोमी सिक्का जिसका वज़न 3.85 ग्रा. था। इसके एक तरफ कैसर की सूरत बनी होती थी। एक दीनार एक दिन की मज़दूरी होती थी और रोमी, यहूदियों से “कर” के तौर पर एक दीनार वसूल करते थे। (मत 22:17; लूक 20:24)—अति. ख14 देखें।

  • दुनिया की व्यवस्था का आखिरी वक्‍त:

    समय का वह दौर जो शैतान के कब्ज़े में पड़ी इस दुनिया की व्यवस्था के अंत से खत्म होगा। इसी दौरान मसीह की मौजूदगी भी चल रही है। यीशु के निर्देशन में स्वर्गदूत “दुष्टों को नेक जनों से अलग करेंगे” और उन्हें नाश कर देंगे। (मत 13:40-42, 49) यीशु के चेले जानना चाहते थे कि वह “आखिरी वक्‍त” कब आएगा। (मत 24:3) स्वर्ग लौटने से पहले यीशु ने अपने चेलों से वादा किया था कि वह उस वक्‍त तक उनके साथ रहेगा।—मत 28:20.

  • दुनिया की व्यवस्था या व्यवस्थाएँ:

    इनका यूनानी शब्द आयॉन है। इसका मतलब है, किसी दौर के हालात या कुछ खास बातें जो उस दौर या ज़माने को दूसरे दौर या ज़माने से अलग दिखाती हैं। बाइबल “इस दुनिया” के बारे में भी ज़िक्र करती है, जिसका मतलब है मौजूदा हालात और लोगों के जीने का तौर-तरीका। (2ती 4:10) यहोवा ने कानून के करार के ज़रिए ऐसी व्यवस्था की शुरूआत की जिसे इसराएलियों या यहूदियों का ज़माना भी कहा जा सकता है। मगर बाद में उसने यीशु मसीह के फिरौती बलिदान के ज़रिए एक दूसरी व्यवस्था की शुरूआत की, जो खासकर अभिषिक्‍त मसीहियों से जुड़ी है। इससे एक नया दौर शुरू हुआ जिसमें वे बातें पूरी होने लगीं जो कानून के करार में दर्शायी गयी थीं। जहाँ बहुवचन में ‘दुनिया की व्यवस्थाएँ’ लिखा है, वहाँ इनका मतलब है अलग-अलग तरह की व्यवस्थाएँ या फिर बीते समय के या आनेवाले समय के हालात।—मत 24:3; मर 4:19; रोम 12:2; 1कुर 10:11.

  • दुष्ट स्वर्गदूत:

    ये अदृश्‍य हैं और इनके पास इंसानों से बढ़कर ताकत है। उत्पत्ति 6:2 में इन्हें “सच्चे परमेश्‍वर के बेटे” और यहूदा 6 में “स्वर्गदूत” कहा गया है, जो दिखाता है कि इन्हें दुष्ट नहीं बनाया गया था। मगर नूह के दिनों में इन स्वर्गदूतों ने परमेश्‍वर की आज्ञा तोड़ दी और शैतान के साथ मिलकर यहोवा के खिलाफ हो गए। इस तरह वे परमेश्‍वर के दुश्‍मन बन गए।—व्य 32:17; लूक 8:30; प्रेष 16:16; याकू 2:19.

  • देवर-भाभी विवाह:

    अगर एक आदमी के कोई बेटा न हो और उसकी मौत हो जाए, तो यह रिवाज़ था कि उसका भाई उसकी विधवा से शादी करके अपने मरे हुए भाई का वंश चलाए। इस रिवाज़ को देवर-भाभी विवाह कहा जाता था। बाद में यह रिवाज़ मूसा के कानून में शामिल किया गया।—उत 38:8; व्य 25:5.

  • दोष-बलि:

    एक इंसान अपने पापों के लिए यह बलि चढ़ाता था। यह इसलिए चढ़ायी जाती थी ताकि पाप करने पर एक इंसान ने करार के मुताबिक जो हक खो दिए हैं, उन्हें वापस पा सके और वह सज़ा से बच जाए। इस मायने में यह बलि दूसरे पाप-बलियों से थोड़ी अलग थी।—लैव 7:37; 19:22; यश 53:10.

  • द्राख्मा:

    मसीही यूनानी शास्त्र में चाँदी का यूनानी सिक्का, जिसका वज़न उस वक्‍त 3.4 ग्रा. था। इब्रानी शास्त्र में सोने के द्राख्मा का जो ज़िक्र मिलता है, वह फारस की हुकूमत के दौरान इस्तेमाल होता था। यह दर्कनोन के बराबर था। (नहे 7:70; मत 17:24, फु.)—अति. ख14 देखें।

  • धन्यवाद-बलि:

    एक तरह की शांति-बलि जो इसराएली, परमेश्‍वर की महिमा करने के लिए अर्पित करते थे क्योंकि वह उन्हें सबकुछ देता था और उनसे अटल प्यार करता था। बलि किए हुए जानवर का गोश्‍त खाया जाता था और उसके साथ खमीरी और बिन-खमीर की रोटियाँ भी खायी जाती थीं। गोश्‍त को उसी दिन खाना होता था।—2इत 29:31.

  • धूप:

    सुगंधित गोंद और बलसाँ का मिश्रण, जो धीरे-धीरे जलता है और खुशबू फैलाता है। पवित्र डेरे और मंदिर के लिए धूप चार खास मसालों के मिश्रण से बनाया जाता था। पवित्र भाग में धूप की वेदी पर इसे सुबह-शाम जलाया जाता था। और प्रायश्‍चित के दिन इसे परम-पवित्र भाग में जलाया जाता था। धूप परमेश्‍वर के वफादार सेवकों की प्रार्थनाओं की निशानी था जो वह कबूल करता था। मसीहियों के लिए धूप जलाना एक माँग नहीं है।—निर्ग 30:34, 35; लैव 16:13; प्रक 5:8.

  • नगर-अधिकारी:

    बैबिलोन के शासन में ज़िला अधिकार-क्षेत्रों के अधिकारी, जिन्हें कानून की समझ होती थी और जिनके पास न्यायिक मामले सुलझाने के थोड़े-बहुत अधिकार थे। रोमी बस्तियों में नगर-अधिकारी सरकार के प्रशासक थे। उनका काम था व्यवस्था बनाए रखना, सरकार से मिले पैसे के खर्च की देखरेख करना, कानून तोड़नेवालों का न्याय करना और उन्हें सज़ा देने का आदेश देना।—दान 3:2; प्रेष 16:20.

  • नज़राने की रोटी:

    बारह रोटियाँ जिनके छ:-छ: करके दो ढेर बनाए जाते थे। ये रोटियाँ, पवित्र डेरे और मंदिर के पवित्र भाग में मेज़ पर रखी जाती थीं। इन्हें “रोटियों का ढेर” और “चढ़ावे की रोटियाँ” भी कहा जाता था। हर सब्त के दिन चढ़ावे की इन रोटियों को हटाकर ताज़ी रोटियाँ रखी जाती थीं। हटायी गयी रोटियों को आम तौर पर सिर्फ याजक खाते थे। (2इत 2:4; मत 12:4; निर्ग 25:30; लैव 24:5-9; इब्र 9:2)—अति. ख5 देखें।

  • नतीन लोग:

    मंदिर के वे सेवक जो इसराएली नहीं थे। इसके इब्रानी शब्द का शाब्दिक मतलब है “दिए गए लोग,” जिससे पता चलता है कि उन्हें मंदिर में सेवा के लिए दिया गया था। ऐसा मालूम होता है कि कई नतीन लोग उन गिब्बोनियों के वंशज थे जिन्हें यहोशू ने ‘इसराएलियों की मंडली और यहोवा की वेदी के लिए लकड़ियाँ बीनने और पानी भरने’ का काम दिया था।—यह 9:23, 27; 1इत 9:2; एज 8:17.

  • नपुंसक; खोजा:

    ऐसा आदमी जिसके अंडकोष काट दिए जाते हैं। ऐसे आदमियों को अकसर महल में रानी और रखैलों की देखरेख या सेवा करने के लिए रखा जाता था। ये शब्द ऐसे आदमी के लिए भी इस्तेमाल होते थे जिसके अंडकोष नहीं कटे होते थे, बल्कि जो राज-दरबार में अधिकारी होता था। ये शब्द लाक्षणिक तौर पर भी इस्तेमाल हुए हैं। ऐसे लोगों को ‘राज के लिए नपुंसक’ बताया गया है, जो खुद पर संयम रखते हैं ताकि वे परमेश्‍वर की सेवा में और ज़्यादा कर सकें।—मत 19:12; एस 2:15; प्रेष 8:27.

  • नफिलीम:

    जलप्रलय से पहले कुछ स्वर्गदूतों ने इंसानी शरीर धारण करके औरतों के साथ संबंध रखे। उनके जो बच्चे पैदा हुए वे नफिलीम कहलाए। वे बहुत ही खूँखार थे।—उत 6:4.

  • नया चाँद:

    यहूदी कैलेंडर में हर महीने का पहला दिन। इस दिन सब इकट्ठा होते, दावत खाते और खास बलिदान चढ़ाते थे। आगे चलकर यह दिन राष्ट्र का एक अहम त्योहार बन गया और लोग इस दिन कोई काम नहीं करते थे।—गि 10:10; 2इत 8:13; कुल 2:16.

  • नरकट:

    ऐसे कई किस्म के पौधे जो दलदली जगहों में उगते हैं। कई आयतों में यह पौधा अरूंदो डोनेक्स है। (अय 8:11; यश 42:3; मत 27:29; प्रक 11:1) नरकट के छड़ से माप-छड़ बनाए जाते थे।—माप-छड़ देखें।

  • नहिलोत:

    भजन 5 के उपरिलेख में दिया शब्द, जिसका मतलब साफ-साफ नहीं पता। कुछ लोगों का मानना है कि यह बाँसुरी जैसा कोई साज़ है, क्योंकि वे कहते हैं कि यह मूल इब्रानी शब्द कालील  (यानी बाँसुरी) से जुड़ा है। लेकिन नहिलोत एक धुन हो सकता है।

  • नागदौना:

    कई तरह के पौधे जिनका तना कड़ा होता था। ये पौधे बहुत कड़वे होते थे और इनसे तेज़ महक आती थी। बाइबल बताती है कि अनैतिकता, गुलामी, अन्याय और परमेश्‍वर से बगावत करने के अंजाम नागदौने जैसे कड़वे होते हैं। प्रकाशितवाक्य 8:11 में बताया “नागदौना,” एक कड़वा और ज़हरीला पदार्थ है जिसे एबसिन्थ भी कहते हैं।—व्य 29:18; नीत 5:4; यिर्म 9:15; आम 5:7.

  • नाजायज़ यौन-संबंध:

    इसका यूनानी शब्द है पोर्निया।  यह शब्द ऐसे यौन-संबंधों के लिए इस्तेमाल होता है जो परमेश्‍वर की नज़र में गलत हैं। जैसे, व्यभिचार, वेश्‍या के काम, दो कुँवारे लोगों के बीच यौन-संबंध जिनकी एक-दूसरे से शादी नहीं हुई, समलैंगिकता और जानवरों के साथ यौन-संबंध। प्रकाशितवाक्य में यह शब्द लाक्षणिक तौर पर इस्तेमाल हुआ है। उसमें बताया गया है कि “महानगरी बैबिलोन” ताकत और दौलत पाने के लिए दुनिया के शासकों के साथ नाजायज़ यौन-संबंध रखती है। (प्रक 14:8; 17:2; 18:3; मत 5:32; प्रेष 15:29; गल 5:19)—वेश्‍या देखें।

  • नाज़ीर:

    इब्रानी से निकला एक शब्द जिसका मतलब है “चुना गया,” “समर्पित किया गया,” “अलग किया गया।” नाज़ीर दो किस्म के होते थे, एक वे जो अपनी मरज़ी से नाज़ीर बनते थे और दूसरे जिन्हें परमेश्‍वर चुनता था। कुछ वक्‍त तक नाज़ीर की ज़िंदगी जीने के लिए एक आदमी (या औरत) यहोवा से खास मन्‍नत मानता था। जो अपनी मरज़ी से यह मन्‍नत मानते थे उन पर खास तीन पाबंदियाँ होती थीं: उन्हें न तो दाख-मदिरा पीनी थी न ही अंगूर की बेल से बनी कोई चीज़ खानी थी, उन्हें अपने बाल नहीं कटवाने थे और किसी की भी लाश नहीं छूनी थी। जिन्हें यहोवा नाज़ीर चुनता था वे जीवन-भर नाज़ीर रहते थे और यहोवा ही उनके लिए कुछ खास हिदायतें देता था।—गि 6:2-7; न्या 13:5.

  • नासरी:

    यीशु को दिया एक नाम क्योंकि वह नासरत से था। मुमकिन है कि यह यशायाह 11:1 में “अंकुर” के लिए इस्तेमाल हुए इब्रानी शब्द से जुड़ा है। बाद में यीशु के चेलों को भी इसी नाम से बुलाया गया।—मत 2:23; प्रेष 24:5.

  • निगरानी करनेवाला:

    ऐसा भाई जिसकी अहम ज़िम्मेदारी है, मंडली पर नज़र रखना और चरवाहे की तरह उसकी देखभाल करना। इसके यूनानी शब्द एपिस्कोपोस का बुनियादी मतलब है, किसी की हिफाज़त करने के लिए उस पर नज़र रखना। शब्द “निगरानी करनेवाला” और “प्राचीन” (प्रेसबाइटेरोस), मसीही मंडली में एक ही पद के लिए इस्तेमाल हुए हैं। शब्द “प्राचीन” से पता चलता है कि उस भाई को इसलिए ठहराया गया है क्योंकि उसमें ऐसे मसीही गुण हैं जो दिखाते हैं कि वह प्रौढ़ है। और शब्द “निगरानी करनेवाले” से उसकी ज़िम्मेदारियों का पता चलता है।—प्रेष 20:28; 1ती 3:2-7; 1पत 5:2.

  • निर्देशक:

    यह शब्द भजनों की किताब में आता है। इसके इब्रानी शब्द का मतलब शायद ऐसा व्यक्‍ति है जो गीतों के गाए जाने का इंतज़ाम करता, गाने में निर्देश देता, लेवी गायकों को सिखाता और उनसे रियाज़ करवाता, यहाँ तक कि गीत-संगीत के कार्यक्रमों में अगुवाई करता था। दूसरे अनुवादों में निर्देशक को “मुख्य वादक” या “संगीत निर्देशक” कहा गया है।—भज 4:उप.; 5:उप.

  • निर्दोष:

    जिन इब्रानी शब्दों का अनुवाद “निर्दोष” किया गया है, उनका मूल अर्थ है “पूरा।” यानी जिसमें कोई खोट या दोष न हो। जैसे, बलि के लिए ऐसे जानवर चढ़ाए जाने थे जिनमें कोई दोष न हो। (निर्ग 12:5; 29:1; लैव 3:6) मगर इन इब्रानी शब्दों का ज़्यादातर आयतों में मतलब है, नैतिक तौर पर खरा होना या बेदाग चालचलन बनाए रखना।—यह 24:14; अय 27:5; भज 26:1.

  • निर्लज्ज काम:

    यह कोई मामूली या छोटी-मोटी गलती नहीं है। इसका यूनानी शब्द असेलजीआ है जिसका मतलब है, ऐसे काम जो परमेश्‍वर के नियमों के खिलाफ हैं और ऐसा रवैया जिससे निर्लज्जता और घोर अनादर दिखायी देता है। निर्लज्ज काम करनेवाला इंसान कानूनों, स्तरों और अधिकार रखनेवालों के लिए कोई आदर नहीं दिखाता, यहाँ तक कि उन्हें तुच्छ समझता है।—गल 5:19; 2पत 2:7.

  • निशानी:

    ऐसी कोई चीज़, काम, हालात या अनोखा नज़ारा, जो आज या भविष्य में होनेवाली किसी खास बात की तरफ इशारा करता है।—उत 9:12, 13; 2रा 20:9; मत 24:3; प्रक 1:1.

  • नीतिवचन; कहावत:

    बुद्धि-भरी बात या एक छोटी कहानी जिसमें एक सीख होती है या फिर चंद शब्दों में बतायी गहरी सच्चाई। बाइबल में दिए नीतिवचन और कहावतें पहेलियाँ हो सकती हैं या फिर ऐसी बातें जो सीधे-सीधे समझ न आएँ। नीतिवचनों और कहावतों में दमदार भाषा और अकसर अलंकारों का इस्तेमाल करके ज़िंदगी का सच बताया जाता है। ऐसी भी कहावतें थीं जिनका इस्तेमाल कुछ लोगों का मज़ाक उड़ाने या उन्हें नीचा दिखाने के लिए होने लगा।—सभ 12:9; 2पत 2:22.

  • नीसान:

    बैबिलोन की बँधुआई से लौटनेवाले यहूदियों के पवित्र कैलेंडर का पहला महीना और कृषि कैलेंडर का 7वाँ महीना। इसका पुराना नाम आबीब था। नीसान, मार्च के बीच से अप्रैल के बीच तक का होता था। (नहे 2:1)—अति. ख15 देखें।

  • नेक; नेकी:

    बाइबल बताती है कि सही-गलत के बारे में परमेश्‍वर ने जो स्तर ठहराए हैं, उनके मुताबिक जो सही है वही नेक या नेकी है। इन शब्दों का अनुवाद सच्चाई, सही और अच्छाई भी किया गया है।—उत 15:6; व्य 6:25; नीत 11:4; सप 2:3; मत 6:33.

  • न्याय-आसन:

    आम तौर पर एक ऊँचा चबूतरा, जो खुली जगह में बना होता था। इस पर पहुँचने के लिए सीढ़ियाँ होती थीं। इस आसन पर एक अधिकारी बैठकर भीड़ से बात करता और अपना फैसला सुनाता था। “परमेश्‍वर के न्याय-आसन” और “मसीह के न्याय-आसन” का मतलब है, वह इंतज़ाम जो परमेश्‍वर ने इंसानों का न्याय करने के लिए ठहराया है।—रोम 14:10; 2कुर 5:10; यूह 19:13.

  • न्याय का दिन:

    एक खास दिन या दौर जब किसी समूह, राष्ट्र या इंसानों से परमेश्‍वर हिसाब लेता है और फैसला सुनाता है। यह वह वक्‍त भी हो सकता है जब ऐसे लोगों को सज़ा दी जाती है जिन्हें मौत की सज़ा सुनायी गयी है या कुछ लोगों को बचने का मौका दिया जाता है। यीशु मसीह और उसके प्रेषितों ने भविष्य में आनेवाले “न्याय के दिन” के बारे में बताया जिसमें न सिर्फ ज़िंदा लोगों का बल्कि उनका भी न्याय होगा जो बीते ज़माने में मर चुके हैं।—मत 12:36.

  • न्यायी:

    जब इसराएल पर कोई इंसानी राजा राज नहीं करता था, तब यहोवा ने अपने लोगों को दुश्‍मनों से बचाने के लिए कुछ आदमियों को चुना। उन आदमियों को न्यायी कहा जाता था।—न्या 2:16.

  • पगड़ी:

    महायाजक बढ़िया मलमल से बनी पगड़ी पहनता था, जिस पर सामने की तरफ सोने की एक पट्टी नीली डोरी से बँधी होती थी। राजा भी पगड़ी बाँधता था और उसके ऊपर ताज पहनता था। अय्यूब ने अपने न्याय की तुलना एक पगड़ी से की।—निर्ग 28:36, 37; अय 29:14; यहे 21:26.

  • पड़ोसी:

    पड़ोस में रहनेवाला इंसान, फिर चाहे वह दोस्त हो या दुश्‍मन। बाइबल में उस इंसान को भी “पड़ोसी” कहा गया है जो शास्त्र की आज्ञा मानते हुए दूसरों से प्यार करता है और उन पर कृपा करता है, फिर चाहे वह उनके पड़ोस में न रहता हो।—रूत 4:17; लूक 10:36; रोम 15:2.

  • परदा:

    खूबसूरती से बुना गया कपड़ा जिस पर कढ़ाई करके करूब बनाए गए थे। यह परदा पवित्र डेरे और मंदिर दोनों में था। यह पवित्र भाग को परम-पवित्र भाग से अलग करने के लिए लगाया गया था। (निर्ग 26:31; 2इत 3:14; मत 27:51; इब्र 9:3)—अति. ख5 देखें।

  • परम-पवित्र भाग:

    पवित्र डेरे और मंदिर का भीतरी कमरा, जहाँ करार का संदूक रखा था। मूसा के कानून के मुताबिक, सिर्फ महायाजक को परम-पवित्र भाग में जाने की इजाज़त थी। वह सिर्फ साल में एक बार प्रायश्‍चित के दिन वहाँ जा सकता था।—निर्ग 26:33; लैव 16:2, 17; 1रा 6:16; इब्र 9:3.

  • परमेश्‍वर का राज:

    ये शब्द खास तौर पर मसीह यीशु की सरकार के लिए इस्तेमाल हुए हैं, जो उसके पिता यहोवा की हुकूमत करने के अधिकार को दर्शाती है।—मत 12:28; लूक 4:43; 1कुर 15:50.

  • परमेश्‍वर की भक्‍ति:

    यहोवा परमेश्‍वर का गहरा आदर करना, उसकी उपासना और सेवा करना, साथ ही उसे सारे जहान का मालिक मानकर उसके वफादार रहना।—1ती 4:8; 2ती 3:12.

  • परमेश्‍वर से बगावत:

    इनका यूनानी शब्द (अपोस्टेसिया) एक क्रिया से निकला है जिसका शाब्दिक मतलब है, “से दूर खड़ा रहना।” इसकी संज्ञा का मतलब है, “छोड़ देना, त्याग देना या बगावत।” मसीही यूनानी शास्त्र में ये शब्द खासकर उन लोगों के लिए इस्तेमाल हुए हैं जो सच्ची उपासना करना छोड़ देते हैं।—नीत 11:9; प्रेष 21:21; 2थि 2:3.

  • पलिश्‍त; पलिश्‍ती:

    इसराएल के दक्षिणी तट पर बसा देश पलिश्‍त कहलाता था। जो लोग क्रेते से आकर यहाँ बस गए वे पलिश्‍ती कहलाए। दाविद ने उन्हें हरा दिया था, फिर भी वे किसी के अधीन नहीं थे और इसराएल के दुश्‍मन बने रहे। (निर्ग 13:17; 1शम 17:4; आम 9:7)—अति. ख4 देखें।

  • पवित्र; पवित्रता:

    यहोवा को पवित्र कहा गया है क्योंकि वह स्वभाव से पवित्र है और हर मामले में शुद्ध है। वह जो भी करता है, वह शुद्ध और पवित्र है। (निर्ग 28:36; 1शम 2:2; नीत 9:10; यश 6:3) जब इंसानों (निर्ग 19:6), जानवरों (गि 18:17), चीज़ों (निर्ग 28:38; 30:25; लैव 27:14), जगहों (निर्ग 3:5; यश 27:13), समय के दौर (निर्ग 16:23; लैव 25:12) और बाकी कामों (निर्ग 36:4) को “पवित्र” कहा गया है, तो इसके मूल इब्रानी शब्द का मतलब है अलग किया गया, एक खास मकसद के लिए ठहराया गया या पवित्र परमेश्‍वर के लिए अलग किया गया; परमेश्‍वर की सेवा के लिए समर्पित होना। मसीही यूनानी शास्त्र में भी “पवित्र” और “पवित्रता” का मतलब है, परमेश्‍वर के लिए अलग किया गया। ये शब्द एक इंसान के शुद्ध चालचलन के लिए भी इस्तेमाल हुए हैं।—मर 6:20; 2कुर 7:1; 1पत 1:15, 16.

  • पवित्र डेरा:

    उपासना का तंबू जिसे एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जा सकता था। मिस्र से निकलने के बाद इसराएली इसी तंबू के सामने आकर परमेश्‍वर की उपासना करते थे और बलिदान चढ़ाते थे। इसमें यहोवा के करार का संदूक रखा जाता था जो परमेश्‍वर की मौजूदगी की निशानी था। इसे कभी-कभी “भेंट का तंबू” भी कहा जाता था। यह लकड़ी की चौखटों से बना था और मलमल की चादर से ढका था जिस पर कढ़ाई करके करूब बनाए गए थे। पवित्र डेरे में दो कमरे थे: पहला, पवित्र भाग और दूसरा, परम-पवित्र भाग। (यह 18:1; निर्ग 25:9)—अति. ख5 देखें।

  • पवित्र भाग:

    पवित्र डेरे और मंदिर का पहला और बड़ा कमरा, जो भीतरी कमरे यानी परम-पवित्र भाग से अलग था। पवित्र डेरे के पवित्र भाग में सोने की दीवट, धूप जलाने के लिए सोने की वेदी, नज़राने की रोटी की मेज़ और सोने की दूसरी चीज़ें रखी थीं। मंदिर के पवित्र भाग में सोने की वेदी, सोने की दस दीवटें और नज़राने की रोटी की दस मेज़ें रखी थीं। (निर्ग 26:33; इब्र 9:2)—अति. ख5 और ख8 देखें।

  • पवित्र रहस्य:

    परमेश्‍वर के मकसद का एक पहलू। वह इसे तय वक्‍त तक अपने तक रखता है। उसके बाद वह यह रहस्य उन लोगों पर प्रकट करता है जिन पर प्रकट करना चाहता है।—मर 4:11; कुल 1:26.

  • पवित्र शक्‍ति:

    परमेश्‍वर की वह ज़बरदस्त शक्‍ति जो ताकत भर देती है और जिसका इस्तेमाल करके वह अपनी मरज़ी पूरी करता है। यह शक्‍ति पवित्र है क्योंकि यह यहोवा से मिलती है जो सबसे बढ़कर शुद्ध और नेक है और इसलिए भी कि परमेश्‍वर इसके ज़रिए अपनी पवित्र मरज़ी पूरी करता है।—लूक 1:35; प्रेष 1:8.

  • पवित्र सेवा:

    वह सेवा या काम जो पवित्र है और सीधे-सीधे परमेश्‍वर की उपासना से जुड़ा है।—रोम 12:1; प्रक 7:15.

  • पवित्र-स्थान:

    उपासना के लिए अलग की गयी जगह। मगर अकसर इसका मतलब पवित्र डेरा या यरूशलेम का मंदिर था। स्वर्ग में परमेश्‍वर के निवास-स्थान को भी पवित्र-स्थान कहा गया है।—निर्ग 25:8, 9; यश 16:12; 1इत 28:10; प्रक 11:19.

  • पश्‍चाताप:

    बाइबल के मुताबिक इसका मतलब है, अपना मन बदलना। साथ ही अपनी बीती ज़िंदगी पर, गलत कामों के लिए या जो करना चाहिए था उसे न करने की वजह से दिल से अफसोस करना। सच्चा पश्‍चाताप कामों से दिखाया जाता है: एक इंसान बुरी राह छोड़कर सही राह पर चलने लगता है।—मत 3:8; प्रेष 3:19; 2पत 3:9.

  • पहरेदार:

    पहरेदार अकसर रात को पहरा देता था ताकि लोगों या संपत्ति को किसी तरह का नुकसान न पहुँचे। जब वह कोई खतरा आते देखता था तो लोगों को चौकन्‍ना कर देता था। पहरेदार अकसर शहरपनाह पर या मीनारों पर तैनात रहते थे ताकि अगर कोई शहर की तरफ बढ़ रहा है तो वे उसे दूर से ही देख लें। सेना के पहरेदारों को आम तौर पर संतरी कहा जाता है। भविष्यवक्‍ता एक मायने में इसराएल राष्ट्र के लिए पहरेदार थे क्योंकि वे उन्हें आनेवाले विनाश की चेतावनी देते थे।—2रा 9:20; यहे 3:17.

  • पहला फल:

    कटनी के मौसम की सबसे पहली उपज; इंसानों और जानवरों का पहला बच्चा। यहोवा की माँग थी कि इसराएली अपना पहला फल उसे दें। एक राष्ट्र के तौर पर इसराएल, बिन-खमीर की रोटी के त्योहार और पिन्तेकुस्त पर अपने पहले फल परमेश्‍वर को चढ़ाता था। मसीह और उसके अभिषिक्‍त चेलों को लाक्षणिक भाषा में ‘पहले फल’ कहा गया है।—1कुर 15:23; गि 15:21; नीत 3:9; प्रक 14:4.

  • पहलौठा:

    पिता का सबसे बड़ा बेटा (न कि माँ का पहलौठा)। बाइबल के ज़माने में पहलौठे बेटे को परिवार में बहुत आदर-सम्मान दिया जाता था और पिता के मरने के बाद उसे घराने का मुखिया बनाया जाता था। जानवरों के पहले नर बच्चे को भी पहलौठा कहा गया है।—निर्ग 11:5; 13:12; उत 25:33; कुल 1:15.

  • पाप:

    बहुत-से लोगों का मानना है कि पाप का मतलब है, कोई अपराध करना या कानून तोड़ना। मगर इसके इब्रानी और यूनानी शब्दों का मतलब है “चूकना,” यानी किसी लक्ष्य तक पहुँचने से चूक जाना। जब लोग परमेश्‍वर के ठहराए स्तरों को मानने से चूक जाते हैं तो वे “पाप” करते हैं। बाइबल यह भी सिखाती है कि हम जन्म से पापी हैं यानी हमें पाप विरासत में मिला है।—भज 51:3; यूह 8:34; रोम 5:12.

  • पाप-बलि:

    अपरिपूर्ण होने की वजह से एक इंसान अनजाने में जो पाप करता था, उसके प्रायश्‍चित के लिए चढ़ाया जानेवाला बलिदान। प्रायश्‍चित करनेवाला अपनी हैसियत और हालात के मुताबिक बैल से लेकर कबूतर तक कोई भी जानवर या पक्षी चढ़ा सकता था।—लैव 4:27, 29; इब्र 10:8.

  • पिन्तेकुस्त:

    उन तीन बड़े त्योहारों में से दूसरा त्योहार, जिन्हें मनाने के लिए हर यहूदी आदमी को यरूशलेम जाना होता था। पिन्तेकुस्त का मतलब है “पचासवाँ (दिन)।” इब्रानी शास्त्र में जिस त्योहार को कटाई का त्योहार कहा गया है, उसे मसीही यूनानी शास्त्र में पिन्तेकुस्त कहा गया है। इसराएलियों को नीसान 16 से 50 दिन गिनना था और 50वें दिन यह त्योहार मनाना था।—निर्ग 23:16; 34:22; प्रेष 2:1.

  • पिम:

    एक बाट-पत्थर। इसके अलावा पलिश्‍ती, धातु के औज़ारों पर धार चढ़ाने के लिए जो कीमत लेते थे उसे भी पिम कहा जाता था। इसराएल में पुरातत्व खोज से ऐसे कई बाट-पत्थर मिले जिन पर प्राचीन इब्रानी व्यंजनों से “पिम” लिखा था। उनका औसतन वज़न 7.8 ग्रा. था, जो एक शेकेल का करीब दो-तिहाई हिस्सा था।—1शम 13:20, 21.

  • पुरसा:

    पानी की गहराई नापने की एक इकाई जो 1.8 मी. (6 फुट) के बराबर थी। (प्रेष 27:28, फु.)—अति. ख14 देखें।

  • पूजा-लाठ:

    इसके इब्रानी शब्द (अशेरा) का मतलब है: (1) वह पूजा-लाठ जो कनानियों की प्रजनन देवी अशेरा की निशानी थी या (2) अशेरा देवी की मूरत। ज़ाहिर है कि ये लाठें सीधी खड़ी की जाती थीं और इनका कुछ हिस्सा लकड़ी का बना होता था। ये शायद पेड़ थे या फिर ऐसी लाठें थीं जिन पर कोई नक्काशी नहीं की गयी थी।—व्य 16:21; न्या 6:26; 1रा 15:13.

  • पूजा-स्तंभ:

    एक सीधा खंभा जो आम तौर पर पत्थर का होता था। ज़ाहिर है कि यह बाल देवता या दूसरे झूठे देवताओं के लिंग की निशानी था।—निर्ग 23:24.

  • पूरीम:

    अदार 14 और 15 को मनाया जानेवाला सालाना त्योहार। यह उस घटना की याद में मनाया जाता था जब रानी एस्तेर के समय में यहूदियों को मिटने से बचाया गया था। पूरीम कोई इब्रानी शब्द नहीं है। पूरीम का मतलब है “चिट्ठियाँ।” इसे पूरीम का त्योहार या चिट्ठियों का त्योहार इसलिए कहा गया क्योंकि हामान ने पूर (यानी चिट्ठी) डालकर तय किया था कि किस दिन यहूदियों का नाश किया जाए।—एस 3:7; 9:26.

  • पोर्निया

  • प्रधान याजक:

    इब्रानी शास्त्र में “महायाजक” को प्रधान याजक भी कहा गया है। मसीही यूनानी शास्त्र में देखा गया है कि ‘प्रधान याजक’ याजकवर्ग के बड़े-बड़े आदमियों को कहा गया है। शायद इनमें वे आदमी थे जिन्हें महायाजक के पद से हटाया गया था और वे भी जो याजकों के 24 दलों के मुखिया थे।—2इत 26:20; एज 7:5; मत 2:4; मर 8:31.

  • प्रधान स्वर्गदूत:

    मतलब “स्वर्गदूतों का प्रधान।” यह परिभाषा और बाइबल में इसके लिए एकवचन इस्तेमाल होना दिखाता है कि प्रधान स्वर्गदूत सिर्फ एक है। बाइबल में इसे मीकाएल नाम दिया गया है।—दान 12:1; यहू 9; प्रक 12:7.

  • प्रभु का संध्या-भोज:

    सचमुच का भोज जिसमें बिन खमीर की रोटी खायी जाती थी और दाख-मदिरा पी जाती थी, जो मसीह के शरीर और खून की निशानी थी। यह भोज यीशु की मौत की याद में खाया जाता था। बाइबल में मसीहियों को आज्ञा दी गयी है कि वे यह समारोह मनाएँ, इसलिए इसे “स्मारक” भी कहा जाता है।—1कुर 11:20, 23-26.

  • प्रभु की राह:

    बाइबल में “राह” का मतलब है ऐसा काम या चालचलन जो यहोवा की नज़र में सही है या गलत है। जो लोग यीशु मसीह के चेले बने, उन्हें “प्रभु की राह” पर चलनेवाला कहा गया, यानी वे यीशु के नक्शे-कदम पर चले और उन्होंने अपने जीने के तरीके से दिखाया कि उन्हें यीशु पर विश्‍वास है।—प्रेष 19:9.

  • प्रशासक:

    बैबिलोन की सरकार में सूबेदार से कम ओहदा रखनेवाला एक अधिकारी। बाइबल में बताया गया है कि बैबिलोन के दरबार में प्रशासक, ज्ञानियों के ऊपर ठहराए गए थे। मादी राजा दारा की हुकूमत में भी प्रशासकों का ज़िक्र मिलता है।—दान 2:48; 6:7.

  • प्रांत का राज्यपाल:

    उसके पास न्याय करने का अधिकार था और सेना भी उसकी कमान के अधीन थी। हालाँकि वह अपने कामों के लिए रोम की परिषद्‌ को जवाबदेह था, मगर फिर भी पूरे प्रांत में उसी के पास सबसे ज़्यादा अधिकार था।—प्रेष 13:7; 18:12.

  • प्राचीन:

    प्रकाशितवाक्य की किताब में यह शब्द स्वर्ग के प्राणियों के लिए इस्तेमाल हुआ है। और जिन आयतों में मंडली में अगुवाई करनेवाले भाइयों की बात की गयी है, उनमें यूनानी शब्द प्रेसबाइटेरोस का अनुवाद “प्राचीन” किया गया है।—1ती 5:17; प्रक 4:4.

  • प्रायश्‍चित:

    इब्रानी शास्त्र के मुताबिक लोगों को अपने पापों का प्रायश्‍चित करने के लिए बलिदान चढ़ाने होते थे ताकि वे परमेश्‍वर के सामने आ सकें और उसकी उपासना कर सकें। जब एक इंसान या पूरा राष्ट्र पाप करता था, तो मूसा के कानून की माँग थी कि परमेश्‍वर से सुलह करने के लिए उन्हें बलिदान चढ़ाना था। और हर साल प्रायश्‍चित के दिन ऐसा करना और भी ज़रूरी हो जाता था। ये बलिदान यीशु के बलिदान की झलक थे, जिससे एक ही बार में इंसान के पापों का पूरी तरह प्रायश्‍चित हुआ और लोगों को यहोवा से सुलह करने का मौका मिला।—लैव 5:10; 23:28; कुल 1:20; इब्र 9:12.

  • प्रायश्‍चित का ढकना:

    करार के संदूक पर रखा ढकना, जिसके सामने महायाजक प्रायश्‍चित के दिन पाप-बलि का खून छिड़कता था। इसका इब्रानी शब्द जिस मूल क्रिया से निकला है, उसका मतलब है “(पाप) ढाँपना,” या शायद “(पाप) मिटाना।” यह ढकना सोने का बना था और इसके ऊपर दोनों किनारों पर दो करूब बने थे। कई बार इसे सिर्फ ‘ढकना’ कहा गया है। (निर्ग 25:17-22; 1इत 28:11; इब्र 9:5)—अति. ख5 देखें।

  • प्रायश्‍चित का दिन:

    इसराएलियों का सबसे खास और पवित्र दिन। इसे योम किप्पुर भी कहा जाता था जो एतानीम के 10वें दिन मनाया जाता था। (यह इब्रानी शब्दों योहम हाक्किपुरीम से निकला है, जिनका मतलब है “ढाँपने का दिन।”) साल में सिर्फ यही एक दिन था जब महायाजक पवित्र डेरे के परम-पवित्र भाग में जाता था। बाद में जब मंदिर बना, तो वह उसके परम-पवित्र भाग में जाता था। वहाँ वह अपने पापों, बाकी लेवियों के पापों और लोगों के पापों के लिए बलिदान का खून अर्पित करता था। इस दिन पवित्र सभा और उपवास रखा जाता था और सब्त भी मनाया जाता था जिसमें रोज़मर्रा के काम करने की मनाही थी।—लैव 23:27, 28.

  • प्रेषित:

    इसका सीधा-सीधा मतलब है “भेजे गए।” यह शब्द यीशु और कुछ ऐसे लोगों के लिए इस्तेमाल हुआ है जो दूसरों की सेवा करने के लिए भेजे गए थे। आम तौर पर यह 12 चेलों के लिए इस्तेमाल हुआ है जिन्हें खुद यीशु ने चुना कि वे उसके प्रतिनिधि ठहरें।—मर 3:14; प्रेष 14:14.

  • फरात नदी:

    एशिया के दक्षिण-पश्‍चिम भाग की सबसे लंबी और खास नदी। यह मेसोपोटामिया की दो बड़ी नदियों में से एक है। यह नाम पहली बार उत्पत्ति 2:14 में आता है जहाँ इसे अदन की चार नदियों में से एक बताया गया है। इसे अकसर “महानदी” कहा जाता है। (उत 31:21) यह इसराएल को दिए इलाके की उत्तरी सरहद थी। (उत 15:18; प्रक 16:12)—अति. ख2 देखें।

  • फरीसी:

    पहली सदी में यहूदी धर्म का एक जाना-माना धार्मिक गुट। वे याजकों के वंश से नहीं थे, फिर भी वे मूसा के कानून में लिखी एक-एक बात सख्ती से मानते थे और ज़बानी तौर पर सिखायी परंपराओं को भी उतनी ही अहमियत देते थे। (मत 23:23) उन्हें जहाँ कहीं यूनानी संस्कृति का ज़रा भी असर नज़र आता, वे उसका विरोध करते थे। कानून और परंपराओं के अच्छे जानकर होने की वजह से लोगों में उनका बहुत दबदबा था। (मत 23:2-6) कुछ फरीसी महासभा के सदस्य भी थे। वे कई मामलों में यीशु का विरोध करते थे जैसे, सब्त और परंपराओं को मानने और पापियों और कर-वसूलनेवालों के साथ संगति करने के मामलों में। कुछ फरीसी मसीही बन गए जिनमें से एक तरसुस का रहनेवाला शाऊल था।—मत 9:11; 12:14; मर 7:5; लूक 6:2; प्रेष 26:5.

  • फसह:

    एक सालाना त्योहार जो आबीब (नया नाम नीसान) के 14वें दिन मनाया जाता था। यह इस याद में मनाया जाता था कि कैसे इसराएलियों को मिस्र से छुड़ाया गया था। इस दिन मेम्ना (या बकरी) हलाल करके भूना जाता था और कड़वे साग और बिन-खमीर की रोटी के साथ खाया जाता था।—निर्ग 12:27; यूह 6:4; 1कुर 5:7.

  • फारस; फारसी:

    फारस एक देश का नाम था और उसके लोगों को फारसी कहा जाता था। इनका ज़िक्र अकसर मादियों के साथ आता है जिससे ज़ाहिर है कि उन दोनों का कोई नाता था। फारस के शुरू के इतिहास के मुताबिक इसके लोग ईरान के पठार के सिर्फ दक्षिण-पश्‍चिम हिस्से में रहते थे। कुसरू महान के राज में मादियों से ज़्यादा फारसियों का दबदबा था, इसके बावजूद कि साम्राज्य दोनों से मिलकर बना था। (कुछ प्राचीन इतिहासकारों का मानना था कि कुसरू का पिता फारसी था और माँ मादी।) कुसरू ने ई.पू. 539 में बैबिलोन साम्राज्य को जीत लिया और बँधुआई में पड़े यहूदियों को वापस उनके देश जाने दिया। फारस साम्राज्य पूरब में सिंधु नदी से लेकर पश्‍चिम में एजियन सागर तक फैला था। ई.पू. 331 में सिकंदर महान ने फारस को हरा दिया। उस वक्‍त तक यहूदी लोग फारस की हुकूमत के अधीन थे। दानियेल ने एक दर्शन में फारस साम्राज्य को उभरते देखा था। इसके अलावा, इस साम्राज्य का ज़िक्र एज्रा, नहेमायाह और एस्तेर में मिलता है। (एज 1:1; दान 5:28; 8:20)—अति. ख9 देखें।

  • फिरदौस:

    एक खूबसूरत बाग या बगीचा। ऐसा ही एक बाग सबसे पहले अदन में था जिसे यहोवा ने पहले इंसानी जोड़े के लिए बनाया था। यीशु ने अपनी मौत के वक्‍त एक मुजरिम से जो बात कही, उससे पता चलता है कि यह धरती एक फिरदौस बन जाएगी। ज़ाहिर है कि 2 कुरिंथियों 12:4 में भविष्य में आनेवाले फिरदौस की बात की गयी है और प्रकाशितवाक्य 2:7 में स्वर्ग में फिरदौस जैसे हालात की बात की गयी है।—लूक 23:43.

  • फिरौती:

    कैद, सज़ा, तकलीफ, पाप या किसी ज़िम्मेदारी से आज़ाद होने के लिए दी जानेवाली कीमत। यह कीमत हमेशा पैसों से नहीं अदा की जाती थी। (यश 43:3) कई अलग-अलग हालात थे जिनमें फिरौती देनी होती थी। मिसाल के लिए, इसराएलियों के सभी पहलौठे बेटे या उनके जानवरों के सभी नर पहलौठे यहोवा के थे और उन्हें खास उसकी सेवा के लिए अलग किया गया था। इसलिए उन्हें छुड़ाने के लिए फिरौती की कीमत देनी होती थी। (गि 3:45, 46; 18:15, 16) अगर किसी खतरनाक बैल को बाँधकर नहीं रखा जाता था और वह किसी को मार डालता था, तो उसके मालिक को मौत की सज़ा मिलती थी। लेकिन अगर मालिक इस सज़ा से बचना चाहता था तो उसे फिरौती की उतनी रकम देनी होती थी जितनी उससे माँगी जाती थी। (निर्ग 21:29, 30) मगर जानबूझकर कत्ल करनेवालों के लिए कोई फिरौती नहीं होती थी। (गि 35:31) बाइबल बताती है कि सबसे बड़ी फिरौती मसीह ने दी। उसने आज्ञा माननेवाले इंसानों को पाप और मौत से छुड़ाने के लिए अपनी जान दे दी।—भज 49:7, 8; मत 20:28; इफ 1:7.

  • फिरौन:

    मिस्र के राजाओं की उपाधि। बाइबल में पाँच फिरौन के नाम दिए गए हैं (शीशक, सो, तिरहाका, निको और होप्रा), मगर बाकियों के नाम नहीं दिए गए। इनमें वे फिरौन शामिल हैं जिनका ज़िक्र अब्राहम, मूसा और यूसुफ के ब्यौरों में आता है।—निर्ग 15:4; रोम 9:17.

  • बँधुआई:

    किसी को बंदी बनाकर उसके देश या घर से कहीं दूर भेज देना। ऐसा अकसर उस देश को जीतनेवाले के हुक्म पर किया जाता था। इसके इब्रानी शब्द का मतलब है “रवाना होना।” इसराएल के इतिहास में दो बार बड़े पैमाने पर लोगों को बँधुआई में ले जाया गया था। पहली बार, उत्तर के दस गोत्रोंवाले राज्य को अश्‍शूर बँधुआई में ले गया और बाद में दक्षिण के दो गोत्रोंवाले राज्य को बैबिलोन बँधुआई में ले गया। फारस के राजा कुसरू की हुकूमत में इन दोनों राज्यों के बचे हुए इसराएलियों को वापस उनके देश भेज दिया गया।—2रा 17:6; 24:16; एज 6:21.

  • बत:

    एक द्रव्य माप जो करीब 22 ली. के बराबर था। यह बात पुरातत्व खोज से पता चली क्योंकि मिट्टी के बरतनों के ऐसे टुकड़े मिले जिन पर “बत” लिखा था। बाइबल में बताए ज़्यादातर सूखे और द्रव्य माप “बत” के मुताबिक तौले जाते थे। (1रा 7:38; यहे 45:14)—अति. ख14 देखें।

  • बपतिस्मा; बपतिस्मा देना:

    इस क्रिया का मतलब है “डुबकी दिलाना” या पानी के अंदर डालकर निकालना। यीशु की यह माँग थी कि जो उसका चेला बनना चाहता है उसे बपतिस्मा लेना होगा। शास्त्र में कई तरह के बपतिस्मे बताए गए हैं, जैसे यूहन्‍ना का दिया बपतिस्मा, पवित्र शक्‍ति से बपतिस्मा और आग से बपतिस्मा।—मत 3:11, 16; 28:19; यूह 3:23; 1पत 3:21.

  • बलिदान:

    परमेश्‍वर का धन्यवाद करने, अपना दोष मानने और उसके साथ फिर से एक अच्छा रिश्‍ता बनाने के लिए उसे अर्पित किया जानेवाला चढ़ावा। हाबिल के समय से इंसान अपनी मरज़ी से कई तरह के बलिदान चढ़ाते आया था, जैसे जानवरों का बलिदान। मगर आगे चलकर मूसा के कानून के तहत ऐसा करना एक नियम बन गया। जब यीशु ने अपने परिपूर्ण जीवन का बलिदान दिया, तब से जानवरों की बलि चढ़ाने की ज़रूरत नहीं रही। फिर भी मसीही इस मायने में बलिदान चढ़ाते आए हैं कि वे ऐसे काम करते हैं जिनसे परमेश्‍वर खुश होता है।—उत 4:4; इब्र 13:15, 16; 1यूह 4:10.

  • बाती बुझाने की कैंचियाँ:

    सोने या ताँबे से बने औज़ार जो पवित्र डेरे और मंदिर में इस्तेमाल होते थे। इन कैंचियों से जलती हुई बाती को बुझाने के लिए काट दिया जाता था।—2रा 25:14.

  • बाल-ज़बूल:

    शैतान को दिया एक नाम, जो दुष्ट स्वर्गदूतों का हाकिम या राजा है। यह नाम शायद बाल-जबूब नाम का ही दूसरा रूप है। इस बाल देवता की पूजा एक्रोन के पलिश्‍ती लोग करते थे।—2रा 1:3; मत 12:24.

  • बाल देवता:

    कनान देश का एक देवता। उसे आकाश का मालिक माना जाता था जो बारिश देता है। उसे प्रजनन शक्‍ति और उत्पादन का देवता भी माना जाता था। अलग-अलग इलाकों के छोटे-मोटे देवताओं को भी “बाल” कहा जाता था। इब्रानी में इस शब्द का मतलब है “मालिक।”—1रा 18:21; रोम 11:4.

  • बिचवई:

    दो पक्षों के बीच सुलह करानेवाला। बाइबल में मूसा कानून के करार का बिचवई था और यीशु नए करार का।—गल 3:19; 1ती 2:5.

  • बित्ता:

    लंबाई और दूरी नापने का माप। एक बित्ता का मतलब होता था, फैलायी हथेली के अँगूठे के सिरे से लेकर छोटी उँगली के सिरे तक की दूरी। एक हाथ 44.5 सें.मी. (17.5 इंच) का होता था, उस हिसाब से एक बित्ता लगभग 22.2 सें.मी. (8.75 इंच) का होता था। (निर्ग 28:16; 1शम 17:4, फु.)—अति. ख14 देखें।

  • बिन-खमीर की रोटी का त्योहार:

    इसराएलियों के तीन बड़े त्योहारों में से पहला त्योहार, जिन्हें वे हर साल मनाते थे। यह फसह के अगले दिन, नीसान 15 को शुरू होता था और सात दिन तक चलता था। यह मिस्र से निकलने की याद में मनाया जाता था और इस दौरान सिर्फ बिन-खमीर की रोटी खायी जाती थी।—निर्ग 23:15; मर 14:1.

  • बीनना:

    कटाई के बाद बची हुई फसल बटोरना। कटाई करनेवाले इसे जानबूझकर या अनजाने में छोड़ जाते थे। मूसा के कानून के मुताबिक, लोगों को खेत की फसल काटते वक्‍त उसका कोना-कोना साफ नहीं करना था, न ही सारे-के-सारे जैतून और अंगूर तोड़ने थे। उन्हें लेने का हक परमेश्‍वर ने उनके बीच रहनेवाले परदेसियों, गरीबों, सताए हुओं, अनाथों और विधवाओं को दिया था।—रूत 2:7.

  • बूल:

    यहूदियों के पवित्र कैलेंडर का 8वाँ महीना और कृषि कैलेंडर का दूसरा महीना। यह जिस मूल शब्द से निकला है उसका मतलब है “पैदावार; उपज।” यह महीना, अक्टूबर के बीच से नवंबर के बीच तक का होता था। (1रा 6:38)—अति. ख15 देखें।

  • भजन:

    परमेश्‍वर की तारीफ में गाया जानेवाला गीत। भजनों के लिए धुन तैयार की जाती थी और उन्हें यहोवा के उपासक गाते थे। यरूशलेम के मंदिर में जब सब लोग उपासना के लिए इकट्ठा होते थे, तब भी ये भजन गाए जाते थे।—लूक 20:42; प्रेष 13:33; याकू 5:13, फु.

  • भविष्य बतानेवाला:

    ऐसा इंसान जो भविष्य में होनेवाली घटनाओं के बारे में बताने का दावा करता है। बाइबल में ‘भविष्य बतानेवालों’ का मतलब है, जादू-टोना करनेवाले पुजारी, ज्योतिषी और इस तरह के काम करनेवाले दूसरे लोग।—लैव 19:31; व्य 18:11; प्रेष 16:16.

  • भविष्यवक्‍ता:

    वह इंसान जिसके ज़रिए परमेश्‍वर अपना मकसद सब पर ज़ाहिर करता है। भविष्यवक्‍ता परमेश्‍वर की तरफ से बोलते थे। वे न सिर्फ भविष्यवाणी करते थे बल्कि यहोवा की बातें और आज्ञाएँ सिखाते थे और उसके फैसले सुनाते थे।—आम 3:7; 2पत 1:21.

  • भविष्यवाणी:

    परमेश्‍वर से मिला संदेश, फिर चाहे वह उसकी मरज़ी के बारे में खुलासा हो या उसका ऐलान हो। यह परमेश्‍वर की तरफ से ज़रूरी सबक, उसकी आज्ञा, उसका फैसला या भविष्य में होनेवाली घटनाओं की खबर भी हो सकती है।—यहे 37:9, 10; दान 9:24; मत 13:14; 2पत 1:20, 21.

  • भूसी:

    अनाज को दाँवने और फटकने के बाद, उनसे अलग होनेवाला छिलका। भूसी का इस्तेमाल अलंकार के रूप में किया गया है जो दिखाता है कि कोई चीज़ बेकार और बुरी है।—भज 1:4; मत 3:12.

  • भेंट का तंबू:

    यह नाम मूसा के तंबू को और उस पवित्र डेरे को दिया गया था, जो सबसे पहले वीराने में खड़ा किया गया था।—निर्ग 33:7; 39:32.

  • मंदिर:

    यरूशलेम में बनी एक पक्की इमारत जहाँ इसराएली उपासना करते थे। इससे पहले वे पवित्र डेरे के सामने उपासना करते थे जिसे एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जा सकता था। पहला मंदिर सुलैमान ने बनवाया था मगर बैबिलोन के लोगों ने उसे तबाह कर दिया था। दूसरा मंदिर जरुबाबेल ने तब बनवाया था जब इसराएली बैबिलोन की बँधुआई से लौटकर आए थे। इसी मंदिर को बाद में हेरोदेस महान ने दोबारा बनवाया था। बाइबल में मंदिर को अकसर “यहोवा का भवन” कहा गया है। (एज 1:3; 6:14, 15; 1इत 29:1; 2इत 2:4; मत 24:1)—अति. ख8 और ख11 देखें।

  • मंडली:

    लोगों का एक समूह जो किसी खास मकसद या काम के लिए इकट्ठा होता था। इब्रानी शास्त्र में इसराएल राष्ट्र को “मंडली” कहा गया है। मसीही यूनानी शास्त्र में यह शब्द अलग-अलग मंडलियों के लिए इस्तेमाल हुआ है, लेकिन ज़्यादातर आयतों में मसीहियों की पूरी बिरादरी को मंडली कहा गया है।—1रा 8:22; प्रेष 9:31; रोम 16:5.

  • मकिदुनिया:

    यूनान के उत्तर की तरफ एक प्रांत जो सिकंदर महान के राज में मशहूर हुआ था। यह एक आज़ाद प्रांत था, मगर आगे चलकर रोमी लोगों ने इस पर कब्ज़ा कर लिया। जब प्रेषित पौलुस ने यूरोप का पहला दौरा किया तब मकिदुनिया एक रोमी प्रांत था। उसने इस प्रांत का तीन बार दौरा किया। (प्रेष 16:9)—अति. ख13 देखें।

  • मन्‍नत:

    जब एक इंसान परमेश्‍वर से वादा करता है कि वह कोई काम या खास सेवा करेगा, उसे कोई चढ़ावा या भेंट देगा या उन चीज़ों से दूर रहेगा जो कानून के मुताबिक गलत नहीं है, तो उस वादे को मन्‍नत कहते हैं। मन्‍नत मानना, शपथ खाने जितना गंभीर होता था।—गि 6:2; सभ 5:4; मत 5:33.

  • मन्‍नत-बलि:

    एक स्वेच्छा-बलि जिसके साथ-साथ कोई मन्‍नत मानी जाती थी।—लैव 23:38; 1शम 1:21.

  • मन्‍ना:

    वीराने में 40 साल के दौरान इसराएलियों का मुख्य खाना। यहोवा ने इसे चमत्कारिक तरीके से देने का इंतज़ाम किया था। सब्त के दिन को छोड़, हर सुबह मन्‍ना ज़मीन पर ओस की चादर के नीचे पड़ा मिलता था। जब इसराएलियों ने पहली बार इसे देखा तो पूछा, “यह क्या है?” या इब्रानी में “मान हू?” (निर्ग 16:13-15, 35) दूसरी आयतों में इसे “स्वर्ग का अनाज” (भज 78:24), “स्वर्ग से रोटी” (भज 105:40) और “शूरवीरों की रोटी” (भज 78:25) कहा गया है। यीशु ने भी मन्‍ना शब्द का इस्तेमाल लाक्षणिक तौर पर किया।—यूह 6:49, 50.

  • मरुआ:

    पतले-पतले डंठलों और पत्तियोंवाला पौधा, जो शुद्ध करने की रस्म में खून या पानी छिड़कने के लिए इस्तेमाल किया जाता था। बाइबल में मरुआ के लिए जो इब्रानी और यूनानी शब्द इस्तेमाल हुए हैं वे कई तरह के पौधे हो सकते हैं। यूहन्‍ना 19:29 में यह डंडियों पर लगा मरुआ हो सकता है या ज्वार (सारघम वलगेर) की एक प्रजाति, जिसके डंठल लंबे होते हैं और इसलिए शायद खट्टी दाख-मदिरा से भीगे स्पंज को इसमें लगाकर यीशु के मुँह तक ले जाना आसान रहा होगा।—निर्ग 12:22; भज 51:7.

  • मरे हुओं में से ज़िंदा करना:

    इसके यूनानी शब्द आनास्तासिस का शाब्दिक मतलब है “उठाना; खड़े होना।” बाइबल में ऐसे नौ लोगों के बारे में बताया गया है जिन्हें मरे हुओं में से ज़िंदा किया गया था। उनमें से एक यीशु था, जिसे यहोवा ने ज़िंदा किया था। हालाँकि बाकी आठ लोगों को एलियाह, एलीशा, यीशु, पतरस और पौलुस ने ज़िंदा किया था, मगर यह साफ है कि उन्होंने ये चमत्कार परमेश्‍वर की शक्‍ति से किए थे। परमेश्‍वर का मकसद पूरा होने के लिए यह ज़रूरी है कि पृथ्वी पर “अच्छे और बुरे, दोनों तरह के लोगों” को मरे हुओं में से ज़िंदा किया जाए। (प्रेष 24:15) बाइबल यह भी बताती है कि कुछ मरे हुओं को स्वर्ग में ज़िंदा किया जाएगा। यह कहती है कि यीशु के अभिषिक्‍त भाइयों को ‘पहले ज़िंदा किया जाएगा।’—फिल 3:11; प्रक 20:5, 6; यूह 5:28, 29; 11:25.

  • मरोदक:

    बैबिलोन शहर का मुख्य देवता। जब से बैबिलोन के राजा और कानून बनानेवाले हम्मुराबी ने बैबिलोन को बैबिलोनिया साम्राज्य की राजधानी बनाया, तब से मरोदक (या मरदूक) मशहूर होने लगा। आखिरकार मरोदक ने पहले के कई देवताओं की जगह ले ली और बैबिलोन के सभी देवी-देवताओं में मुख्य देवता बन गया। आगे चलकर उसे यह उपाधि दी गयी, “बेलू” (मतलब “मालिक”)। मरोदक को आम तौर पर बेल कहा जाता था।—यिर्म 50:2.

  • मलकाम:

    मुमकिन है कि यह मोलेक ही है, जो अम्मोनियों का मुख्य देवता था। (सप 1:5)—मोलेक देखें।

  • मशक:

    यह भेड़-बकरी या किसी और जानवर की खाल से बनी होती थी और इसमें दाख-मदिरा रखी जाती थी। जब दाख-मदिरा खमीरी होती थी तो उससे कार्बन डाइऑकसाइड गैस निकलती थी और यह मशक में दबाव पैदा करती थी। इसलिए दाख-मदिरा नयी मशक में रखी जाती थी क्योंकि यह लचीली होती थी और फैलती थी, जबकि पुरानी मशक कड़ी होती थी और ज़्यादा दबाव में फट जाती थी।—यह 9:4; मत 9:17.

  • मश्‍कील:

    13 भजनों के उपरिलेख में दिया एक इब्रानी शब्द जिसका मतलब साफ-साफ नहीं पता। शायद इसका मतलब है “सोचने पर मजबूर कर देनेवाली कविता।” मश्‍कील से मिलता-जुलता एक और शब्द है जिसका अनुवाद ‘सूझ-बूझ से सेवा करना’ किया गया है, इसलिए कुछ लोगों को लगता है कि इन दोनों शब्दों के मतलब भी शायद एक-दूसरे से मिलते-जुलते हों।—2इत 30:22; भज 32:उप.

  • मसीह; मसीहा:

    इनके इब्रानी शब्द मशीआक और यूनानी शब्द ख्रिस्तौस का मतलब है, “अभिषिक्‍त जन।” जब किसी को खास सेवा के लिए ठहराया जाता, तो उसका अभिषेक तेल से किया जाता था। “मसीह” यीशु को दी एक उपाधि भी थी।—मत 1:16; यूह 1:41; 2शम 22:51; 1इत 16:22; दान 9:25; इब्र 11:26.

  • मसीह का विरोधी:

    इनके यूनानी शब्द के दो मतलब हैं। पहला, वह जो मसीह के खिलाफ है या उसका विरोध करता है। दूसरा, वह जो झूठा मसीह है यानी जो मसीह होने का दावा करता है। ऐसे सभी लोगों, संगठनों या समूहों को मसीह के विरोधी कहना सही होगा जो मसीह के चेले या मसीहा होने का दावा करते हैं या जो मसीह और उसके चेलों का विरोध करते हैं।—1यूह 2:22.

  • मसीही:

    परमेश्‍वर ने यह नाम यीशु मसीह के चेलों को दिया है।—प्रेष 11:26; 26:28.

  • महलत:

    ज़ाहिर है कि भजन 53 और 88 के उपरिलेख में दिया यह शब्द संगीत से जुड़ा है। यह शायद इब्रानी की जिस मूल क्रिया से जुड़ा है उसका मतलब है “कमज़ोर होना; बीमार पड़ना।” इससे पता चलता है कि यह एक दर्द-भरा सुर होगा, जो इन दो भजनों के दुख-भरे बोल पर सही बैठेगा।

  • महा-कृपा:

    इसके यूनानी शब्द का मुख्य मतलब है, कोई बात या चीज़ जो अच्छी और दिल जीतनेवाली है। यह अकसर खुशी-खुशी दिए तोहफे या प्यार से दिए गए तोहफे के लिए इस्तेमाल होता है। जहाँ परमेश्‍वर की महा-कृपा की बात आती है वहाँ उसका मतलब है, ऐसा तोहफा जो परमेश्‍वर उदारता से देता है और बदले में कुछ पाने की माँग नहीं करता। इसलिए शब्द “महा-कृपा” से पता चलता है कि परमेश्‍वर इंसानों को जो देता है बहुतायत में देता है, उनसे बहुत प्यार करता है और उन पर कृपा करता है। इसके यूनानी शब्द का अनुवाद “कृपा,” “आशीष,” “मेहरबानी” वगैरह भी किया गया है। महा-कृपा न तो कमायी जा सकती है न ही इसका हकदार होने का कोई दावा कर सकता है। यह कृपा तो महा-कृपा करनेवाले की दरियादिली की वजह से उस पर की जाती है।—2कुर 6:1; इफ 1:7.

  • महामारी:

    कोई भी संक्रामक बीमारी जो तेज़ी से कई इलाकों में फैल सकती है और जिसकी चपेट में आकर बड़ी तादाद में लोगों की मौत हो सकती है। अकसर परमेश्‍वर सज़ा देने के लिए महामारी लाता था।—गि 14:12; यहे 38:22, 23; आम 4:10.

  • महायाजक:

    मूसा के कानून के मुताबिक सबसे बड़ा याजक जो लोगों की तरफ से परमेश्‍वर के सामने जाता था और बाकी याजकों के काम-काज की निगरानी करता था। उसे “प्रधान याजक” भी कहा जाता था। (2इत 26:20; एज 7:5) सिर्फ उसे पवित्र डेरे के और बाद में मंदिर के परम-पवित्र भाग में जाने की इजाज़त थी। वह साल में सिर्फ एक बार यानी प्रायश्‍चित के दिन परम-पवित्र भाग में जाता था। यीशु मसीह को भी “महायाजक” कहा गया है।—लैव 16:2, 17; 21:10; मत 26:3; इब्र 4:14.

  • महा-संकट:

    यीशु ने बताया था कि यरूशलेम पर एक ऐसा “महा-संकट” आएगा जैसा पहले कभी नहीं आया था। उसने यह भी बताया कि भविष्य में जब वह ‘महिमा के साथ आएगा’ तब पूरी मानवजाति पर ऐसा ही “महा-संकट” आएगा। (मत 24:21, 29-31) पौलुस ने बताया कि ‘जो परमेश्‍वर को नहीं जानते और यीशु के बारे में खुशखबरी के मुताबिक नहीं चलते’ उन पर यह संकट लाकर परमेश्‍वर अपने न्याय का सबूत देगा। प्रकाशितवाक्य अध्याय 19 दिखाता है कि यीशु ‘जंगली जानवर और धरती के राजाओं और उनकी सेनाओं’ से लड़ने के लिए अपनी स्वर्ग की सेनाओं के साथ आ रहा है। (2थि 1:6-8; प्रक 19:11-21) इस संकट से “एक बड़ी भीड़” बचकर निकलेगी। (प्रक 7:9, 14)—हर-मगिदोन देखें।

  • महासभा:

    यरूशलेम में यहूदियों की सबसे बड़ी अदालत। यीशु के दिनों में महासभा 71 सदस्यों से मिलकर बनी थी। इनमें महायाजक, वे आदमी जो महायाजक रह चुके थे, महायाजकों के घराने के लोग, मुखिया, गोत्रों और घरानों के मुखिया और शास्त्री शामिल थे।—मर 15:1; प्रेष 5:34; 23:1, 6.

  • मातम मनाना:

    किसी की मौत पर या कोई आफत टूटने पर दुख ज़ाहिर करना। बाइबल के ज़माने में कई दिनों तक मातम मनाना एक दस्तूर था। ज़ोर-ज़ोर से रोने के अलावा, मातम मनानेवाले अलग तरह के कपड़े पहनते थे, सिर पर राख डालते थे, अपने कपड़े फाड़ते थे और छाती पीटते थे। कभी-कभी मरे हुओं को दफनाते वक्‍त किराए पर मातम मनानेवालों को बुलाया जाता था।—उत 23:2; एस 4:3; प्रक 21:4.

  • मादी; मादै:

    मादी लोग येपेत के बेटे मादई के वंशज थे। वे ईरान के पठार में बस गए जो एक पहाड़ी इलाका था और यह मादै देश कहलाया। मादियों ने बैबिलोन के साथ मिलकर अश्‍शूर को हराया। उस वक्‍त फारस मादै के अधीन एक प्रांत था। मगर कुसरू ने बगावत की और मादै को फारस से मिला दिया गया। इससे एक नया साम्राज्य मादी-फारस बना जिसने ई.पू. 539 में बैबिलोन साम्राज्य को हराया। ई. 33 में पिन्तेकुस्त के दिन मादी लोग भी यरूशलेम में मौजूद थे। (दान 5:28, 31; प्रेष 2:9)—अति. ख9 देखें।

  • माप-छड़:

    यह छड़ आम तौर पर नरकट का बना होता था। इसकी लंबाई 6 हाथ थी। एक हाथ की मानक नाप के मुताबिक माप-छड़ 2.67 मी. (8.75 फुट) लंबा था और लंबे हाथ के मुताबिक माप-छड़ 3.11 मी. (10.2 फुट) लंबा था। (यहे 40:3, 5; प्रक 11:1, फु.)—अति. ख14 देखें।

  • मिकताम:

    एक इब्रानी शब्द जो छ: भजनों (भज 16, 56-60) के उपरिलेख में दिया गया है। यह एक तकनीकी शब्द है जिसका मतलब साफ-साफ नहीं पता। मगर हो सकता है यह शब्द, “खोदकर लिखना” से जुड़ा हो।

  • मिलकोम:

    अम्मोनियों का देवता। मुमकिन है कि यह मोलेक ही है। (1रा 11:5, 7) सुलैमान ने अपने शासन के आखिरी सालों में इसी झूठे देवता के लिए ऊँची जगह बनायीं।—मोलेक देखें।

  • मीना:

    यहेजकेल में इसे मानेह भी कहा गया है। यह भार मापने और मुद्रा की एक इकाई था। पुरातत्व खोज से पता चला है कि एक मीना 50 शेकेल के बराबर था और एक शेकेल का वज़न 11.4 ग्रा. था। इसलिए इब्रानी शास्त्र में बताए एक मीना का वज़न 570 ग्रा. था। इसके अलावा, शायद एक शाही मीना भी होता था ठीक जैसे एक हाथ की दो नाप होती थीं। मसीही यूनानी शास्त्र में एक मीना 100 द्राख्मा के बराबर था। इसका वज़न 340 ग्रा. था। एक तोड़े में 60 मीना होते थे। (एज 2:69; लूक 19:13)—अति. ख14 देखें।

  • मील:

    यह शब्द मसीही यूनानी शास्त्र के मूल पाठ में सिर्फ मत्ती 5:41 में इस्तेमाल हुआ है। मुमकिन है कि यहाँ रोमी मील की बात की गयी है जो 1,479.5 मी. (4,854 फुट) के बराबर था।—अति. ख14 देखें।

  • मुखिया; बुज़ुर्ग:

    उम्रदराज़ आदमी, मगर शास्त्र में यह शब्द खासकर उसके लिए इस्तेमाल हुआ है जो समाज या देश में अधिकार और ज़िम्मेदारी के पद पर था।—निर्ग 4:29; नीत 31:23.

  • मुहर:

    ऐसी चीज़ जिससे छाप लगायी जाती थी। (यह छाप आम तौर पर चिकनी मिट्टी या मोम पर लगायी जाती थी।) किसी चीज़, दस्तावेज़ वगैरह पर लगी मुहर दिखाती थी कि उसका मालिक कौन है, वह असली है या दो पक्षों के बीच करार किया गया है। प्राचीन समय की मुहर सख्त चीज़ (जैसे पत्थर, हाथी-दाँत या लकड़ी) से बनी होती थी जिस पर अक्षर या प्रतीक उलटे खुदे होते थे। मुहर को लाक्षणिक तौर पर यह दिखाने के लिए भी इस्तेमाल किया गया है कि कोई बात सच्ची या राज़ है। मुहर लगाना यह भी दिखाता है कि किसी पर किसका अधिकार है।—निर्ग 28:11; नहे 9:38; प्रक 5:1; 9:4.

  • मुहरवाली अँगूठी:

    एक तरह की मुहर जिसे उँगली पर पहना जाता था या फिर डोरी में डालकर शायद गले में पहना जाता था। यह किसी अधिकारी या शासक के अधिकार की निशानी होती थी। (उत 41:42)—मुहर देखें।

  • मूंगा:

    पत्थर जैसी सख्त चीज़ जो छोटे-छोटे समुद्री जीवों के कंकाल से बनती है। मूंगे समुंदर में कई रंगों में पाए जाते हैं जैसे लाल, सफेद और काला। खासकर लाल सागर में ढेर सारे मूंगे पाए जाते थे। बाइबल के ज़माने में लाल मूंगे बेशकीमती होते थे और इनसे मनके और गहने बनाए जाते थे।—नीत 8:11.

  • मूत-लब्बेन:

    भजन 9 के उपरिलेख में दिया एक शब्द। माना जाता था कि इसका मतलब है, “बेटे की मौत पर।” कुछ लोग कहते हैं कि यह एक नाम था या शायद किसी जाने-माने धुन के शुरूआती शब्द थे, जिन्हें यह भजन गाते वक्‍त इस्तेमाल किया जाना था।

  • मोलेक:

    अम्मोनियों का देवता। शायद इसी को मलकाम, मिलकोम और मोलोक कहा जाता था। मोलेक किसी देवता के नाम के बजाय एक उपाधि हो सकती है। मूसा के कानून में साफ बताया गया था कि अगर कोई मोलेक के लिए अपने बच्चों की बलि चढ़ाएगा, तो उसे मौत की सज़ा दी जाएगी।—लैव 20:2; यिर्म 32:35; प्रेष 7:43.

  • मोलोक

    मोलेक देखें।

  • मौजूदगी:

    मसीही यूनानी शास्त्र की कुछ आयतों में इस शब्द का मतलब है, राजा की हैसियत से यीशु मसीह की मौजूदगी। उसकी मौजूदगी स्वर्ग में उसके राजा बनने से शुरू हुई और अब तक यानी इस व्यवस्था के आखिरी दिनों तक चल रही है। मसीह की मौजूदगी का मतलब उसका आकर तुरंत चले जाना नहीं है बल्कि यह कुछ वक्‍त तक चलनेवाला एक खास दौर है।—मत 24:3.

  • यदूतून:

    यह शब्द भजन 39, 62 और 77 के उपरिलेख में आता है, मगर इसका मतलब साफ-साफ नहीं पता। ऐसा लगता है कि उपरिलेख में उन भजनों के बारे में हिदायत दी गयी है। शायद यह कि उन्हें किस शैली में गाया जाना है या कौन-सा साज़ बजाया जाना है। एक लेवी संगीतकार का नाम भी यदूतून था। इसलिए हो सकता है कि भजनों की शैली या साज़ यदूतून या उसके बेटों से किसी तरह जुड़े थे।

  • यहूदा:

    याकूब की पत्नी लिआ से उसका चौथा बेटा। मरने से पहले याकूब ने भविष्यवाणी की थी कि यहूदा के खानदान से एक महान शासक आएगा जो हमेशा-हमेशा तक राज करेगा। इंसान के रूप में यीशु का जन्म यहूदा के खानदान में हुआ। यहूदा एक गोत्र का नाम भी था। आगे चलकर यहूदा और बिन्यामीन गोत्रों से मिलकर बने राज्य का नाम यहूदा पड़ा। इसे दक्षिणी राज्य भी कहा जाता था। याजकों और लेवियों की गिनती इसी में होती थी। इसका इलाका देश के दक्षिणी हिस्से में था जहाँ यरूशलेम और उसका मंदिर था।—उत 29:35; 49:10; 1रा 4:20; इब्र 7:14.

  • यहूदी:

    इसराएल के दस गोत्रोंवाले राज्य के नाश के बाद, यहूदा गोत्र के लोगों को यहूदी कहा जाता था। (2रा 16:6) मगर बाद में, बैबिलोन की बँधुआई से लौटनेवाले सभी गोत्रों के इसराएलियों को यहूदी कहा गया। (एज 4:12) आगे चलकर यह नाम दुनिया-भर में फैले इसराएलियों को गैर-यहूदी राष्ट्रों से अलग दिखाने के लिए इस्तेमाल हुआ। (एस 3:6) प्रेषित पौलुस ने इस शब्द का लाक्षणिक तौर पर इस्तेमाल करके यह दलील दी कि एक मसीही किस राष्ट्र से है, यह बात मसीही मंडली में कोई मायने नहीं रखती।—रोम 2:28, 29; गल 3:28.

  • यहूदी धर्म अपनानेवाला:

    बाइबल में बताया गया है कि यहूदी धर्म अपनानेवालों में से आदमियों का खतना किया जाता था।—मत 23:15, फु.; प्रेष 13:43.

  • यहोवा:

    परमेश्‍वर के नाम का जाना-माना अनुवाद, जो इब्रानी के इन चार अक्षरों में लिखा जाता है (יהוה)। यह नाम बाइबल के इस अनुवाद में 7,000 से ज़्यादा बार आया है।—अति. क4 और क5 देखें।

  • याकूब:

    इसहाक और रिबका का बेटा। परमेश्‍वर ने उसे बाद में इसराएल नाम दिया और वह इसराएल के लोगों का (जिन्हें इसराएली और आगे चलकर यहूदी कहा गया था) कुलपिता बना। उसके 12 बेटों और उनके वंशजों से मिलकर इसराएल राष्ट्र के 12 गोत्र बने। बाद में भी इसराएल राष्ट्र या उसके लोगों को याकूब नाम से बुलाया जाता था।—उत 32:28; मत 22:32.

  • याजक:

    वह आदमी जिसे परमेश्‍वर ने ठहराया था कि वह लोगों की सेवा करे और उन्हें परमेश्‍वर और उसके नियमों के बारे में सिखाए। इसके अलावा याजक लोगों की तरफ से परमेश्‍वर के सामने जाकर बलिदान चढ़ाता था और उनके पापों की माफी माँगता था। मूसा का कानून मिलने से पहले, परिवार का मुखिया ही अपने परिवार के लिए याजक हुआ करता था। मूसा के कानून के मुताबिक लेवी गोत्र से हारून के घराने के आदमियों को याजक ठहराया गया। लेवी गोत्र के बाकी आदमियों को उनकी मदद करने के लिए ठहराया गया। नए करार के शुरू होने पर परमेश्‍वर का इसराएल, याजकों का राष्ट्र बना जिसका महायाजक यीशु मसीह था।—निर्ग 28:41; इब्र 9:24; प्रक 5:10.

  • यातना का काठ:

    यह यूनानी शब्द स्टौरोस का अनुवाद है। इसका मतलब है एक सीधा काठ या खंभा। यीशु को इसी तरह के काठ पर लटकाकर मार डाला गया था। इस बात का कोई सबूत नहीं कि इस यूनानी शब्द का मतलब क्रूस है। दरअसल मसीह के आने से पहले, सदियों से झूठे धर्मों के लोग क्रूस को एक धार्मिक निशानी के तौर पर इस्तेमाल करते थे। “यातना का काठ” मूल शब्द का पूरा-पूरा मतलब देता है क्योंकि स्टौरोस शब्द का इस्तेमाल यह बताने के लिए भी किया गया कि यीशु के चेलों को यातना, दुख-तकलीफों और शर्मिंदगी का सामना करना पड़ेगा। (मत 16:24; इब्र 12:2)—काठ देखें।

  • यूनानी:

    यूनान देश के लोगों की भाषा। जो यूनान में पैदा होता है या जिसका परिवार यूनान से है उसे भी यूनानी कहते हैं। मसीही यूनानी शास्त्र में इस शब्द का इस्तेमाल ऐसे सभी लोगों के लिए भी किया गया है, जो यहूदी नहीं थे या जिन पर यूनानी भाषा और संस्कृति का असर था।—योए 3:6; यूह 12:20.

  • रंगशाला:

    ऐसी जगह जहाँ लोग नाटक और संगीत के कार्यक्रम देखने के लिए इकट्ठा होते थे। इफिसुस में एक बड़ी रंगशाला थी जहाँ बैठने के लिए पत्थर से बनी बेंच होती थीं। उस रंगशाला में करीब 25,000 लोग बैठ सकते थे।

  • रथ:

    बाइबल के ज़माने में रथ युद्ध में और सफर के लिए इस्तेमाल होता था।—निर्ग 14:23; न्या 4:13; प्रेष 8:28; प्रक 9:9.

  • राजदंड:

    लाठी या डंडा जो शासक अपने हाथ में लिए रहता था और जो उसके राज करने के अधिकार की निशानी था।—उत 49:10; इब्र 1:8.

  • राहाब:

    यह शब्द अय्यूब, भजन और यशायाह की किताबों में लाक्षणिक तौर पर इस्तेमाल हुआ है। (यह यहोशू की किताब में बतायी औरत राहाब नहीं है।) अय्यूब की जिस आयत में राहाब का ज़िक्र आता है उसकी आस-पास की आयतें दिखाती हैं कि यह एक बड़ा समुद्री जीव है। बाकी आयतों में यह समुद्री जीव मिस्र को दर्शाता है।—अय 9:13; भज 87:4; यश 30:7; 51:9, 10.

  • रुआख; नफ्मा:

    इब्रानी शब्द रुआख और यूनानी शब्द नफ्मा का अनुवाद कई हिंदी बाइबलों में “आत्मा” किया गया है। मगर यह अनुवाद सही नहीं है क्योंकि इससे अमर आत्मा की गलत शिक्षा को बढ़ावा मिला है। (भज 146:4) रुआख और नफ्मा का असल में मतलब है “साँस।” इसके अलावा इन शब्दों के ये मतलब भी हैं: (1) हवा, (2) इंसानों और जानवरों की जीवन-शक्‍ति, (3) इंसान के मन की प्रेरणा, (4) परमेश्‍वर या दुष्ट स्वर्गदूतों से मिलनेवाला संदेश, (5) स्वर्गदूत और (6) परमेश्‍वर की ज़ोरदार शक्‍ति यानी पवित्र शक्‍ति। (निर्ग 35:21; भज 104:29; मत 12:43; लूक 11:13) इसलिए इस संस्करण में मतलब को ध्यान में रखते हुए इन्हीं शब्दों का इस्तेमाल किया गया है।

  • लबानोन पर्वतमाला:

    लबानोन देश की दो पर्वतमालाओं में से एक। यह पश्‍चिम की तरफ है और पूर्वी लबानोन पर्वतमाला पूरब की तरफ है। इन दोनों पर्वतमालाओं के बीच एक लंबी-सी उपजाऊ घाटी है। लबानोन पर्वतमाला भूमध्य सागर के तट से शुरू होती है और उसकी चोटियों की औसतन ऊँचाई 1,800 से 2,100 मी. (6,000 फुट से 7,000 फुट) के बीच है। बीते ज़माने में लबानोन देवदार के ऊँचे-ऊँचे पेड़ों से ढका था, जिनकी लकड़ियाँ आस-पास के देशों में उम्दा मानी जाती थीं। (व्य 1:7; भज 29:6; 92:12)—अति. ख7 देखें।

  • लिव्यातान:

    पानी में रहनेवाला एक जीव क्योंकि अकसर इसका ज़िक्र पानी से जुड़ी बातों में मिलता है। अय्यूब 3:8 और 41:1 में यह मगरमच्छ या कोई दूसरा बड़ा और ताकतवर समुद्री जीव हो सकता है। भजन 104:26 में यह एक किस्म की व्हेल मछली हो सकता है। बाकी आयतों में यह नहीं बताया गया है कि यह कौन-सा जानवर है बल्कि इसे लाक्षणिक तौर पर इस्तेमाल किया गया है।—भज 74:14; यश 27:1.

  • लेप्टौन:

    जिस ज़माने में मसीही यूनानी शास्त्र लिखा गया था, उस ज़माने में यह यहूदियों का सबसे छोटा सिक्का था जो ताँबे और काँसे का बना था। बाइबल के कई अनुवादों में इसे “दमड़ी” कहा गया है। (मर 12:42, फु.; लूक 21:2, फु.)—अति. ख14 देखें।

  • लेवी:

    याकूब की पत्नी लिआ से उसका तीसरा बेटा। लेवी से निकले गोत्र का भी यही नाम था। आगे चलकर लेवी के तीन बेटों से लेवियों के तीन मुख्य दल बने। शब्द “लेवी” कभी-कभी पूरे गोत्र के लिए कहा गया है, मगर इसमें हारून का याजक परिवार शामिल नहीं था। वादा किए गए देश में लेवी गोत्र को विरासत में कोई ज़मीन नहीं मिली, मगर बाकी गोत्रों के इलाकों में उन्हें 48 शहर दिए गए।—व्य 10:8; 1इत 6:1; इब्र 7:11.

  • लोज:

    बाइबल में बताए द्रव्य नापने का सबसे छोटा माप। यहूदी तलमूद में इसे हीन का 1/12वाँ हिस्सा बताया गया है। इस हिसाब से एक लोज 0.31 ली. के बराबर था। (लैव 14:10)—अति. ख14 देखें।

  • लोबान:

    बोसवेलिया प्रजाति के कुछ पेड़ों और झाड़ियों का गोंद, जिसे जलाने पर मीठी खुशबू आती है। पवित्र डेरे और मंदिर में जो पवित्र धूप जलाया जाता था, उसे तैयार करने में लोबान भी मिलाया जाता था। यह अनाज के चढ़ावे के साथ दिया जाता था और पवित्र भाग में नज़राने की रोटियों के दोनों ढेर के ऊपर रखा जाता था।—निर्ग 30:34-36; लैव 2:1; 24:7; मत 2:11.

  • वेदी:

    एक चबूतरा जो मिट्टी के ढेर, पत्थरों, चट्टान या धातु से मढ़ी लकड़ी का बना होता था। इस पर उपासना के लिए बलिदान चढ़ाए जाते थे या धूप जलाया जाता था। पवित्र डेरे और मंदिर के पहले कमरे में एक छोटी-सी “सोने की वेदी” थी जिस पर धूप जलाया जाता था। वह लकड़ी से बनी थी और उस पर सोना मढ़ा था। होम-बलियों के लिए एक बड़ी-सी “ताँबे की वेदी” बाहर आँगन में थी। (निर्ग 27:1; 39:38, 39; उत 8:20; 1रा 6:20; 2इत 4:1; लूक 1:11)—अति. ख5 और ख8 देखें।

  • वेदी के सींग:

    कुछ वेदियों के चारों कोनों का उभरा हुआ हिस्सा जिसे सींग का आकार दिया गया था। (लैव 8:15; 1रा 2:28)—अति. ख5 और ख8 देखें।

  • वेश्‍या:

    इसके यूनानी शब्द पोर्ने का मूल अर्थ है “बेचना।” हालाँकि वेश्‍या के काम अकसर औरतें करती हैं, मगर बाइबल में ऐसे आदमियों के बारे में भी बताया गया है जो दूसरे आदमियों के साथ संभोग करते थे। मूसा के कानून में वेश्‍या के काम की निंदा की गयी थी। यहोवा के पवित्र-स्थान में वेश्‍याओं की कमाई दान करना मना था, जबकि झूठे धर्मों के मंदिरों में वेश्‍या के काम करनेवालों को रखा जाता था क्योंकि वे कमाई का एक ज़रिया थे। (व्य 23:17, 18; 1रा 14:24) बाइबल में ऐसे लोगों, राष्ट्रों और संगठनों को भी लाक्षणिक तौर पर वेश्‍या कहा गया है, जो परमेश्‍वर के उपासक होने का दावा करने के साथ-साथ मूर्तिपूजा भी करते थे। मिसाल के लिए, दुनिया में फैले धर्मों की जिस व्यवस्था को “महानगरी बैबिलोन” कहा गया है, उसे प्रकाशितवाक्य में वेश्‍या बताया गया है क्योंकि दौलत और ताकत के लिए वह दुनिया के शासकों के पीछे जाती है।—प्रक 17:1-5; 18:3; 1इत 5:25.

  • व्यभिचार:

    अपने पति या पत्नी के बजाय किसी पराए के साथ यौन-संबंध रखना।—निर्ग 20:14; मत 5:27; 19:9.

  • शपथ:

    कोई बात सच है, यह बताने के लिए या किसी काम को करने या न करने का वादा करने के लिए शपथ खायी जाती थी। यह एक ऐसा वादा है जो अकसर किसी बड़े से किया जाता है, खासकर परमेश्‍वर से। यहोवा ने अब्राहम से किए अपने करार को पक्का करने के लिए उससे शपथ खाकर वादा किया।—उत 14:22; इब्र 6:16, 17.

  • शबात:

    बैबिलोन की बँधुआई से लौटनेवाले यहूदियों के पवित्र कैलेंडर का 11वाँ महीना और कृषि कैलेंडर का 5वाँ महीना। यह महीना, जनवरी के बीच से फरवरी के बीच तक का होता था। (जक 1:7)—अति. ख15 देखें।

  • शरण नगर:

    लेवियों को दिए शहर जहाँ अनजाने में खून करनेवाला भागकर पनाह ले सकता था। इस तरह वह खून का बदला लेनेवाले से बच सकता था। वादा किए गए देश में अलग-अलग जगहों पर 6 शरण नगर थे, जिन्हें यहोवा के निर्देशन में पहले मूसा ने और बाद में यहोशू ने चुना था। जब वह आदमी नगर के फाटक पर पहुँचता, तो वह मुखियाओं को अपना मामला बताता और उसे नगर में ले लिया जाता। फिर उस शहर में उसका मुकदमा चलता जिस शहर में खून हुआ था ताकि वह खुद को निर्दोष साबित कर सके। यह मुकदमा इसलिए भी ज़रूरी था ताकि जानबूझकर खून करनेवाले इस इंतज़ाम का नाजायज़ फायदा न उठा सकें। अगर वह निर्दोष साबित होता तो उसे वापस शरण नगर भेज दिया जाता। वहाँ उसे या तो ज़िंदगी-भर रहना पड़ता या तब तक जब तक कि महायाजक की मौत नहीं हो जाती।—गि 35:6, 11-15, 22-29; यह 20:2-8.

  • शांति-बलि:

    वह बलिदान जो यहोवा के साथ शांति कायम करने के लिए उसे दिया जाता था। बलिदान देनेवाला और उसका घराना, बलिदान चढ़ानेवाला याजक और मंदिर में सेवा करनेवाले याजक, सब मिलकर उस बलिदान में से खाते थे। जानवर की जलायी चरबी से जो धुआँ उठता वह मानो यहोवा को दिया जाता था। जानवर का खून जो जीवन को दर्शाता है, वह भी उसे अर्पित किया जाता था। यह ऐसा था मानो याजक और उपासक सब मिलकर यहोवा के साथ खाना खा रहे हों, जो उनके बीच शांति के रिश्‍ते को दिखाता था।—लैव 7:29, 32; व्य 27:7.

  • शाप:

    किसी को धमकाना या यह ऐलान करना कि उसके साथ या किसी चीज़ के साथ बुरा होगा। इसका मतलब गाली देना या गुस्से में आकर बुरा-भला कहना नहीं था। शाप अकसर सबके सामने दिया जाता था। और जब परमेश्‍वर या उसका ठहराया हुआ कोई जन शाप देता था, तो यह एक भविष्यवाणी होती थी जो ज़रूर पूरी होती थी।—उत 12:3; गि 22:12; गल 3:10.

  • शास्त्र:

    परमेश्‍वर ने जो वचन लिखवाए, उन्हें शास्त्र कहा जाता है। यह शब्द सिर्फ मसीही यूनानी शास्त्र में आता है।—लूक 24:27; 2ती 3:16.

  • शास्त्री:

    एक नकल-नवीस जो इब्रानी शास्त्र की नकल तैयार करता था। यीशु के ज़माने तक शास्त्री ऐसे आदमियों को कहा जाने लगा जिन्हें मूसा के कानून का अच्छा ज्ञान था। वे यीशु का विरोध करते थे।—एज 7:6, फु.; मर 12:38, 39; 14:1.

  • शीओल:

    एक इब्रानी शब्द, जिसका यूनानी शब्द “हेडीज़” है। इसका अनुवाद “कब्र” किया गया है, यानी एक लाक्षणिक जगह जहाँ ज़्यादातर इंसान मौत की नींद सो जाते हैं।—उत 37:35, फु.; भज 16:10, फु.; प्रेष 2:31, फु.

  • शुद्ध:

    बाइबल में इस शब्द का मतलब सिर्फ अपने शरीर को साफ रखना नहीं है बल्कि यह भी कि नैतिकता और उपासना के मामलों में बेदाग बने रहना या फिर चूक होने पर वापस उस दशा में आना। शुद्ध होने का यह भी मतलब है, ऐसी हर चीज़ से दूर रहना जो नैतिक रूप से और परमेश्‍वर की नज़र में दूषित, गंदा या भ्रष्ट कर सकती है। मूसा के कानून में “शुद्ध” होने का मतलब था, उसके नियमों के मुताबिक खुद को शुद्ध करना।—लैव 10:10; भज 51:7; मत 8:2; 1कुर 6:11.

  • शेकेल:

    भार मापने और मुद्रा की एक इकाई, जिसे इब्री लोग सबसे ज़्यादा इस्तेमाल करते थे। इसका वज़न 11.4 ग्रा. था। “पवित्र-स्थान के शेकेल” का ज़िक्र शायद इस बात पर ज़ोर देने के लिए किया गया है कि बाट सही होना चाहिए या पवित्र डेरे में रखे बाट के मुताबिक होना चाहिए। पुराने ज़माने में शायद एक शाही शेकेल भी होता था (जो आम शेकेल से अलग था) या राजमहल में रखा एक बाट होता था।—निर्ग 30:13.

  • शेमिनिथ:

    संगीत से जुड़ा एक शब्द, जिसका शाब्दिक मतलब है “आठवाँ” और यह शायद नीचेवाले सुर की तरफ इशारा करता है। साज़ों के मामले में इस शब्द का मतलब शायद ऐसे साज़ हैं जिनसे मंद स्वर निकलते हैं। गानों के मामले में, इसका मतलब शायद नीचेवाले सुर में गाना और संगीत बजाना है।—1इत 15:21; भज 6:उप.; 12:उप.

  • शैतान:

    एक इब्रानी शब्द जिसका मतलब है “विरोधी।” बाइबल में आम तौर पर यह शब्द परमेश्‍वर के सबसे बड़े दुश्‍मन शैतान के लिए इस्तेमाल हुआ है। उसे इबलीस भी कहा गया है।—अय 1:6; मत 4:10; प्रक 12:9.

  • शोकगीत:

    दुख-भरी कविता या गीत। यह किसी दोस्त या अज़ीज़ की मौत पर गहरा दुख या शोक प्रकट करने के लिए रचा जाता था। इसे विलापगीत भी कहते हैं।—2शम 1:17; भज 7:उप.

  • सआ:

    एक सूखा माप। अगर इस माप की कोई भी चीज़ द्रव्य माप बत के बरतन में डाली जाए तो वह 7.33 ली. के बराबर होता। (2रा 7:1)—अति. ख14 देखें।

  • सच्चा परमेश्‍वर:

    हा-इलोहिम और हा-एल, इन दो इब्रानी शब्दों का अनुवाद “सच्चा परमेश्‍वर” किया गया है। कई आयतों में इन शब्दों का इस्तेमाल यह दिखाने के लिए किया गया है कि यहोवा झूठे देवताओं से अलग है, सिर्फ वही सच्चा परमेश्‍वर है। उन आयतों में यह अनुवाद “सच्चा परमेश्‍वर” इब्रानी शब्दों का पूरा-पूरा मतलब देता है।—उत 5:22, 24; 46:3; व्य 4:39.

  • सदूकी:

    यहूदी धर्म का एक जाना-माना धार्मिक गुट, जो ऊँचे खानदान के अमीर आदमियों और याजकों से मिलकर बना था। मंदिर में होनेवाले कामों पर उनका बहुत ज़ोर चलता था। वे ज़बानी तौर पर दिए कानून ठुकराते थे जिनका पालन फरीसी करते थे। यही नहीं, वे फरीसियों की शिक्षाएँ भी ठुकराते थे। वे न तो मरे हुओं के ज़िंदा किए जाने पर और न ही स्वर्गदूतों के वजूद पर विश्‍वास करते थे। वे यीशु का विरोध करते थे।—मत 16:1; प्रेष 23:8.

  • सब्त:

    यह एक इब्रानी शब्द से निकला है जिसका मतलब है “विश्राम करना; रुकना।” यह यहूदियों के हफ्ते का सातवाँ दिन है (यानी शुक्रवार के सूरज ढलने से लेकर शनिवार के सूरज ढलने तक)। साल में त्योहार के कुछ दिनों को और 7वें और 50वें सालों को भी सब्त कहा जाता था। सब्त के दिन कोई भी काम नहीं किया जाना था, सिर्फ पवित्र-स्थान में याजकों को सेवा करने की इजाज़त थी। सब्त के सालों के दौरान खेतों में कोई जुताई-बोआई नहीं की जानी थी और न ही किसी इब्री भाई को कर्ज़ लौटाने के लिए मजबूर किया जाना था। मूसा के कानून में सब्त के लिए जो पाबंदियाँ बतायी गयी थीं उन्हें मानना मुश्‍किल नहीं था। मगर धर्म गुरुओं ने धीरे-धीरे उनमें बहुत-से नियम जोड़ दिए और यीशु के ज़माने तक इन्हें मानना लोगों के लिए मुश्‍किल हो गया।—निर्ग 20:8; लैव 25:4; लूक 13:14-16; कुल 2:16.

  • सभा-घर:

    इसके यूनानी शब्द का मतलब है “इकट्ठा करना; सभा।” मगर ज़्यादातर आयतों में इसका मतलब है वह इमारत या जगह जहाँ यहूदी इकट्ठा होते थे और जहाँ शास्त्र पढ़ा जाता था, हिदायतें दी जाती थीं, प्रचार होता था और प्रार्थना की जाती थी। यीशु के दिनों में इसराएल के हर कसबे में एक सभा-घर होता था और बड़े-बड़े शहरों में एक-से-ज़्यादा सभा-घर होते थे।—लूक 4:16; प्रेष 13:14, 15.

  • समर्पण का त्योहार:

    हर साल यह त्योहार मंदिर के शुद्ध किए जाने की याद में मनाया जाता था, जिसे एन्टीओकस एपिफेनस ने अपवित्र कर दिया था। यह त्योहार किसलेव 25 को शुरू होता था और आठ दिन तक चलता था।—यूह 10:22.

  • समर्पण की पवित्र निशानी:

    शुद्ध सोने की एक चमचमाती पट्टी जिस पर इब्रानी में ये शब्द खोदकर लिखे थे: “यहोवा पवित्र है।” यह पट्टी महायाजक की पगड़ी पर सामने की तरफ बँधी होती थी। (निर्ग 39:30)—अति. ख5 देखें।

  • सम्राट का अंगरक्षक दल:

    रोमी सैनिकों का एक दल जो रोम के सम्राट की सुरक्षा के लिए ठहराया गया था। बाद में यह दल इतना ताकतवर हो गया कि वह चाहे तो सम्राट का साथ दे सकता था या उसका तख्ता पलट सकता था।—फिल 1:13.

  • सरकंडा:

    नरकट जैसा पौधा जो नदी-तालाब में पाया जाता है। इससे टोकरियाँ, पेटियाँ और नाव बनाए जाते थे। इससे कागज़ जैसी चीज़ भी बनायी जाती थी जिस पर लिखा जाता था। कई खर्रे इसी से बने होते थे।—निर्ग 2:3.

  • सहायक सेवक:

    इसका यूनानी शब्द दीआकोनोस है जिसका अनुवाद अकसर “सेवक” किया जाता है। “सहायक सेवक” वह होता है जो मंडली में प्राचीनों के निकाय की मदद करता है। इस ज़िम्मेदारी के काबिल बनने के लिए उसे बाइबल में दी माँगें पूरी करनी चाहिए।—1ती 3:8-10, 12.

  • सामरिया:

    करीब 200 सालों तक उत्तर में इसराएल के दस गोत्रोंवाले राज्य की राजधानी। उस राज्य के पूरे इलाके को भी सामरिया कहा जाता था। यह राजधानी जिस पहाड़ पर बसी थी उसका नाम भी यही था। यीशु के ज़माने में सामरिया एक ज़िले का नाम था, जिसके उत्तर में गलील था और दक्षिण में यहूदिया। यीशु ने इस ज़िले में प्रचार सेवा नहीं की, मगर जब वह कभी-कभार वहाँ से गुज़रा तो उसने लोगों को गवाही दी। जब पतरस ने दूसरी चाबी का इस्तेमाल किया तब सामरी लोगों को पवित्र शक्‍ति मिली। (1रा 16:24; यूह 4:7; प्रेष 8:14)—अति. ख10 देखें।

  • सामरी लोग:

    पहले उन इसराएलियों को सामरी कहा जाता था जो उत्तर में इसराएल के दस गोत्रोंवाले राज्य में रहते थे। मगर जब ई.पू. 740 में अश्‍शूरियों ने सामरिया पर कब्ज़ा किया तो वे कई परदेसियों को वहाँ ले आए और ये लोग भी सामरी कहलाए। यीशु के दिनों में सामरी लोग, किसी जाति या राष्ट्र के लोगों को नहीं कहा जाता था बल्कि उस धार्मिक गुट को कहा जाता था, जिसके लोग प्राचीन शेकेम और सामरिया के आस-पास के इलाकों में रहते थे। इस गुट के लोगों की कुछ शिक्षाएँ यहूदी धर्म की शिक्षाओं से बिलकुल अलग थीं।—यूह 8:48.

  • साराप:

    स्वर्ग में यहोवा की राजगद्दी के चारों तरफ खड़े स्वर्गदूत। इसके इब्रानी शब्द सराफीम का शाब्दिक मतलब है “धधकनेवाले।”—यश 6:2, 6.

  • सिय्योन; सिय्योन पहाड़:

    यबूसियों के गढ़वाले शहर यबूस का दूसरा नाम। यह शहर यरूशलेम की दक्षिण-पूर्वी पहाड़ी पर बसा था। उस पर कब्ज़ा करने के बाद दाविद ने वहाँ अपना महल बनवाया और उस शहर का नाम “दाविदपुर” रखा गया। (2शम 5:7, 9) जब दाविद करार का संदूक वहाँ लाया तो सिय्योन पहाड़ यहोवा की नज़र में पवित्र ठहरा। आगे चलकर इस शहर के साथ-साथ मोरिया पहाड़ पर बने मंदिर का इलाका भी सिय्योन कहलाया। कई बार तो पूरे यरूशलेम शहर को सिय्योन कहा जाता था। मसीही यूनानी शास्त्र में इसका ज़िक्र अकसर लाक्षणिक तौर पर किया गया है।—भज 2:6; 1पत 2:6; प्रक 14:1.

  • सिलखड़ी:

    मिस्र में अलबास्त्रोन नाम की जगह के पास पाया जानेवाला पत्थर। इससे इत्र की छोटी-छोटी बोतलें बनती थीं जिनकी गरदन पतली होती थी। इन्हें अच्छी तरह बंद करके रखा जाता था ताकि कीमती इत्र उड़ न जाए।—मर 14:3.

  • सींग:

    इन्हें पीने के बरतन, तेल रखने के बरतन, दवात, सिंगार की चीज़ें रखने के पात्र के तौर पर इस्तेमाल किया जाता था। इनसे साज़ और नरसिंगे भी बनाए जाते थे। (1शम 16:1, 13; 1रा 1:39; यहे 9:2) “सींग” को अकसर ताकत और जीत की निशानी बताया गया है।—व्य 33:17; मी 4:13; जक 1:19.

  • सीनाबंद:

    अनमोल रत्नों से जड़ी थैली जिसे इसराएल का महायाजक हर बार पवित्र भाग में जाने से पहले अपने सीने पर बाँधता था। इसे “न्याय का सीनाबंद” कहा जाता था क्योंकि इसमें ऊरीम और तुम्मीम होते थे, जिनसे यहोवा के फैसले पता चलते थे। (निर्ग 28:15-30)—अति. ख5 देखें।

  • सीरिया; सीरियाई लोग

    अराम; अरामी देखें।

  • सीवान:

    बैबिलोन की बँधुआई से लौटनेवाले यहूदियों के पवित्र कैलेंडर का तीसरा महीना और कृषि कैलेंडर का 9वाँ महीना। यह महीना, मई के बीच से जून के बीच तक का होता था। (एस 8:9)—अति. ख15 देखें।

  • सुबह का तारा

    दिन का तारा देखें।

  • सुरतिस:

    उत्तर अफ्रीका में लिबिया के तट के पास उथले पानी की दो बड़ी खाड़ियाँ। पुराने ज़माने में नाविक इस जगह से डरते थे क्योंकि यहाँ पानी के नीचे रेत के दलदल होते थे जो लहरों के उतार-चढ़ाव से खिसकते रहते थे। (प्रेष 27:17)—अति. ख13 देखें।

  • सुलेमानी पत्थर:

    एक अनमोल रत्न जो अलग-अलग रंगों का होता है (काला, भूरा, लाल, सलेटी या हरा) और बीच-बीच में सफेद परतें होती हैं। यह रत्न महायाजक की खास पोशाक पर जड़ा होता था।—निर्ग 28:9, 12; 1इत 29:2; अय 28:16.

  • सुलैमान का खंभोंवाला बरामदा:

    यीशु के ज़माने में मंदिर के बाहरी आँगन के पूरब में एक छतवाला गलियारा। माना जाता था कि यह सुलैमान के मंदिर का बचा हुआ हिस्सा था। यहीं पर यीशु ‘सर्दियों के मौसम’ में टहलता था और शुरू के मसीही उपासना के लिए इकट्ठा होते थे। (यूह 10:22, 23; प्रेष 5:12)—अति. ख11 देखें।

  • सूबेदार:

    बैबिलोन और फारस साम्राज्यों में एक प्रांत का राज्यपाल। सूबेदार मुख्य शासक होता था जिसे राजा चुनता था।—एज 8:36; दान 6:1.

  • सेला:

    एक तकनीकी शब्द जो संगीत से या कविता सुनाने से जुड़ा है और जो भजनों की किताब और हबक्कूक में पाया जाता है। इसका मतलब है गाने या संगीत में, या फिर दोनों में ठहराव देना ताकि चुपचाप मनन किया जा सके या जो भावना ज़ाहिर की गयी है उस पर ध्यान दिया जा सके। यूनानी सेप्टुआजेंट  में इसे डाएसामा  कहा जाता है जिसका मतलब है गाने को रोककर सिर्फ संगीत बजने देना।—भज 3:4; हब 3:3.

  • स्तोइकी दार्शनिक:

    यूनानी दार्शनिकों का एक दल जो मानता था कि एक इंसान को ज़िंदगी में खुशी तभी मिल सकती है जब वह समझ से काम ले और कुदरत के उसूलों पर चले। उनकी नज़र में एक इंसान तभी बुद्धिमान माना जाता था जब उसे सुख-दुख से कोई फर्क नहीं पड़ता।—प्रेष 17:18.

  • स्मारक कब्र:

    एक ऐसी कब्र जहाँ इंसान की लाश रखी जाती थी। इसका यूनानी शब्द नीमीओन है जो क्रिया “याद दिलाने” से निकला है। इससे पता चलता है कि मरे हुए लोग अब भी यादों में बसे हैं।—यूह 5:28, 29.

  • स्वर्ग की रानी:

    एक देवी की उपाधि। इसे यिर्मयाह के दिनों में वे इसराएली पूजते थे जो सच्ची उपासना से मुकर गए थे। कुछ लोगों का मानना है कि यह बैबिलोन की देवी इशतर (अस्तारते) थी। प्राचीन सूमेर सभ्यता में उसी के जैसी एक देवी इनाना को पूजा जाता था जिसके नाम का मतलब “स्वर्ग की रानी” था। स्वर्ग की देवी होने के अलावा वह एक प्रजनन देवी भी थी। मिस्र के एक शिलालेख में अस्तारते को “स्वर्ग की मलिका” भी कहा गया है।—यिर्म 44:19.

  • स्वर्गदूत:

    इसका इब्रानी शब्द मलाख है और यूनानी शब्द एगीलोस। दोनों शब्दों का शाब्दिक मतलब है “दूत।” लेकिन जब स्वर्ग से आए दूतों की बात की गयी है तो उन्हें “स्वर्गदूत” कहा गया है। (उत 16:7; 32:3; याकू 2:25; प्रक 22:8) स्वर्गदूत शक्‍तिशाली अदृश्‍य प्राणी हैं जिन्हें परमेश्‍वर ने इंसानों की सृष्टि से बहुत पहले रचा था। उन्हें बाइबल में “लाखों पवित्र स्वर्गदूत,” “परमेश्‍वर के बेटे” और “भोर के तारे” कहा गया है। (व्य 33:2; अय 1:6; 38:7) उन्हें बच्चे पैदा करके अपनी गिनती बढ़ाने की काबिलीयत के साथ नहीं बनाया गया था बल्कि हर स्वर्गदूत की सृष्टि की गयी थी। उनकी गिनती करोड़ों में है। (दान 7:10) बाइबल बताती है कि हर स्वर्गदूत का एक नाम और एक अलग शख्सियत है। फिर भी वे नम्र हैं और जब इंसानों ने उनकी उपासना करनी चाही तो उन्होंने मना कर दिया। कइयों ने तो अपना नाम तक बताने से इनकार कर दिया। (उत 32:29; लूक 1:26; प्रक 22:8, 9) उनका अलग-अलग ओहदा है और उन्हें तरह-तरह के काम दिए जाते हैं। जैसे, यहोवा की राजगद्दी के सामने सेवा करना, उसके संदेश पहुँचाना, धरती पर उसके सेवकों की मदद करना, उसकी तरफ से सज़ा देना और खुशखबरी सुनाने के काम में साथ देना। (2रा 19:35; भज 34:7; लूक 1:30, 31; प्रक 5:11; 14:6) आनेवाले हर-मगिदोन के युद्ध में वे यीशु के साथ मिलकर लड़ेंगे।—प्रक 19:14, 15.

  • हर-मगिदोन:

    यह इब्रानी शब्द हर मघिद्दोन से लिया गया है जिसका मतलब है, “मगिद्दो पहाड़।” यह शब्द “सर्वशक्‍तिमान परमेश्‍वर के महान दिन के युद्ध” से जुड़ा है, जिसमें ‘सारे जगत के राजा’ यहोवा से युद्ध करने के लिए इकट्ठा होंगे। (प्रक 16:14, 16; 19:11-21)—महा-संकट देखें।

  • हाथ:

    लंबाई और दूरी नापने का माप। एक हाथ का मतलब होता था, कोहनी से लेकर बीचवाली उँगली के छोर तक की लंबाई। आम तौर पर इसराएली 44.5 सें.मी. (17.5 इंच) को एक हाथ मानते थे। मगर वे लंबे हाथ का माप भी इस्तेमाल करते थे जो चार अंगुल ज़्यादा लंबा होता था, करीब 51.8 सें.मी. (20.4 इंच)। (उत 6:15; लूक 12:25, फु.)—अति. ख14 देखें।

  • हाथ रखना:

    एक इंसान पर हाथ रखने का मतलब होता था कि उसे किसी खास काम के लिए चुनना, आशीर्वाद देना, चंगा करना या पवित्र शक्‍ति का कोई वरदान देना। कभी-कभी जानवरों की बलि चढ़ाने से पहले उन पर भी हाथ रखा जाता था।—निर्ग 29:15; गि 27:18; प्रेष 19:6; 1ती 5:22.

  • हारून के बेटे:

    लेवी के पोते हारून के वंशज। मूसा का कानून मिलने के बाद हारून को सबसे पहला महायाजक चुना गया था। हारून के बेटे, पवित्र डेरे और मंदिर में याजकों के नाते सेवा करते थे।—1इत 23:28.

  • हिग्गायोन:

    संगीत निर्देशन का एक तकनीकी शब्द। भजन 9:16 में इसका जिस तरह इस्तेमाल हुआ है उससे पता चलता है कि भजन को बीच में रोककर सुरमंडल पर एक गहरी और गंभीर धुन बजायी जाती थी। या फिर मनन के लिए ठहराव दिया जाता था।

  • हिरमेस:

    एक यूनानी देवता जो ज़्यूस का बेटा था। माना जाता था कि वह देवताओं का दूत है और बात करने में निपुण है। इसलिए लुस्त्रा के लोग गलती से पौलुस को हिरमेस समझ बैठे थे।—प्रेष 14:12.

  • हिलाया जानेवाला चढ़ावा:

    ऐसा चढ़ावा जो परमेश्‍वर का उपासक अपने हाथों पर लिए रहता था और याजक उसके हाथों के नीचे अपने हाथ रखकर आगे-पीछे हिलाता था। या फिर याजक वह चढ़ावा लेकर उसे आगे-पीछे हिलाता था। ऐसा करना, यहोवा को चढ़ावा पेश करने जैसा था।—लैव 7:30.

  • हीन:

    एक द्रव्य माप और उसे नापने का बरतन। यह 3.67 ली. के बराबर था। (निर्ग 29:40)—अति. ख14 देखें।

  • हेडीज़:

    एक यूनानी शब्द, जिसका इब्रानी शब्द “शीओल” है। इसका अनुवाद “कब्र” किया गया है, यानी एक लाक्षणिक जगह जहाँ ज़्यादातर इंसान मौत की नींद सो जाते हैं।—कब्र देखें।

  • हेरोदेस:

    एक शाही खानदान का नाम, जिसे रोम ने यहूदियों पर राज करने के लिए ठहराया था। हेरोदेस महान इस बात के लिए जाना जाता था कि उसने यरूशलेम का मंदिर दोबारा बनवाया था और यीशु को मारने के लिए छोटे बच्चों का कत्ल करने का हुक्म दिया था। (मत 2:16; लूक 1:5) उसके बेटों हेरोदेस अरखिलाउस और हेरोदेस अन्तिपास को उसकी रियासत के अलग-अलग हिस्सों पर अधिकार दिया गया। (मत 2:22) अन्तिपास ज़िला-शासक था मगर वह “राजा” के तौर पर जाना जाता था। उसने यीशु की साढ़े तीन साल की सेवा के दौरान और प्रेषितों अध्याय 12 में दर्ज़ घटनाओं के होने तक राज किया था। (मर 6:14-17; लूक 3:1, 19, 20; 13:31, 32; 23:6-15; प्रेष 4:27; 13:1) इसके बाद हेरोदेस महान के पोते, हेरोदेस अग्रिप्पा प्रथम ने राज किया। कुछ ही समय बाद परमेश्‍वर के स्वर्गदूत ने उसे मार डाला। (प्रेष 12:1-6, 18-23) उसका बेटा हेरोदेस अग्रिप्पा द्वितीय शासक बना और उसने उस समय तक राज किया जब यहूदियों ने रोम से बगावत की।—प्रेष 23:35; 25:13, 22-27; 26:1, 2, 19-32.

  • हेरोदेस के गुट के लोग:

    वे हेरोदियों के नाम से भी जाने जाते थे। देश-भक्‍तों का ऐसा दल जिसने रोमी सरकार के अधीन राज करनेवाले अलग-अलग हेरोदेस के राजनैतिक लक्ष्यों का समर्थन किया। कुछ सदूकी भी शायद इसी गुट में थे। यीशु का विरोध करने के लिए हेरोदियों ने फरीसियों का साथ दिया।—मर 3:6.

  • होम-बलि:

    परमेश्‍वर को दिया जानेवाला चढ़ावा जिसमें पूरा-का-पूरा जानवर वेदी पर रखकर जलाया जाता था। जानवर (बैल, मेढ़े, बकरे, फाख्ते या कबूतर के बच्चे) का कोई भी हिस्सा बलिदान देनेवाला अपने पास नहीं रखता था।—निर्ग 29:18; लैव 6:9.

  • होमेर:

    एक सूखा माप जो कोर के बराबर था। बत के मुताबिक तौला गया यह माप 220 ली. के बराबर था। (लैव 27:16)—अति. ख14 देखें।

  • होरेब; होरेब पहाड़:

    होरेब, सीनै पहाड़ के आस-पास का पहाड़ी इलाका था। होरेब पहाड़, सीनै पहाड़ का दूसरा नाम था। (निर्ग 3:1; व्य 5:2)—अति. ख3 देखें।